भारतीय सेना का अग्निअस्त्र: आतंकवादियों पर कहर बनकर टूटेगा मेक इन इंडिया हथियार
के कुमार आहूजा 2024-10-16 14:20:07
भारत ने अपनी सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। भारतीय सेना के इंजीनियर्स ने एक अत्याधुनिक पोर्टेबल मल्टी-टारगेट डेटोनेशन डिवाइस विकसित किया है, जिसका नाम 'अग्निअस्त्र' है। यह डिवाइस आतंकवाद विरोधी अभियानों में दुश्मन के ठिकानों को सुरक्षित दूरी से नष्ट करने में कारगर सिद्ध होगा। सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने 12 अक्टूबर को सिक्किम में सेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान इसे लॉन्च किया, और इसे भारतीय सेना के लिए गेम-चेंजर बताया जा रहा है।
क्या है 'अग्निअस्त्र' और इसकी विशेषताएँ:
'अग्निअस्त्र' भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स के मेजर राजप्रसाद आरएस द्वारा विकसित किया गया है। यह पोर्टेबल मल्टी-टारगेट डेटोनेशन डिवाइस है, जिसे मुख्य रूप से आतंकवाद विरोधी अभियानों और बंकरों या हाइडआउट्स को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस डिवाइस की खासियत यह है कि यह वायर्ड और वायरलेस दोनों मोड में काम करता है और इसे 2.5 किलोमीटर की दूरी तक नियंत्रित किया जा सकता है।
मूल रूप से, इस डिवाइस को पुराने एक्सप्लोडर डायनेमो कैपेसिटर की जगह लाने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिसकी सीमा केवल 400 मीटर थी। अग्निअस्त्र को माइक्रोप्रोसेसर-आधारित इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से लैस किया गया है, जो इसे और अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाता है। यह डिवाइस एक साथ कई लक्ष्यों पर हमला करने की क्षमता रखता है, जिससे यह खतरनाक अभियानों में दूर से ऑपरेशन करने के लिए एक बेहतरीन हथियार साबित होता है।
कितना ताकतवर है 'अग्निअस्त्र':
'अग्निअस्त्र' न केवल अपनी लंबी दूरी की फायरिंग क्षमता के लिए अद्वितीय है, बल्कि इसकी सबसे बड़ी ताकत इसकी बहु-लक्ष्य डेटोनेशन क्षमता है। यह आतंकवादी ठिकानों, बंकरों और छिपे हुए हाइडआउट्स को तबाह करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, यह डिवाइस सैनिकों की सुरक्षा को बढ़ाने में भी मदद करेगा, क्योंकि इसे सुरक्षित दूरी से नियंत्रित किया जा सकता है।
मेजर राजप्रसाद का यह इनोवेशन विशेष रूप से उन मिशनों के लिए फायदेमंद होगा, जहां दुश्मन के पास बड़ी मात्रा में IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) होती हैं। 'अग्निअस्त्र' बड़े सैन्य अभियानों में सैनिकों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करेगा।
कहां और क्यों किया गया लॉन्च:
11 अक्टूबर को गंगटोक, सिक्किम में सेना कमांडरों के सम्मेलन (Army Commanders' Conference) के दौरान सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने 'अग्निअस्त्र' को लॉन्च किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारतीय सेना की मौजूदा ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा करना और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा करना था। इस अवसर पर, सेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी उन्नति पर भी जोर दिया।
इस हथियार का लॉन्च भारत के 'मेक इन इंडिया' अभियान को बल देने के साथ-साथ सैन्य आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देता है। सेना प्रमुख ने इस अवसर पर कहा कि 'अग्निअस्त्र' भारतीय सेना की ताकत को कई गुना बढ़ा देगा और आतंकवादियों के खिलाफ इसे एक महत्वपूर्ण हथियार के रूप में देखा जा रहा है।
भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम:
'अग्निअस्त्र' का विकास भारतीय सेना की स्वदेशी तकनीकों पर आधारित रक्षा तैयारियों को दर्शाता है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने स्वदेशी हथियारों और रक्षा उपकरणों के निर्माण पर ज़ोर दिया है। इस दिशा में यह डिवाइस भारतीय सेना को तकनीकी रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि यह पोर्टेबल डिवाइस आतंकवादियों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियानों में काफी कारगर सिद्ध होगा। यह हथियार दुश्मनों के ठिकानों को नष्ट करने के लिए तेजी से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे जवानों को ज्यादा खतरे का सामना नहीं करना पड़ेगा।
'अग्निअस्त्र' भारतीय सेना के लिए एक बड़ा गेम-चेंजर साबित हो सकता है। इसका विकास भारत की सैन्य ताकत और स्वदेशी हथियार निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान है। आतंकवादियों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियानों में यह डिवाइस जवानों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और दुश्मनों के खतरनाक ठिकानों को तेजी से नष्ट करने में सक्षम है। इस तरह के हथियारों का विकास भारतीय सेना की तकनीकी क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ 'मेक इन इंडिया' पहल को भी मजबूत बनाता है।