मणिपुर संकट: केंद्र सरकार की पहल पर पहली बार कुकी, मैतेई और नागा नेताओं के बीच दिल्ली में शांति वार्ता
के कुमार आहूजा 2024-10-16 06:01:23
छले 17 महीनों से जारी हिंसा के बीच केंद्र सरकार की पहल पर पहली बार कुकी, मैतेई और नागा समुदायों के प्रतिनिधियों के बीच दिल्ली में अहम वार्ता हुई। इस बैठक का उद्देश्य मणिपुर में जारी तनाव को खत्म कर शांति बहाल करना था। बैठक से जनता और सरकार को शांति की दिशा में एक नई उम्मीद मिली है, लेकिन कुछ नेताओं ने इसे "नजर का धोखा" करार दिया है।
विस्तृत रिपोर्ट:
मंगलवार को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा दिल्ली में आयोजित एक ऐतिहासिक बैठक में मणिपुर के कुकी, मैतेई और नागा समुदायों के विधायकों ने पहली बार एक साथ शांति वार्ता की। इस वार्ता में मणिपुर के विभिन्न समुदायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों ने भाग लिया और राज्य में जारी हिंसा पर चर्चा की। हालांकि, इस वार्ता के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन कुकी विधायकों ने कहा कि वे संयुक्त बैठक में मैतेई और नागा विधायकों के साथ नहीं बैठे।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि, "मणिपुर विधानसभा के विभिन्न समुदायों के विधायकों ने राज्य की स्थिति पर चर्चा की और सर्वसम्मति से अपील की कि सभी समुदायों के लोग हिंसा का रास्ता छोड़ें, ताकि निर्दोष नागरिकों की जान बचाई जा सके।"
बैठक में शामिल नेता:
इस बैठक में भाजपा के मणिपुर प्रभारी सम्बित पात्रा, गृह मंत्रालय में पूर्वोत्तर मामलों के सलाहकार ए.के. मिश्रा, और आईबी के उप निदेशक राजेश कुंबले उपस्थित थे। नागा समुदाय की ओर से तीन प्रमुख विधायक आवांगबो न्यूमाई, एल दिको, और राम मुइवाह ने बैठक में भाग लिया। इसके अलावा, मणिपुर के कुकी विधायकों में हाओखोलेट किपजेन, लेटपाओ हाओकिप, नगुरसंगलुर सनाटे, और नेमचा किपजेन शामिल थे। मैतेई पक्ष से मणिपुर विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यब्रत, और विधायक थोंगम बिस्वजीत, थौनाओजम बसंतकुमार, डॉ सापम रंजन, थोकचोम राधेश्याम, और तोंगब्राम रॉबिंड्रो ने बैठक में भाग लिया।
बैठक में सभी समुदायों के नेताओं ने राज्य में शांति और स्थिरता लाने के लिए आवश्यक कदमों पर विचार किया। इस बैठक में हालांकि कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया गया, लेकिन सूत्रों के अनुसार सभी आवश्यक मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनका उद्देश्य मणिपुर की स्थिति को सामान्य बनाना है।
कुकी नेताओं का असंतोष:
कुकी समुदाय के नेताओं ने इस बैठक को महज दिखावा करार दिया। कुकी विधायक पाओलियनलाल हाओकिप ने कहा कि यदि केंद्र सरकार मणिपुर में जारी हिंसा का राजनीतिक समाधान निकालने को लेकर गंभीर होती, तो यह बैठक गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में होती। उन्होंने यह भी कहा कि इस बैठक के लिए केवल टेलीफोनिक निमंत्रण दिया गया, जो इस महत्वपूर्ण बैठक के लिए उचित नहीं था।
कुकी समुदाय की मांग:
कुकी समुदाय के प्रतिनिधियों ने गृह मंत्रालय से अलग बैठक की और उनकी प्रमुख मांग संघ शासित प्रदेश (UT) का दर्जा प्राप्त करना है, जिसमें एक विधायिका हो। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के प्रवक्ता गिन्ज़ा ने कहा कि जब तक इस मांग पर विचार नहीं किया जाता, शांति वार्ता सफल नहीं हो सकती। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कुकी विधायकों ने मैतेई और नागा विधायकों के साथ बैठक में भाग नहीं लिया और वे किसी संयुक्त वार्ता में तभी शामिल होंगे, जब विभिन्न कुकी समुदाय संगठनों से सलाह-मशविरा किया जाएगा।
मणिपुर की स्थिति:
मणिपुर में हिंसा मई 2023 से शुरू हुई थी, जिसके बाद से अब तक 220 से अधिक नागरिक मारे जा चुके हैं और 65,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। यह हिंसा मुख्य रूप से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच भूमि और आरक्षण संबंधी विवादों के कारण उत्पन्न हुई है। इस बैठक का उद्देश्य इस हिंसा को समाप्त कर शांति बहाल करना था, लेकिन नेताओं के असंतोष ने इसे और जटिल बना दिया है।
दिल्ली में हुई इस बैठक ने मणिपुर की स्थिति को लेकर शांति की दिशा में एक नया मार्ग प्रशस्त किया है, लेकिन कुकी नेताओं की मांगों और असंतोष ने इस शांति प्रक्रिया को और जटिल बना दिया है। अब सभी की निगाहें केंद्र सरकार की अगली पहल पर टिकी हैं कि वे मणिपुर में शांति कैसे बहाल करेंगे।