दुनियाभर में 2025 तक सड़कों पर दौड़ेंगी 85 मिलियन इलेक्ट्रिक गाड़ियां, भारत में 5 लाख EVs का अनुमान


के कुमार आहूजा  2024-10-16 05:41:03



 

इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की दुनिया में क्रांति की हवा चल पड़ी है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। जहां दुनियाभर में इलेक्ट्रिक गाड़ियां सड़कों पर दौड़ने की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहीं भारत में भी इस सेक्टर में बड़ी वृद्धि देखी जा रही है। 2025 तक 85 मिलियन से ज्यादा EVs के सड़कों पर होने की उम्मीद है, जिसमें भारत का योगदान 5 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों का होगा।

विस्तृत रिपोर्ट:

एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के अंत तक वैश्विक सड़कों पर 85 मिलियन इलेक्ट्रिक गाड़ियां दौड़ेंगी, और भारत में इस दौरान 5 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों की उपस्थिति का अनुमान लगाया गया है। यह आंकड़ा सरकार द्वारा दिए गए प्रोत्साहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने वाली योजनाओं के चलते प्राप्त होगा।

गार्टनर की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 तक वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या 64 मिलियन तक पहुंच जाएगी और 2025 तक इसमें 33 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इसके तहत बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEVs) का उपयोग 2024 के अंत तक लगभग 62 मिलियन यूनिट तक हो जाएगा, जो 2025 में 35 प्रतिशत की वृद्धि के साथ अधिक हो जाएगा। दूसरी ओर, प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (PHEVs) की दर में भी बढ़ोतरी होने की संभावना है और 2025 तक इसकी संख्या 23 मिलियन यूनिट तक पहुंच सकती है।

भारत में EV का तेजी से बढ़ता भविष्य

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में 2025 तक 51 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 के अंत तक भारत में सड़कों पर लगभग 5 लाख EVs होंगी, जिनमें से 3,70,000 BEVs और 1,29,500 PHEVs शामिल होंगे। इस वृद्धि के पीछे का मुख्य कारण सरकार द्वारा चलाई जा रही फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) जैसी योजनाएं हैं, जो इलेक्ट्रिक वाहनों को पेट्रोल या डीजल वाहनों की तुलना में किफायती बना रही हैं।

गार्टनर के विश्लेषक जोनाथन डेवनपोर्ट के अनुसार, कई कंपनियों ने अनुमान लगाया था कि इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर स्विच तेजी से होगा, लेकिन यह अपेक्षा से धीमा हुआ। यही कारण है कि कई कंपनियों ने अपने नए EV मॉडल लॉन्च करने में देरी की। हालांकि, अब स्थिति बदल रही है और उपभोक्ता पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

भविष्य की चुनौतियां और समाधान

रिपोर्ट के अनुसार, EV की मांग बढ़ने के साथ-साथ एक बड़ी चुनौती खनिजों और कच्चे माल की कमी के रूप में सामने आ रही है। लेकिन, 2030 तक, वाहन निर्माता EV की बैटरियों का 95 प्रतिशत रीसाइक्लिंग करने में सक्षम होंगे। यह कच्चे माल की कमी से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। साथ ही, यूरोपियन यूनियन भी बैटरी रीसाइक्लिंग को अनिवार्य बनाने के प्रयास कर रही है, जिससे खनिज खुदाई की आवश्यकता कम होगी।

भारत में ग्राहकों का झुकाव इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि वे लंबे समय में न केवल सस्ती साबित हो रही हैं, बल्कि प्रदूषण कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इसके अलावा, AI और डिजिटल इंजीनियरिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग भी EVs की वृद्धि में योगदान दे रहा है।

इलेक्ट्रिक वाहन न केवल आने वाले समय में सड़कों पर हावी होंगे, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी होने के कारण उपभोक्ताओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। सरकार की योजनाएं और प्रोत्साहन इस क्रांति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।


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