महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला: स्टाम्प ड्यूटी में 400 प्रतिशत बढ़ोतरी, जानें क्या है नया प्रावधान


के कुमार आहूजा  2024-10-16 05:12:28



 स्टाम्प ड्यूटी को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है, जो हर नागरिक और व्यवसायी को प्रभावित करेगा। अब दस्तावेज़ों, हलफनामों और शेयर कैपिटल पर स्टाम्प ड्यूटी में भारी बढ़ोतरी कर दी गई है। इस नए नियम के तहत, स्टाम्प ड्यूटी 100 रुपये से सीधे 500 रुपये तक बढ़ा दी गई है। आइए, जानते हैं इस फैसले का विस्तार से क्या असर होगा और किन-किन क्षेत्रों में यह लागू किया जाएगा।

विस्तृत रिपोर्ट:

महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए महाराष्ट्र स्टाम्प एक्ट, 1958 में संशोधन किया है। सोमवार को जारी किए गए एक अध्यादेश के अनुसार, विभिन्न कानूनी दस्तावेज़ों और समझौतों पर लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी को बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया है। इससे पहले यह राशि 100 रुपये थी। इसके अलावा, शेयर कैपिटल पर लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी भी 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी गई है।

आर्थिक बढ़त का उद्देश्य

राजस्व विभाग के अनुसार, इन संशोधनों का मुख्य उद्देश्य स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन से होने वाली आय में वृद्धि करना है। सरकार का मानना है कि इन बदलावों से लगभग 2,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राजस्व प्राप्ति होगी। कर्नाटक में लागू किए गए इसी तरह के प्रावधानों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। सरकार के इस निर्णय के पीछे का तर्क यह है कि स्टाम्प ड्यूटी राज्य के प्रमुख राजस्व स्रोतों में से एक है, और इसके जरिए वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ किया जा सकता है।

2023-24 के वित्तीय वर्ष में राज्य ने स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन के माध्यम से लगभग 40,000 करोड़ रुपये की कमाई की थी। नए संशोधनों के साथ, यह आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है।

मुख्य बदलाव

राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजेश कुमार ने बताया कि स्टाम्प ड्यूटी की दरों को सरल और समान बनाने के उद्देश्य से यह संशोधन किया गया है। जहां भी 100 रुपये का प्रावधान था, उसे अब 500 रुपये कर दिया गया है। प्रमुख बदलावों में शामिल हैं:

आर्टिकल 4: इस आर्टिकल के तहत हलफनामे और सरकारी अथवा अर्द्ध-सरकारी निकायों के समक्ष निष्पादित दस्तावेजों पर न्यूनतम स्टाम्प ड्यूटी 500 रुपये की जाएगी।

आर्टिकल 10: शेयर कैपिटल पर स्टाम्प ड्यूटी की दर और इसकी अधिकतम सीमा को बढ़ाया गया है।

आर्टिकल 47: साझेदारी से संबंधित दस्तावेजों के लिए न्यूनतम स्टाम्प ड्यूटी 500 रुपये और अधिकतम 50,000 रुपये निर्धारित की गई है। साझेदारी के विघटन पर भी अब 500 रुपये की ड्यूटी लगाई जाएगी।

आर्टिकल 52 और 58: इन दोनों आर्टिकल्स में 200 रुपये की जगह 500 रुपये की स्टाम्प ड्यूटी लगेगी।

अध्यादेश का प्रभाव

यह अध्यादेश सोमवार से ही लागू हो गया है, जिसका सीधा असर राज्य के व्यापारिक और औद्योगिक वर्ग पर पड़ेगा। विशेष रूप से शेयर कैपिटल पर लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी में बढ़ोतरी ने बड़ी कंपनियों और निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में 30 सितंबर को हुई कैबिनेट बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी।

इस संशोधन से दस्तावेज़ों और समझौतों पर लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी की प्रक्रिया सरल हो गई है, साथ ही राज्य सरकार को राजस्व में भारी वृद्धि की उम्मीद है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और भविष्य की चुनौतियां

सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। विपक्ष का मानना है कि यह फैसला आम जनता और छोटे व्यापारियों पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता है। वहीं, सरकार का दावा है कि इससे राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार आएगा और यह आर्थिक रूप से एक आवश्यक कदम है।

इसके अलावा, व्यापारिक समुदाय और नागरिक संगठनों ने भी इस बढ़ोतरी पर सवाल उठाए हैं। कई लोगों का मानना है कि 100 रुपये से 500 रुपये तक की बढ़ोतरी अत्यधिक है और इससे छोटे कारोबारियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

बहरहाल, महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्टाम्प ड्यूटी में की गई इस भारी बढ़ोतरी का प्रभाव हर वर्ग पर पड़ेगा, खासकर उन लोगों पर जो नियमित रूप से कानूनी दस्तावेज़ तैयार करते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस निर्णय के बाद सरकार को कितना राजस्व मिलता है और आम जनता और व्यापार जगत इस बदलाव को कैसे स्वीकार करता है।


global news ADglobal news ADglobal news AD