सितंबर में महंगाई दर 5.49 फीसदी तक उछली, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि


के कुमार आहूजा  2024-10-15 10:06:24



सितंबर में महंगाई दर 5.49 फीसदी तक उछली, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि

सितंबर 2024 में भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई दर में अचानक तेज़ उछाल देखा गया, जो अगस्त के 3.65% से बढ़कर 5.49% हो गई। महंगाई दर में इस उछाल का मुख्य कारण मौसमी अनियमितताएँ और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि माना जा रहा है। क्या यह बढ़ती महंगाई आपके बजट को और प्रभावित करेगी? जानिए इस रिपोर्ट में विस्तार से।

महंगाई दर में तेज़ी का कारण

भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2024 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई दर 5.49% दर्ज की गई, जो कि अगस्त की 3.65% की तुलना में काफी अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर 5.87% और शहरी क्षेत्रों में 5.05% रही। खाद्य वस्तुओं के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CFPI) महंगाई दर 9.24% पर पहुंच गई है, जो यह दर्शाता है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस महंगाई में तेज़ी का मुख्य कारण खराब मॉनसून और मौसम की अनियमितताएँ हैं, जिन्होंने खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया है। अनियमित बारिश और मौसम की अन्य चुनौतियों के कारण फसल उत्पादन में गिरावट आई, जिसके परिणामस्वरूप खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई।

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि

सितंबर में महंगाई दर में तेज़ी के पीछे मुख्य वजह खाद्य वस्तुओं की कीमतों का बढ़ना है। दालें, मसाले, मांस, मछली और चीनी जैसी वस्तुओं की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई, लेकिन कुल मिलाकर खाद्य महंगाई काफी बढ़ गई। यह वृद्धि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समान रूप से देखी गई, जिससे आम आदमी पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव पड़ा है।

आवास और बिजली के क्षेत्र में भी महंगाई का असर

खाद्य वस्तुओं के अलावा, आवास क्षेत्र में भी महंगाई दर में वृद्धि देखी गई। शहरी क्षेत्रों में आवास महंगाई दर अगस्त के 2.66% से बढ़कर 2.78% हो गई। वहीं, देशभर में बिजली की कीमतों में भी वृद्धि दर्ज की गई, जिससे बिजली सूचकांक सितंबर में 162.5 रहा और बिजली की महंगाई दर 5.45% रही।

RBI की नीतिगत प्रतिक्रिया

एसएएमसीओ सिक्योरिटीज के अपूर्व सेठ ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पहले से ही महंगाई के बढ़ने की संभावना को भांपते हुए अपनी मौद्रिक नीति में दरों को स्थिर रखा। उन्होंने यह भी कहा कि यह बढ़ती महंगाई दर आरबीआई को दरों में कटौती करने में और विलंब करा सकती है, खासकर जब वैश्विक स्तर पर अन्य केंद्रीय बैंक ऐसा कर रहे हैं।

हालांकि, कोर महंगाई दर (जो खाद्य और ऊर्जा को छोड़कर होती है) अभी भी नियंत्रित है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई प्रमुख कारण बनी हुई है। आगामी वित्तीय वर्ष के लिए महंगाई दर के औसतन 4.5% रहने की उम्मीद जताई जा रही है, जबकि RBI तब तक किसी बड़े बदलाव की प्रतीक्षा करेगा जब तक महंगाई में लगातार गिरावट के संकेत नहीं मिलते।

भविष्य की चुनौतियां

महंगाई का मौजूदा स्तर और मौसम की अनिश्चितता आने वाले महीनों में भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक चुनौती बनी रहेगी। हालांकि, सरकार और केंद्रीय बैंक सतर्क हैं और इस चुनौती से निपटने के लिए विभिन्न कदम उठा रहे हैं, लेकिन आम जनता के लिए बढ़ती महंगाई की मार एक गंभीर मुद्दा है।


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