सीमा पर्यटन से बढ़ी रौनक: जम्मू-कश्मीर प्रशासन की पहल से बाबा चमलियाल बन रहा पर्यटन केंद्र 


के कुमार आहूजा  2024-10-14 19:16:41



सीमा पर्यटन से बढ़ी रौनक: जम्मू-कश्मीर प्रशासन की पहल से बाबा चमलियाल बन रहा पर्यटन केंद्र 

भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर लंबे समय से जारी तनाव और गोलीबारी के बाद 2018 में हुए संघर्षविराम ने जम्मू-कश्मीर में स्थिति में बड़ा सुधार किया है। इस शांति के बाद से, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और पर्यटन विभाग ने सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम उठाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। विशेष रूप से, सांबा जिले के रामगढ़ सेक्टर में स्थित प्रसिद्ध बाबा चमलियाल मंदिर अब पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है।

बाबा चमलियाल मंदिर: शांति और सद्भाव का प्रतीक

बाबा चमलियाल मंदिर, जो कभी भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सद्भाव का प्रतीक माना जाता था, आज भी हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। विशेषकर वार्षिक मेले के दौरान, यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक जुटते हैं। संघर्षविराम से पहले यहां गोलीबारी का डर बना रहता था, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है और लोग बेखौफ मंदिर का दौरा कर रहे हैं।

सांबा के डिप्टी कमिश्नर, राजेश शर्मा ने बताया कि जिले की 55 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा के कई स्थानों में पर्यटन को आकर्षित करने की क्षमता है, जिनमें बाबा चमलियाल मंदिर, 300 साल पुराना बामू चक मंदिर, बाबा बाली करणजी मंदिर और बाबा सिध गोरिया मंदिर प्रमुख हैं। उन्होंने कहा, "केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन दोनों ही सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं।"

पर्यटन से विकास और रोजगार के अवसर

बाबा चमलियाल मंदिर समिति के अध्यक्ष, बिल्लू चौधरी ने बताया, “मंदिर में साल भर श्रद्धालु आते रहते हैं, लेकिन जून में होने वाले वार्षिक मेले में लाखों की भीड़ होती है। 2018 के संघर्षविराम के बाद से पर्यटक बिना किसी डर के यहां आते हैं। इससे पहले, यहां आने में भी हम डरा करते थे।" सरकार की होमस्टे योजना के चलते अब सीमावर्ती क्षेत्रों में नए रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं, जिससे स्थानीय लोग काफी खुश हैं।

मंदिर के पुजारी, चेतन शर्मा ने कहा, “तीन-चार साल पहले तक यहां गोलीबारी का डर रहता था, लेकिन अब पर्यटक बिना किसी डर के आते हैं। यह सरकार का बहुत अच्छा कदम है, जिससे क्षेत्र में विकास हो रहा है और लोगों को रोजगार मिल रहा है।”

होमस्टे योजनाओं से मिल रही सुविधाएं

डिप्टी कमिश्नर राजेश शर्मा ने यह भी बताया कि पर्यटकों को आवास की समस्या का सामना करना पड़ता है, इसलिए प्रशासन द्वारा होमस्टे जैसी योजनाओं को विकसित किया जा रहा है। इस पहल से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। प्रशासन का उद्देश्य है कि सीमावर्ती क्षेत्रों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित कर पर्यटकों की संख्या बढ़ाई जाए और इन क्षेत्रों की समृद्धि में योगदान किया जाए।

संघर्षविराम के बाद की शांति और नई संभावनाएं

2018 में हुए संघर्षविराम ने जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है। पहले जहां गोलियों की गूंज सुनाई देती थी, वहीं अब इन क्षेत्रों में पर्यटन और धार्मिक यात्रा के लिए लोग आने लगे हैं। बाबा चमलियाल मंदिर, जो कभी डर और आशंका का स्थान था, अब शांति और समृद्धि का केंद्र बन चुका है।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा शुरू की गई सीमा पर्यटन पहल ने बाबा चमलियाल मंदिर जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को पुनर्जीवित किया है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, बल्कि इन क्षेत्रों में पर्यटन की भी बड़ी संभावनाएं उभर रही हैं। संघर्षविराम के बाद उत्पन्न शांति और स्थिरता ने इन सीमावर्ती क्षेत्रों को एक नया जीवन दिया है, जिससे भविष्य में और अधिक विकास की उम्मीद है।


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