एमपी के झाबुआ में ड्रग फैक्ट्री पर बड़ी कार्रवाई, 112 किलो मेफेड्रोन जब्त, 4 गिरफ्तार
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2024-10-14 12:28:17
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के मेघनगर में ड्रग फैक्ट्री पर छापेमारी के दौरान राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने 112 किलो मेफेड्रोन ड्रग जब्त की। ये छापेमारी अवैध ड्रग निर्माण के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई के रूप में देखी जा रही है। इस ड्रग का उपयोग देश के युवाओं के बीच बढ़ती चिंता का कारण बना हुआ है। आइए जानते हैं इस घटना के बारे में पूरी जानकारी।
विस्तृत रिपोर्ट:
झाबुआ जिले के मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक फैक्ट्री में रविवार को छापेमारी के दौरान डीआरआई अधिकारियों ने 112 किलो मेफेड्रोन जब्त की, जिसमें 36 किलो पाउडर और 76 किलो लिक्विड रूप में था। यह ड्रग्स मेफेड्रोन, जिसे आमतौर पर "म्याऊ म्याऊ" के नाम से भी जाना जाता है, एक साइकोट्रोपिक पदार्थ है जो नशीली दवाओं और मनोवैज्ञानिक विकार अधिनियम (NDPS) के तहत आता है।
कैसे हुई कार्रवाई?
विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर, डीआरआई ने रविवार सुबह तड़के इस फैक्ट्री पर छापा मारा। फैक्ट्री में अवैध रूप से मेफेड्रोन का उत्पादन किया जा रहा था। छापेमारी के दौरान अधिकारियों ने न केवल ड्रग्स को जब्त किया बल्कि अवैध ड्रग निर्माण में उपयोग किए जाने वाले उपकरण और कच्चे माल को भी सील कर दिया। फैक्ट्री को बंद कर दिया गया है और चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें फैक्ट्री का डायरेक्टर भी शामिल है।
फॉरेंसिक जांच और परीक्षण
डीआरआई ने जब्त किए गए ड्रग्स के नमूनों को फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला भेजा, जहां प्रारंभिक परीक्षण में नमूनों में मेफेड्रोन की पुष्टि हुई। इससे यह स्पष्ट हो गया कि इस फैक्ट्री में बड़े पैमाने पर अवैध ड्रग्स का उत्पादन हो रहा था, जिसे देश के युवाओं के बीच वितरित किया जा सकता था।
DRI की बढ़ती सक्रियता
डीआरआई के बयान के अनुसार, इस छापेमारी से न केवल मेफेड्रोन के अवैध निर्माण की फैक्ट्री का पर्दाफाश हुआ, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि डीआरआई अवैध ड्रग निर्माण और वितरण में शामिल सिंडिकेट्स को नष्ट करने में सक्षम है। इस ऑपरेशन ने नशीली दवाओं और साइकोट्रोपिक पदार्थों की तस्करी को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
क्या है मेफेड्रोन?
मेफेड्रोन एक मनोरंजक ड्रग है जिसे ड्रोन, M-CAT, व्हाइट मैजिक, म्याऊ म्याऊ और बबल जैसे नामों से भी जाना जाता है। इसका इस्तेमाल आमतौर पर नाक के जरिए या मौखिक रूप से किया जाता है। यह ड्रग यूजर्स के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है और इसका व्यापक दुरुपयोग हो रहा है। इसकी तस्करी और उपयोग भारत में खासकर युवाओं के बीच चिंता का कारण बन गया है।
गिरफ्तारी और अगली कार्रवाई
डीआरआई ने इस ऑपरेशन में चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें फैक्ट्री का डायरेक्टर भी शामिल है। इन पर एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि मामले की आगे की जांच की जा रही है ताकि इस सिंडिकेट के अन्य लोगों को भी पकड़ने की दिशा में कदम उठाए जा सकें।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
यह ड्रग्स न केवल युवाओं के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है बल्कि इसके सामाजिक और आर्थिक परिणाम भी गंभीर हो सकते हैं। नशीली दवाओं का अवैध व्यापार न केवल अपराध को बढ़ावा देता है, बल्कि यह युवाओं के जीवन को भी बर्बाद कर रहा है। डीआरआई की यह कार्रवाई इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है ताकि देश को इस गंभीर खतरे से बचाया जा सके।
इस कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नशीली दवाओं के अवैध निर्माण और व्यापार के खिलाफ डीआरआई पूरी तरह से सतर्क और सक्रिय है। 112 किलो मेफेड्रोन की जब्ती एक बड़ी उपलब्धि है जो दिखाती है कि नशीली दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं।