जैसलमेर में डेंगू और मलेरिया का कहर, अस्पतालों में मरीजों की बाढ़, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2024-10-14 06:47:29
मानसून की तेज बारिश के बाद राजस्थान के जैसलमेर में मच्छर जनित बीमारियों, विशेष रूप से मलेरिया और डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। लगातार बढ़ते जलभराव और खराब सफाई व्यवस्था के चलते हालात और भी गंभीर हो गए हैं। सरकारी अस्पतालों से लेकर निजी चिकित्सा केंद्रों तक मरीजों की संख्या में बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है। आखिर इस आपदा के पीछे क्या कारण हैं और स्वास्थ्य विभाग की क्या तैयारियां हैं?
विस्तृत रिपोर्ट:
राजस्थान में मानसून के बाद बढ़ते जलभराव ने जैसलमेर को मच्छर जनित बीमारियों के चपेट में डाल दिया है। विशेष रूप से मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का प्रकोप तेज़ी से फैल रहा है। जैसलमेर के राजकीय जवाहर अस्पताल में इन दिनों मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। सामान्यत: 800-900 मरीज ओपीडी में आते थे, लेकिन अब यह संख्या 1600 तक पहुंच गई है। अस्पताल में लंबी कतारें, पर्ची काउंटर पर भीड़ और इलाज के लिए इंतजार करती जनता अब आम दृश्य बन गया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक 132 मलेरिया के मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 7 मरीज डेंगू से संक्रमित पाए गए हैं। वहीं, निजी अस्पतालों में भी रोजाना 10-15 मलेरिया मरीजों की पहचान हो रही है। हालांकि, निजी अस्पतालों में किए जा रहे मलेरिया परीक्षण कार्ड आधारित होते हैं, जिन्हें सरकार मान्यता नहीं देती, जबकि सरकारी अस्पतालों में स्लाइड टेस्ट किया जाता है, जिसे अधिक विश्वसनीय माना जाता है।
पिछले साल भी जैसलमेर मलेरिया के मामलों में सबसे आगे रहा था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जिले में 190 मलेरिया केस सामने आए थे, लेकिन निजी अस्पतालों के आंकड़ों के अनुसार, यह संख्या 500 से अधिक हो सकती है। इस साल की स्थिति भी उसी दिशा में बढ़ रही है, और स्वास्थ्य विभाग की पर्याप्त कार्रवाई न होने के कारण समस्या और गंभीर हो सकती है।
स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां:
जैसलमेर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) के अनुसार, इस बार बारिश अधिक होने के कारण मच्छरों की संख्या बढ़ गई है। हालांकि, चिकित्सा विभाग ने मलेरिया और डेंगू को नियंत्रित करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। शहर में 11 एंटी लार्वा टीमें गठित की गई हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 222 आशा और एएनएम की टीमें घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रही हैं। पानी के टांकों में टेमिफोस डाला जा रहा है, जो लार्वा को मारता है।
इसके साथ ही, जिन इलाकों में जलभराव की समस्या है, वहां मच्छरों के खात्मे के लिए गंबूसिया मछलियों को छोड़ा जा रहा है। ये मछलियां मच्छरों के लार्वा को खा जाती हैं और मच्छर जनित बीमारियों के प्रसार को रोकने में मदद करती हैं। लेकिन, हकीकत यह है कि चिकित्सा विभाग की यह गतिविधियां अक्सर औपचारिकताओं तक सीमित रहती हैं, और मच्छरों का खात्मा प्रभावी रूप से नहीं हो पाता।
स्थानीय निवासियों और संगठनों की प्रतिक्रिया:
स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों ने भी मलेरिया और डेंगू के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से यह संकट बढ़ रहा है। अगर जल्द ही पर्याप्त सफाई और एंटी लार्वा कार्यक्रमों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आने वाले दिनों में यह संकट और भयावह हो सकता है।
जैसलमेर में मच्छर जनित बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, और सरकारी प्रयास इस चुनौती को रोकने के लिए अपर्याप्त दिख रहे हैं। जब तक स्वास्थ्य विभाग जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से काम नहीं करता और मच्छरों के खात्मे के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक इन बीमारियों से निपटने की चुनौती बनी रहेगी। जनता और सरकारी विभागों के बीच समन्वय और जागरूकता ही इस संकट को हल करने की दिशा में पहला कदम हो सकता है।