इराकी विदेश मंत्री की चेतावनी: मध्य पूर्व संकट का विस्तार रोकने की जरूरत, इराकी हवाई क्षेत्र के दुरुपयोग को नकारा


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2024-10-14 05:57:04



 

मध्य पूर्व में जारी संकट के बीच, इराकी विदेश मंत्री फुआद हुसैन ने क्षेत्रीय संघर्ष के विस्तार की संभावना पर गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इराकी हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल पड़ोसी देशों पर हमले के लिए स्वीकार्य नहीं है। इस रिपोर्ट में जानिए इराक की इस कूटनीतिक प्रतिक्रिया के पूरे पहलू और इसके संभावित प्रभाव।

विस्तृत रिपोर्ट:

रविवार को बगदाद में आयोजित एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, इराकी विदेश मंत्री फुआद हुसैन ने अपने ईरानी समकक्ष अब्बास अराघची के साथ मध्य पूर्व में तेजी से बिगड़ते हालात पर गहरी चिंता व्यक्त की। हुसैन ने स्पष्ट रूप से कहा कि "इस्राइली आक्रमण के कारण लेबनान में एक और युद्ध छिड़ने की संभावना है," जो पूरे क्षेत्र को अराजकता में धकेल सकता है। इराक इस क्षेत्रीय संघर्ष से दूर रहना चाहता है और वह किसी भी तरह से इसमें नहीं फंसना चाहता।

इराकी हवाई क्षेत्र का उपयोग अस्वीकार्य:

हुसैन ने कड़े शब्दों में कहा कि इराकी हवाई क्षेत्र का उपयोग किसी भी तरह के हमले के लिए नहीं किया जाएगा। खासतौर पर पड़ोसी देश ईरान पर हमले के लिए इसका उपयोग पूरी तरह अस्वीकार्य है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ऐसा होता है तो इसका असर न केवल क्षेत्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गंभीर हो सकता है, खासकर वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और नेविगेशन पर। यह बयान वैश्विक व्यापार और तेल आपूर्ति के संभावित व्यवधान की ओर संकेत करता है, जो दुनिया भर में ऊर्जा संकट पैदा कर सकता है।

ईरानी कूटनीति की प्रतिक्रिया:

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने भी हुसैन की चिंताओं की पुष्टि की और इस्राइल को इस संकट का मुख्य कारण बताया। अराघची ने कहा कि "ईरान युद्ध से नहीं डरता, लेकिन हम इसे बढ़ावा नहीं देना चाहते।" उनका यह बयान संकेत देता है कि ईरान क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन यदि आवश्यक हुआ तो वह अपनी सुरक्षा के लिए तैयार भी है।

अराघची ने इस्राइल पर आरोप लगाया कि गाज़ा में चल रहे युद्ध और उसके परिणामस्वरूप पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है, जिससे अन्य देशों के लिए भी खतरा उत्पन्न हो रहा है। इससे साफ है कि ईरान, इस्राइल की आक्रामक नीतियों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समर्थन चाहता है।

क्षेत्रीय स्थिरता के लिए कूटनीतिक प्रयास:

अराघची और हुसैन दोनों ने इस बात पर बल दिया कि इराक और ईरान क्षेत्रीय स्थिरता के लिए कूटनीतिक रास्तों का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि गहराते संघर्ष से निपटने के लिए सभी देशों को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। हुसैन ने कहा कि इराक, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के प्रति प्रतिबद्ध है और संघर्ष को बढ़ने से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएगा।

राजनैतिक वार्ता की दिशा में कदम:

अराघची की यह बगदाद यात्रा राजनीतिक वार्ता को आगे बढ़ाने और क्षेत्र में शांति स्थापित करने के प्रयास का हिस्सा है। उन्होंने इराक के राष्ट्रपति अब्दुल लतीफ रशीद और प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी से मुलाकात की। इन बैठकों का उद्देश्य था, ईरान और इराक के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और क्षेत्रीय मुद्दों पर समन्वय बढ़ाना।

बहरहाल, मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और इराक के इस बयान से साफ है कि क्षेत्रीय संघर्ष के परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं। इराक और ईरान ने अपने रुख को स्पष्ट करते हुए इस्राइली आक्रमण के खिलाफ आवाज उठाई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में क्या कदम उठाए जाते हैं और यह संकट किस दिशा में जाता है।


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