जेशोरेश्वरी मंदिर से चोरी हुआ मोदी द्वारा भेंट किया गया काली माँ का मुकुट, हिंदू समुदाय में रोष


के कुमार आहूजा  2024-10-13 17:16:16



जेशोरेश्वरी मंदिर से चोरी हुआ मोदी द्वारा भेंट किया गया काली माँ का मुकुट, हिंदू समुदाय में रोष

बांग्लादेश के सतखीरा जिले के प्रसिद्ध जेशोरेश्वरी मंदिर से काली माँ की मुकुट की चोरी ने ना सिर्फ स्थानीय हिंदू समुदाय को हिलाकर रख दिया है बल्कि भारत तक में इस घटना से चिंता बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2021 में भेंट किए गए इस मुकुट की चोरी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

घटना का विस्तृत विवरण

दुर्गा पूजा, जो बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए सबसे बड़ा त्योहार है, इस बार शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। लेकिन, उत्सव के बीच, सतखीरा जिले के प्रसिद्ध जेशोरेश्वरी काली मंदिर से चोरी की घटना ने सनसनी फैला दी। इस मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि इसे 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है। इस मंदिर में माँ काली की प्रतिमा पर जो मुकुट था, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2021 में भेंट किया गया था।

चोरी का संदर्भ

यह मुकुट सोने और चांदी से बना हुआ था, और इसका चोरी हो जाना एक गंभीर घटना मानी जा रही है। भारतीय उच्चायोग ने इस चोरी पर गहरी चिंता व्यक्त की है और बांग्लादेशी अधिकारियों से इस मामले की त्वरित जांच की मांग की है। चूंकि इस मुकुट का प्रधानमंत्री मोदी से जुड़ाव है, यह घटना केवल एक साधारण चोरी नहीं मानी जा रही है, बल्कि इसे एक सोची-समझी साजिश के रूप में देखा जा रहा है।

संदिग्ध साजिश और आतंकवादी गठजोड़

रिपोर्ट्स के अनुसार, यह चोरी किसी आम चोरी का हिस्सा नहीं हो सकती है, बल्कि इसे बांग्लादेश में सक्रिय कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों की साजिश के तौर पर देखा जा रहा है। इन संगठनों में जमात-ए-इस्लामी को विशेष रूप से प्रमुख माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य बांग्लादेश को शरीयत-आधारित देश बनाना है। इसके अलावा, इन संगठनों ने हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय को डराने और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने की कई घटनाओं को अंजाम दिया है।

सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस चोरी का एक संदिग्ध व्यक्ति सीसीटीवी फुटेज में कैद हुआ है, जिसमें वह मंदिर में घुसते हुए और मुकुट चुराते हुए देखा गया है। हालांकि यह घटना सतही तौर पर एक चोरी की घटना प्रतीत हो सकती है, लेकिन कुछ समय से बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार और उत्पीड़न की घटनाओं में वृद्धि हुई है।

पिछले घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि

यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमले हुए हैं। 2021 में भी दुर्गा पूजा के दौरान फर्जी अफवाहें फैलाकर पंडालों पर हमले किए गए थे। उस समय यह अफवाह फैलाई गई थी कि हिंदू समुदाय ने एक पंडाल में एक इस्लामी धार्मिक पुस्तक रखी है, जिसके बाद देशभर में दंगे भड़क उठे थे। इन दंगों में कई लोगों की मौत हुई थी और कई हिंदू घरों को निशाना बनाया गया था।

हिंदू समुदाय में असुरक्षा की भावना

इस चोरी के बाद से बांग्लादेश के हिंदू समुदाय में एक बार फिर से डर और असुरक्षा का माहौल बन गया है। दुर्गा पूजा से पहले भी कई पंडालों और समितियों को कट्टरपंथियों द्वारा फिरौती की धमकियां दी गई थीं। खुलना जिले में कई पूजा समितियों को गुमनाम पत्र भेजे गए थे, जिनमें उनसे 5 लाख टका की मांग की गई थी, अन्यथा पंडाल लगाने की अनुमति नहीं देने की धमकी दी गई थी।

भारत-बांग्लादेश के संबंधों पर असर

भारत ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है और बांग्लादेश सरकार से इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की है। यह घटना न केवल हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि दोनों देशों के बीच के संबंधों को भी प्रभावित कर सकती है।


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