एक करोड़ की सिगरेट तस्करी का पर्दाफाश: डीआरआई की बड़ी कामयाबी
के कुमार आहूजा 2024-10-13 08:12:24
एक करोड़ की सिगरेट तस्करी का पर्दाफाश: डीआरआई की बड़ी कामयाबी
उत्तर-पूर्वी भारत के रास्ते तस्करी के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, और हाल ही में डीआरआई (राजस्व आसूचना निदेशालय) की टीम ने म्यांमार से गुवाहाटी के रास्ते लाए जा रहे करोड़ों रुपये की सिगरेट की खेप पर कड़ी कार्रवाई की है। दिल्ली तक पहुंचाने से पहले ही इस तस्करी को रोका गया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड के सिगरेट तहखाने में छिपाकर तस्करी की जा रही थी। आइए जानते हैं इस पूरे मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे का नेटवर्क।
घटना का विवरण
बिहार में डीआरआई की टीम ने एक बड़े अभियान के तहत म्यांमार से तस्करी कर लाई जा रही इंडोनेशियाई सिगरेट की खेप को जब्त किया है। यह खेप गायघाट थाना क्षेत्र में स्थित मैठी टोल प्लाजा के पास पकड़ी गई। इस खेप में हुडंग ग्राम इंटरनेशनल ब्रांड की सिगरेट थीं, जो उत्तर प्रदेश नंबर के एक कंटेनर में तहखाने में छिपाकर लाई जा रही थीं। कंटेनर में 7.20 लाख सिगरेट की स्टीक्स थीं, जिनकी कुल कीमत एक करोड़ आठ लाख रुपये आंकी गई है।
दिल्ली में थी खेप की डिलीवरी
यह सिगरेट की खेप दिल्ली पहुंचाई जानी थी। दिल्ली के पब्स और उच्च समाज की पार्टियों में विदेशी ब्रांड की सिगरेट की भारी मांग रहती है। इस बाजार में इन सिगरेटों की कीमत सामान्य से कई गुना ज्यादा होती है, जिससे यह तस्करों के लिए बेहद फायदेमंद धंधा बन गया है। डीआरआई की टीम ने कंटेनर के चालक को गिरफ्तार कर लिया है, जो उत्तर प्रदेश का रहने वाला बताया जा रहा है। फिलहाल उससे पूछताछ जारी है ताकि इस तस्करी के पीछे के पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके।
डीआरआई की लगातार चौकसी
यह पहली बार नहीं है जब डीआरआई ने इस तरह की बड़ी कार्रवाई की है। इससे पहले भी डीआरआई की टीम ने इसी तरह की दो और बड़ी खेप पकड़ी थी।
♦ 4 अगस्त को डीआरआई ने इसी मैठी टोल प्लाजा के पास एक करोड़ 20 लाख रुपये की सिगरेट की खेप पकड़ी थी, जिसमें दक्षिण कोरिया के ब्रांड की सिगरेट शामिल थीं। उस मामले में भी कंटेनर चालक को गिरफ्तार किया गया था।
♦ 26 सितंबर को, डीआरआई ने मोतीपुर के पास एनएच पर नाकेबंदी कर एक और बड़ी कार्रवाई की थी। इस बार एक करोड़ 30 लाख रुपये की सिगरेट जब्त की गई थी। इस मामले में कंटेनर चालक और खलासी दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
सिगरेट तस्करी का नेटवर्क
यह स्पष्ट हो गया है कि तस्करों ने म्यांमार और गुवाहाटी के रास्ते का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली तक अपनी तस्करी का जाल बिछाया है। उत्तर पूर्वी भारत के राज्य, जैसे म्यांमार, अक्सर इस तरह की अवैध तस्करी के केंद्र बनते जा रहे हैं। दिल्ली में ऊंची समाज की पार्टियों और क्लबों में विदेशी ब्रांड की सिगरेट की बड़ी मांग रहती है, जहां इन सिगरेटों की कीमत बेहद ऊंची होती है। यही कारण है कि यह अवैध कारोबार तस्करों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है।
सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती
हालांकि डीआरआई और अन्य सुरक्षा एजेंसियां इन तस्करी गतिविधियों पर नज़र बनाए हुए हैं, फिर भी तस्करों का नेटवर्क लगातार सक्रिय है। तस्करी के बढ़ते मामलों से यह स्पष्ट होता है कि तस्करों ने कई रूट्स और चैनल्स का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, जिससे वे सुरक्षा बलों को चकमा दे सकें। उत्तर पूर्वी सीमा के पार से आने वाली अवैध सामग्रियों पर नज़र रखना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
अंतर्राष्ट्रीय तस्करों का संबंध
इस पूरे मामले में यह भी संभावना जताई जा रही है कि तस्करों का अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क म्यांमार और अन्य देशों के साथ जुड़ा हुआ है। इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया जैसे देशों से सिगरेट तस्करी के जरिए लाकर भारतीय बाजार में बेची जाती है, जिससे इन देशों से संबंध रखने वाले तस्कर भी शामिल हो सकते हैं। तस्करी में इस्तेमाल किए जा रहे कंटेनरों में तहखाने बनाए जाते हैं, जिनसे सिगरेट जैसी सामग्रियों को आसानी से छिपाया जा सके।
डीआरआई की इस बड़ी कार्रवाई ने एक बार फिर तस्करों के नेटवर्क को चुनौती दी है, लेकिन यह भी साफ है कि तस्कर नए-नए तरीकों से इस अवैध कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी के बावजूद यह कारोबार लगातार बढ़ रहा है, और इसे रोकने के लिए और भी सख्त कदम उठाने की जरूरत है। विदेशी सिगरेट की तस्करी न केवल कानूनी रूप से अपराध है, बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।