केंद्र सरकार ने सिख फॉर जस्टिस पर पांच साल का प्रतिबंध बढ़ाया, खालिस्तान समर्थकों में हड़कंप


के कुमार आहूजा  2024-10-13 06:56:00



केंद्र सरकार ने सिख फॉर जस्टिस पर पांच साल का प्रतिबंध बढ़ाया, खालिस्तान समर्थकों में हड़कंप

भारत की सुरक्षा और अखंडता को बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार ने सिख फॉर जस्टिस (SFJ) संगठन पर लगाए गए प्रतिबंध को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है। यह निर्णय एक महत्वपूर्ण संकेत है कि भारत अपने भीतर के राष्ट्र विरोधी तत्वों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है। इस संगठन के बढ़ते प्रभाव और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के चलते सरकार ने यह निर्णय लिया है।

प्रतिबंध की वजहें

जिला उपायुक्त विक्रम सिंह के अनुसार, केंद्र सरकार ने अपनी अधिसूचना में स्पष्ट किया है कि सिख फॉर जस्टिस उन गतिविधियों में लिप्त है, जो देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। संगठन की गतिविधियों में खालिस्तानी राष्ट्र की मांग को लेकर सक्रियता शामिल है, जिसके चलते यह संगठन लगातार राष्ट्र विरोधी कार्यों में संलग्न है।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में यह उल्लेख किया गया है कि इस संगठन ने देश की संप्रभुता पर आघात किया है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह कदम उस समय उठाया गया है जब कनाडा के उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन ने भारत की एकता और अखंडता के समर्थन में बयान दिया है।

गुरपतवंत सिंह पन्नू का विवादित बयान

इस सब के बीच, सिख फॉर जस्टिस के आतंकवादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कनाडा के उप विदेश मंत्री के बयान के जवाब में एक वीडियो जारी किया है। इसमें उसने भारत की संप्रभुता को लेकर धमकी देते हुए कहा है कि सिख फॉर जस्टिस का मिशन 2024 में 'वन इंडिया' को 'नो इंडिया' में बदलना है।

पन्नू ने अमेरिका में रहते हुए भारत के विभिन्न राज्यों जैसे असम, मणिपुर, नागालैंड और जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्रता आंदोलन को बढ़ावा देने की धमकी दी है। इसके साथ ही, उसने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को संबोधित करते हुए अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना भेजने की मांग की है।

कनाडा का राजनीतिक समर्थन

कनाडा के उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन के बयान ने खालिस्तान समर्थकों में हड़कंप मचा दिया है। उन्होंने भारत की एकता और संप्रभुता का समर्थन करते हुए कहा था कि "भारत एक है" और इसकी संप्रभुता का सम्मान किया जाना चाहिए। इस बयान ने सिख फॉर जस्टिस जैसे संगठनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं, क्योंकि इन संगठनों के द्वारा लगातार भारत के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है।

समाज में चिंताएं

केंद्र सरकार द्वारा सिख फॉर जस्टिस पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय न केवल भारत की सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में बढ़ती चिंता को भी दर्शाता है। जब इस तरह के संगठनों की गतिविधियों पर नकेल डाली जाती है, तो यह सामान्य जनता के लिए सुरक्षा और स्थिरता का संदेश देता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की कार्रवाइयाँ भविष्य में ऐसे संगठनों की गतिविधियों को सीमित करने में सहायक होंगी, जो भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं।

भविष्य की चुनौतियाँ

हालाँकि, प्रतिबंध लगाने से ही समस्या का समाधान नहीं होगा। भारत को अपने भीतर के और भी कई तत्वों पर नजर रखनी होगी, जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बन सकते हैं।

केंद्र सरकार को चाहिए कि वह इस प्रकार के संगठनों के खिलाफ न केवल कानून के माध्यम से, बल्कि जन जागरूकता के जरिए भी कार्रवाई करे, ताकि जनता को इनके असली उद्देश्यों के बारे में पता चले और वे इन संगठनों से दूर रहें।

केंद्र सरकार का यह कदम एक सकारात्मक संकेत है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा और अखंडता के प्रति गंभीर है। सिख फॉर जस्टिस पर लगे इस प्रतिबंध के बाद उम्मीद है कि इस तरह के राष्ट्र विरोधी तत्वों को नियंत्रित किया जा सकेगा।


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