दिल्ली के लाल किले में धू-धू कर जला रावण: राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दिया बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2024-10-13 06:37:39



दिल्ली में विजयदशमी का पर्व हमेशा खास होता है, लेकिन इस साल का दशहरा उत्सव और भी अद्वितीय रहा। लाल किले के माधव दास पार्क में आयोजित रामलीला के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान राम की भूमिका निभाते हुए रावण के पुतले को तीर मारा, जिसके बाद रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशालकाय पुतले धू-धू कर जल उठे। यह दृश्य न केवल दर्शकों के लिए उत्साहजनक था, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश भी लेकर आया।

रामलीला मंच पर विशेष अतिथि: तिलक और संस्कार का अद्भुत नजारा

लालकिला मैदान में आयोजित श्री धार्मिक रामलीला कमेटी की रामलीला इस साल विशेष थी, क्योंकि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने स्वयं इसमें हिस्सा लिया। शाम होते ही जब रामलीला अपने चरम पर पहुंची, तब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच पर पहुंचकर भगवान राम और लक्ष्मण का किरदार निभा रहे कलाकारों के माथे पर तिलक लगाया। यह तिलक न केवल भगवान राम की विजय का प्रतीक था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सम्मान भी दर्शाता है, जिसमें विजयदशमी का पर्व विशेष स्थान रखता है।

रावण दहन का ऐतिहासिक महत्व

रावण दहन भारतीय समाज के लिए केवल एक प्रतीकात्मक घटना नहीं है, बल्कि यह अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इस बार दिल्ली के लालकिला मैदान में रावण के साथ ही कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतले भी जलाए गए। इन पुतलों के जलने के साथ ही यह संदेश दिया गया कि कोई भी बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, सत्य और धर्म के आगे टिक नहीं सकती।

प्रधानमंत्री का संदेश: विजयदशमी का महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि दशहरा न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, बल्कि यह हर व्यक्ति को अपने भीतर के रावण को समाप्त करने का अवसर भी प्रदान करता है। उन्होंने कहा, "हम सभी को इस पर्व से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने भीतर की बुराइयों को समाप्त करने का संकल्प लेना चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि राम के आदर्श हमें जीवन में सही दिशा में चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का विशेष संबोधन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने संबोधन में कहा कि विजयदशमी का पर्व हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलते हुए हम किसी भी बुराई का सामना कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के आयोजन समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देते हैं।

महान परंपरा का हिस्सा: रामलीला और दशहरा

दिल्ली की रामलीला विशेष रूप से ऐतिहासिक महत्व रखती है। यहाँ पर दशहरे के आयोजन में हर साल बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं, और रामलीला की परंपरा दिल्ली में कई दशकों से चली आ रही है। इस बार रामलीला के आयोजन में प्रमुख नेता और गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे, जिससे यह आयोजन और भी विशेष बन गया।

रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतले

रावण के साथ-साथ कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन इस बात का प्रतीक था कि चाहे कितनी भी बड़ी शक्तियाँ बुराई का प्रतिनिधित्व करें, अंत में सत्य और अच्छाई की जीत होती है। इस वर्ष के पुतले अधिक ऊंचाई और भव्यता के साथ बनाए गए थे, जिन्हें जलते देख हजारों दर्शकों ने तालियों से स्वागत किया।

सुरक्षा और प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था

इतने बड़े आयोजन में दिल्ली पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। मैदान में सुरक्षा बलों की बड़ी संख्या में तैनाती थी और हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे।

संस्कृति और उत्सव का संगम

दशहरे का यह आयोजन भारतीय संस्कृति की समृद्धि का प्रतीक है, जिसमें भगवान राम की विजय यात्रा को सांकेतिक रूप से प्रस्तुत किया जाता है। दिल्ली के इस विशाल आयोजन में हर वर्ग और उम्र के लोग शामिल हुए, जिसने इसे सामाजिक एकता का प्रतीक भी बनाया।

बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश

लालकिला मैदान में इस साल का दशहरा न केवल दिल्ली के लिए बल्कि पूरे देश के लिए खास था। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मौजूदगी ने इसे और भी खास बना दिया। यह पर्व केवल रावण के पुतले को जलाने का नहीं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस आयोजन ने हर किसी को यह याद दिलाया कि चाहे कितनी भी बुराइयाँ सामने हों, सत्य, धर्म और न्याय की हमेशा जीत होती है।


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