ऑटो सेक्टर में बंपर डील्स से चमका बाजार: तीसरी तिमाही में $1.9 बिलियन का निवेश


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2024-10-12 09:15:35



ऑटो सेक्टर में बंपर डील्स से चमका बाजार: तीसरी तिमाही में $1.9 बिलियन का निवेश

भारतीय ऑटो सेक्टर ने जुलाई से सितंबर तिमाही में 32 डील्स के साथ $1.9 बिलियन का निवेश देखा, जो 2021 के बाद से सबसे अधिक तिमाही गतिविधि रही। यह बढ़ता निवेश भारतीय ऑटो सेक्टर की मजबूती और निवेशकों के बीच बढ़ती दिलचस्पी को दर्शाता है।

विस्तृत रिपोर्ट:

तीसरी तिमाही में भारतीय ऑटो सेक्टर ने 32 डील्स के माध्यम से $1.9 बिलियन का निवेश हासिल किया। यह आंकड़ा सेक्टर की मजबूती और निवेशकों के विश्वास को दर्शाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस तिमाही में हुए सौदों का मूल्य 2021 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर रहा।

ऑटो सेक्टर में हुई प्रमुख डील्स में तीन महत्वपूर्ण डील्स ने $300 मिलियन का योगदान दिया, जो दूसरी तिमाही में केवल एक $100 मिलियन की डील की तुलना में भारी बढ़त दर्शाती है। इस बढ़ते निवेश का मुख्य कारण तकनीकी नवाचार, वैश्विक विस्तार और लंबी अवधि के मूल्य निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना रहा। ग्रांट थॉर्नटन भारत की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में ऑटो-टेक और ऑटो-घटक उपक्षेत्रों में बढ़ती रुचि ने रणनीतिक निवेश और मर्जर-अधिग्रहण गतिविधियों में उछाल को बढ़ावा दिया।

तीसरी तिमाही में, मर्जर और अधिग्रहण (M&A) गतिविधि ने 6 डील्स के साथ $74 मिलियन का निवेश दर्ज किया। यह दूसरी तिमाही की तुलना में 20% वॉल्यूम और 30% वैल्यू में वृद्धि को दर्शाता है। इससे पता चलता है कि ऑटोमोटिव क्षेत्र में तकनीकी और सामरिक साझेदारियों के प्रति वैश्विक निवेशकों की रुचि बढ़ी है। इसके अलावा, आउटबाउंड M&A गतिविधि में भी वृद्धि हुई, खासकर ऑटो कंपोनेंट्स और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इन्फ्रास्ट्रक्चर में वैश्विक साझेदारियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

एक प्रमुख निवेश में वेस्टब्रिज कैपिटल द्वारा रैपिडो में $200 मिलियन का निवेश शामिल था, जिसने इस तिमाही के 55% प्राइवेट इक्विटी वैल्यू को कवर किया। निवेश के बढ़ते आत्मविश्वास का संकेत डील्स के औसत टिकट साइज में भी दिखा, जो पहली तिमाही में $11 मिलियन से बढ़कर तीसरी तिमाही में $25 मिलियन तक पहुंच गया।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि तीसरी तिमाही में ऑटो कंपोनेंट्स क्षेत्र में दो IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) हुए, जिनकी कुल वैल्यू $768 मिलियन रही, साथ ही दो QIPs (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट) के माध्यम से $470 मिलियन जुटाए गए।

भारतीय ऑटो सेक्टर में निवेशकों की बढ़ती रुचि के पीछे एक प्रमुख कारण है वैकल्पिक ईंधन प्रौद्योगिकियों पर सरकार का ध्यान। इसने भारत को स्थायी और स्मार्ट मोबिलिटी समाधानों के निर्यात के लिए एक प्रमुख हब के रूप में उभरने का अवसर प्रदान किया है।

इस तीसरी तिमाही में भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग ने मजबूत निवेश और बढ़ते आत्मविश्वास के संकेत दिए। तकनीकी नवाचार और वैश्विक विस्तार के माध्यम से इस सेक्टर की वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है। भविष्य में भी, ऑटो सेक्टर निवेशकों के लिए आकर्षक बना रहेगा।


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