वैश्विक मंदी के बीच भी दवाइयों और मेडिटेक निर्यात में भारत का धमाकेदार प्रदर्शन


के कुमार आहूजा  2024-10-12 09:07:26



वैश्विक मंदी के बीच भी दवाइयों और मेडिटेक निर्यात में भारत का धमाकेदार प्रदर्शन

वैश्विक आर्थिक मंदी के खतरे के बावजूद, भारतीय दवा और मेडिटेक उद्योग निरंतर प्रगति पर है। 16 ब्लॉकबस्टर दवाइयों की लाइनअप और सरकार के प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के साथ, यह क्षेत्र देश की चौथी सबसे बड़ी निर्यात श्रेणी बनकर उभरा है।

विस्तृत रिपोर्ट:

भारत की फार्मास्युटिकल और मेडिटेक सेक्टर वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बावजूद लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। फार्मा विभाग के सचिव अरुणिश चावला ने हाल ही में CII फार्मा और लाइफ साइंसेज समिट में पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि इन क्षेत्रों में पिछले वित्तीय वर्ष में उल्लेखनीय विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि देश में 16 महत्वपूर्ण ब्लॉकबस्टर दवाइयों की श्रृंखला तैयार हो रही है, जिनका उत्पादन कैंसर, मधुमेह, एचआईवी और तपेदिक जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए किया जाएगा।

सचिव चावला ने जानकारी दी कि ये दवाइयां उन 25 दवाओं में शामिल हैं जो आने वाले कुछ सालों में ऑफ-पेटेंट हो जाएंगी। इस प्रकार भारत का दवा और बायोटेक उद्योग निरंतर विकास की ओर अग्रसर है, और सरकार की ओर से पीएलआई योजना के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि ने इस क्षेत्र को और सशक्त बनाया है।

उन्होंने यह भी बताया कि इन दवाइयों का विकास और उत्पादन विभिन्न अनुमोदन प्रक्रियाओं से गुजर रहा है, और इसमें अनुसंधान, क्लिनिकल ट्रायल्स और लाइसेंसिंग का प्रमुख योगदान है। इन योजनाओं से न केवल दवाओं की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो रही है, बल्कि भारत का मेडिटेक सेक्टर भी तेजी से विस्तार कर रहा है।

भारत ने पिछले वर्ष से ही उपभोक्ता सामग्रियों और सर्जिकल उपकरणों के निर्यात में जबरदस्त वृद्धि की है। इस वर्ष, देश का ध्यान इमेजिंग डिवाइस, बॉडी इम्प्लांट्स और इन-विट्रो डायग्नोस्टिक्स की तरफ बढ़ रहा है, जिससे भारत इस क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रहा है।

चावला ने बताया कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कुछ ब्लॉकबस्टर दवाइयों को पहले ही मंजूरी दे दी है, जिससे इन दवाओं का विकास और उत्पादन तेज हो गया है। सरकार की ओर से लगातार किये जा रहे अनुसंधान और अध्ययन से यह सुनिश्चित हो रहा है कि पारंपरिक दवा क्षेत्र और नए बायोसिमिलर क्षेत्र दोनों में तेजी से प्रगति हो।

सरकार की पीएलआई योजना ने दवा कंपनियों को तकनीकी नवाचार और दीर्घकालिक मूल्य सृजन में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसका परिणाम यह है कि इन दवाओं का न केवल घरेलू बाजार में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी बढ़ता प्रभाव देखा जा रहा है।

भारतीय फार्मास्युटिकल और मेडिटेक उद्योग ने वैश्विक मंदी की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए अपनी स्थिति को मजबूत किया है। सरकार की पीएलआई योजना और अनुसंधान आधारित दृष्टिकोण ने इन क्षेत्रों को निरंतर विकास पथ पर रखा है। अब देखना यह है कि ये 16 ब्लॉकबस्टर दवाइयां कैसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय फार्मा उद्योग की पहचान को और ऊंचाइयों पर ले जाती हैं।

Source : IANS


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