कच्चे तेल की कीमतों में उछाल: पहली बार 84 के पार पहुंचा रुपया
के कुमार आहूजा 2024-10-12 03:55:10
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल: पहली बार 84 के पार पहुंचा रुपया
वैश्विक भू-राजनीतिक अस्थिरता के बीच कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का असर भारतीय मुद्रा पर भी साफ दिखाई दे रहा है। शुक्रवार को रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पहली बार 84 का स्तर पार किया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में चिंता की लहर दौड़ गई।
रुपये की गिरावट का कारण
शुक्रवार को भारतीय रुपया 84.09 के ऐतिहासिक निम्न स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले दिन से 11 पैसे कमजोर था। विशेषज्ञों के अनुसार, रुपये की इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते कच्चे तेल की कीमतें हैं, जो हाल ही में $69 से बढ़कर $78.92 प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं।
वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और एफआईआई की निकासी
मध्य पूर्व में जारी तनाव से कच्चे तेल की आपूर्ति बाधित होने की आशंका है, जिससे कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। इसके साथ ही, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले नौ दिनों में भारतीय शेयर बाजार से 55,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं, जिससे रुपये पर और दबाव बढ़ गया है।
रुपये पर प्रभाव और भविष्य की उम्मीदें
विशेषज्ञों के मुताबिक, आने वाले समय में रुपया 84.25-84.35 तक और गिर सकता है, खासकर यदि यह 84.00 के स्तर को पार कर लेता है। बाजार में रुपये के लिए समर्थन 84.20-84.35 के स्तर पर है, जबकि प्रतिरोध 83.70-83.80 के बीच देखा जा सकता है।
आरबीआई का रुख और मुद्रास्फीति का दबाव
हालांकि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रुपये की स्थिरता की पुष्टि की है और बताया कि भारतीय रुपया अब भी सबसे कम अस्थिर मुद्राओं में से एक है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रुपये की मजबूती पर भरोसा जताया है, बावजूद इसके कि वैश्विक घटनाएं इस पर दबाव डाल रही हैं।
सोना और अन्य बाजारों में प्रभाव
इस दौरान, सोने की कीमतों में भी उछाल देखा गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना $2,635 प्रति औंस पर और भारत में MCX पर 400 रुपये की बढ़त के साथ 75,750 रुपये तक पहुंच गया। अमेरिकी आर्थिक डेटा, जो ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को इंगित करता है, और कच्चे तेल की ऊंची कीमतें, मुद्रास्फीति के दबाव को और बढ़ा रही हैं।
भारतीय रुपये की गिरावट और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां खड़ी कर रही हैं। आने वाले दिनों में वैश्विक घटनाओं और घरेलू नीतियों पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा।