भारत के महारत्न: रतन टाटा, जिनकी सादगी से लेकर साम्राज्य तक, सदा भारतियों के दिलों में अमर रहेंगे


के कुमार आहूजा  2024-10-11 05:37:11



भारत के महारत्न: रतन टाटा, जिनकी सादगी से लेकर साम्राज्य तक, सदा भारतियों के दिलों में अमर रहेंगे

भारत के उद्योग जगत के महानायक रतन टाटा, जिनकी मेहनत और नैतिकता ने उन्हें न केवल एक सफल उद्योगपति बल्कि लाखों दिलों का नायक बना दिया। भारत के सबसे बड़े समूह टाटा समूह के मुखिया रतन टाटा का बुधवार रात 86 साल की उम्र में निधन हो गया। एक व्यवसायी और परोपकारी व्यक्ति, टाटा ने न केवल कंपनी को एक वैश्विक ब्रांड में बदल दिया, बल्कि उनकी उपलब्धियों ने भारत की अर्थव्यवस्था को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया। उनकी विरासत और उनके आदर्श हमेशा जीवंत और प्रेरणा स्रोत रहेंगे।

विस्तृत रिपोर्ट:

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। वह भारत के सबसे प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक हैं और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अपने जीवन में सादगी और ईमानदारी के आदर्शों का पालन करते हुए टाटा समूह को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। रतन टाटा का नाम किसी भी परिचय का मोहताज नहीं है। उन्होंने भारतीय उद्योग और समाज में जो योगदान दिया है, वह उन्हें हमेशा अमर बनाए रखेगा, भले ही वह आज हमारे बीच शारीरिक रूप से न हों।

प्रारंभिक जीवन और करियर:

रतन टाटा का बचपन संघर्षों से भरा रहा। उनका पालन-पोषण उनकी दादी ने किया। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने टाटा समूह में शामिल होकर सबसे पहले जमीन पर काम किया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए, जिनमें जगुआर लैंड रोवर और कोरस शामिल हैं। उन्होंने भारतीय बाजार में भी बड़े बदलाव किए, जैसे कि टाटा नैनो जैसी किफायती कारें पेश करना, जो आम भारतीय के लिए एक सपना सच करने जैसा था।

टाटा समूह का हिस्सा बनने के बाद, उन्होंने न केवल व्यावसायिक सफलता हासिल की, बल्कि समाज सेवा को भी प्राथमिकता दी। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसे कई बड़े अधिग्रहण किए। इसके अलावा, टाटा नैनो जैसी किफायती कार से उन्होंने भारतीय बाजार में क्रांति ला दी। उनकी सादगी और परोपकार की भावना ने उन्हें हर भारतीय के दिल में जगह दी।

परोपकार और सामाजिक योगदान:

रतन टाटा का जीवन परोपकार के प्रति समर्पित रहा है। उन्होंने टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया। टाटा ट्रस्ट्स की परियोजनाएं न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में लाखों लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए कार्यरत हैं।

रतन टाटा का मानना है कि किसी भी व्यवसाय की सफलता उसकी सामाजिक जिम्मेदारियों से मापी जाती है। यह दृष्टिकोण ही उन्हें अन्य उद्योगपतियों से अलग बनाता है। उनके द्वारा दी गई $50 मिलियन की डोनेशन ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में भारतीय छात्रों के लिए एक नई राह बनाई। रतन टाटा ने अपने जीवन काल में मानवता के लिए लगभग 102 बिलियन डॉलर का दान दिया।

विनम्रता और नेतृत्व:

रतन टाटा की सबसे खास बात यह है कि उन्होंने हमेशा विनम्रता और आदर्शों का पालन किया है। उन्होंने टाटा समूह को न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ाया बल्कि नैतिकता और सामाजिक उत्थान को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी। एक अच्छे लीडर की तरह, उन्होंने हमेशा टीमवर्क पर जोर दिया और नए विचारों का स्वागत किया।

रतन टाटा का मानना था कि "कामयाबी का रास्ता तब खुलता है जब आप अपनी सीमाओं से बाहर निकलकर दूसरों के लिए काम करते हैं।"

सेवानिवृत्ति के बाद भी सक्रियता:

2012 में रतन टाटा ने टाटा समूह के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्ति ले ली, लेकिन इसके बाद भी वे सक्रिय रूप से सामाजिक कार्यों और निवेश में जुड़े हुए रहे। उन्होंने स्टार्टअप्स में भी निवेश किया है, जिसमें उन्होंने नवोन्मेषी उद्यमियों को प्रोत्साहित किया। इसके अलावा, वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहे और अपनी विचारधारा को जनता के साथ साझा करते रहे।

अंतिम विदाई:

रतन टाटा का पार्थिव शरीर मुंबई के NCPA लॉन में सुबह 10:30 बजे से दोपहर 03 बजे तक उनके अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया जिसमे हजारों की संख्या में लोगों ने भारत के सच्चे सपूत और समाजसेवी के अंतिम दर्शन किए। जिसमे उद्योग जगत, फिल्म जगत, राजनीती और खेल जगत से जुडी महान हस्तियों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को वर्ली श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया, जहां हजारों लोग, जिसमें खेल, सिनेमा और राजनीति के प्रमुख चेहरे शामिल थे, उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। भारत के कोहिनूर रतन टाटा का राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। यह क्षण भावुक और ऐतिहासिक था, जब एक सच्चे विजनरी को आखिरी विदाई दी गई।

विरासत:

रतन टाटा अब हमारे बीच शारीरिक रूप से नहीं हैं, लेकिन उनका योगदान और उनका जीवन हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा। उनका व्यक्तित्व और उनकी समाजसेवा की भावना उन्हें अमर बनाए रखेगी। वे हमें यह सिखा गए कि सादगी और ईमानदारी के साथ भी बड़े से बड़े साम्राज्य खड़े किए जा सकते हैं।

श्रद्धांजलि संदेश:

"परम श्रृद्धेय रतन नवल टाटा, आप हमेशा सभी भारतियों के दिलों में जीवित रहेंगे। आपकी सादगी, दया और समाज के प्रति अतुलनीय योगदान को भारत कभी भुला नहीं सकता। आपने जो आदर्श और नैतिकता स्थापित की, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगी। आप भारत के अन्मोल रत्न और सच्चे समाजसेवी थे। आपकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी।"


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