नेपाल में बाढ़ से मची तबाही: भारत का पहला राहत कंसाइनमेंट पहुंचा
के कुमार आहूजा 2024-10-09 08:49:18
नेपाल में बाढ़ से मची तबाही: भारत का पहला राहत कंसाइनमेंट पहुंचा
नेपाल में हाल ही में आई विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन ने देश में तबाही मचाई है। हिमालय की वादियों में पिछले महीने के अंत में लगातार हो रही बारिश ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई, जिसके चलते 240 से अधिक लोग अपनी जान गंवा बैठे, और दर्जनों अब भी लापता हैं। इस प्राकृतिक आपदा के बाद, नेपाल को सबसे पहले जिस देश से राहत और मदद मिली, वह भारत है। भारत ने अपनी पुरानी मित्रता और पड़ोसी धर्म का निर्वाह करते हुए तत्काल सहायता भेजी है। सोमवार को भारतीय दूतावास ने 4.2 टन आपातकालीन राहत सामग्री नेपाल की सरकार को सौंपी। इस राहत सामग्री में टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, क्लोरीन टेबलेट्स और पानी की बोतलें शामिल थीं।
भारत ने दिया सबसे पहला हाथ
भारतीय दूतावास के द्वितीय सचिव नारायण सिंह ने बांक जिले के मुख्य जिला अधिकारी खगेन्द्र प्रसाद रिजाल को यह सामग्री सौंपी। राहत सामग्री को भारत से नेपालगंज तक ट्रांसपोर्ट किया गया था, जहां इसे नेपाल के सरकारी अधिकारियों को सौंपा गया। इसके अलावा, भारत सरकार जल्द ही अन्य आवश्यक वस्तुएं जैसे स्वच्छता सामग्री और दवाइयां भी नेपाल भेजने की योजना बना रही है। यह कदम भारत द्वारा नेपाल में बाढ़ और भूस्खलन के बाद उठाया गया एक महत्वपूर्ण मानवीय प्रयास है।
प्राकृतिक आपदा से उपजी मानवीय त्रासदी
सितंबर के आखिरी हफ्ते में नेपाल के मध्य और पूर्वी हिस्सों में भारी बारिश ने अचानक बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पैदा कर दी। भूस्खलन और बाढ़ के चलते जहां सैकड़ों लोगों की जान चली गई, वहीं हजारों परिवारों को बेघर होना पड़ा। नेपाल की सरकार और स्थानीय अधिकारियों के पास बाढ़ से निपटने के साधन कम पड़ गए, जिसके चलते भारत ने तुरंत मदद के हाथ बढ़ाए।
भारत ने पहले भी नेपाल की प्राकृतिक आपदाओं में सहायता की है। चाहे वह 2015 का विनाशकारी भूकंप हो या 2023 का जाजरकोट भूकंप, भारत हमेशा नेपाल के साथ खड़ा रहा है। 2015 में ऑपरेशन मैत्री के तहत भारत ने नेपाल में अब तक की सबसे बड़ी आपदा राहत ऑपरेशन चलाया था।
राहत सामग्री में क्या-क्या था शामिल?
भारतीय दूतावास के अनुसार, 4.2 टन राहत सामग्री में निम्नलिखित चीजें शामिल हैं:
स्लीपिंग बैग
टारपोलिन शीट्स (जलरोधी तिरपाल)
कंबल
क्लोरीन टेबलेट्स (पानी को शुद्ध करने के लिए)
पानी की बोतलें
इसके अलावा, भारत सरकार जल्द ही दवाइयों और अन्य स्वच्छता सामग्री भी भेजने वाली है, ताकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बीमारियों को फैलने से रोका जा सके।
नेपाल के प्रति भारत की प्रतिबद्धता
भारत की नेपाल के प्रति यह सहायता केवल हाल की घटना तक सीमित नहीं है। दोनों देशों के बीच प्राचीनकाल से घनिष्ठ संबंध हैं, और आपदा के समय एक-दूसरे का सहयोग करना एक परंपरा की तरह बन गया है। भारत ने इस बार भी नेपाल की बाढ़ पीड़ितों की मदद में तेजी से कदम उठाते हुए सबसे पहले मदद पहुंचाई। भारतीय दूतावास की तरफ से जारी बयान में कहा गया, "भारत हमेशा नेपाल के साथ खड़ा रहा है, और भविष्य में भी किसी भी संकट के समय मदद के लिए तत्पर रहेगा।"
भविष्य की चुनौतियां और रास्ते
नेपाल की बाढ़ और भूस्खलन से हुई तबाही के बाद अब स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां उभर कर सामने आ रही हैं। राहत कार्यों के बावजूद, कई जगहों पर साफ पानी, खाद्य सामग्री और दवाइयों की कमी बनी हुई है। ऐसे में भारत की तरफ से दी जा रही यह सहायता नेपाल के पुनर्निर्माण और राहत कार्यों में बड़ी भूमिका निभाएगी। लेकिन यह स्थिति बताती है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए दोनों देशों को दीर्घकालिक योजना बनानी होगी।
नेपाल में आई इस त्रासदी ने एक बार फिर भारत-नेपाल की मित्रता को मजबूत किया है। भारत ने अपनी पुरानी नीति को जारी रखते हुए सबसे पहले राहत सामग्री नेपाल भेजी और इस कठिन समय में उसका सबसे बड़ा सहयोगी बना। नेपाल की बाढ़ और भूस्खलन से निपटने के लिए उठाए गए इस कदम से भारत ने एक बार फिर साबित किया कि संकट के समय वह अपने पड़ोसियों का सबसे बड़ा साथी है। भारत द्वारा भेजी गई यह राहत सामग्री नेपाल में नए सिरे से जीवन की उम्मीद जगाने का काम करेगी।