मानसिक स्वास्थ्य पर छात्रों के साथ संवाद: आत्महत्या, नशाखोरी और अवसाद पर जागरूकता
के कुमार आहूजा 2024-10-08 14:16:47
मानसिक स्वास्थ्य पर छात्रों के साथ संवाद: आत्महत्या, नशाखोरी और अवसाद पर जागरूकता
वर्तमान युग की तेजी से बदलती जीवनशैली, डिजिटल प्लेटफार्म का अत्यधिक उपयोग और प्रतिस्पर्धी मानसिकता ने मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर मुद्दा बना दिया है। पी.बी.एम. चिकित्सालय बीकानेर के मानसिक रोग एवं नशामुक्ति विभाग द्वारा विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के चौथे दिन सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज और राजकीय नर्सिंग कॉलेज के छात्रों के साथ संवाद सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र का मुख्य उद्देश्य छात्रों में बढ़ते मानसिक तनाव, नशाखोरी और आत्महत्या की प्रवृत्ति को समझना और उसे रोकने के लिए जागरूकता फैलाना था।
सत्र की मुख्य बातें:
कार्यक्रम की शुरुआत मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. हरफूल सिंह ने की, जिन्होंने बताया कि किस तरह वर्तमान समय में मानसिक रोगियों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि विशेषकर युवा पीढ़ी में डिप्रेशन, अनिद्रा, नशाखोरी, और आत्महत्या की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसके पीछे भौतिकवादी जीवनशैली, असंतुलित आहार, और सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग मुख्य कारण हैं।
डॉ. हरफूल ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक और इंस्टाग्राम ने युवाओं को उनके सामाजिक और पारिवारिक जीवन से दूर कर दिया है। वे अपना अधिकांश समय इन प्लेटफार्मों पर बर्बाद करते हैं और आभासी दुनिया में ही जीवन जीने लगते हैं। इसके परिणामस्वरूप, वे अपने वास्तविक जीवन में अकेलापन और अवसाद महसूस करते हैं, जो उन्हें नशाखोरी और अपराध की दुनिया की ओर आकर्षित करता है।
मनोवैज्ञानिक समस्याओं पर विशेषज्ञ की राय:
सत्र में सहायक आचार्य डॉ. ज्योति चौधरी ने बताया कि आजकल छात्रों में परीक्षा के दबाव, रिश्तों में टूटने और आर्थिक समस्याओं से उत्पन्न मानसिक तनाव को सहन करने की क्षमता कम होती जा रही है। इसके कारण वे आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आत्महत्या से कोई समस्या हल नहीं होती, बल्कि यह परिवार और समाज को गंभीर संकट में डाल देता है।
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. अंजू ठकराल ने कहा कि मानसिक रोग भी अन्य बीमारियों की तरह पूरी तरह ठीक होने योग्य हैं। उचित उपचार, काउंसलिंग, योगा और मेडिटेशन से व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ होकर पुनः सामान्य जीवन जी सकता है।
छात्रों को सलाह:
नर्सिंग कॉलेज के प्रधानाचार्य ने छात्रों को मोबाइल के सीमित उपयोग और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह दी। उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि मानसिक तनाव और नशाखोरी जैसी समस्याओं से बचने के लिए आवश्यकता अनुसार मनोवैज्ञानिक मदद लेने में संकोच न करें।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना और उन्हें मानसिक समस्याओं से निपटने के सही तरीके सिखाना था। कार्यक्रम के अंत में विनोद पंचारिया ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया और सत्र का सफल समापन किया।
विशेष सत्र:
इस अवसर पर डॉ. ज्योति चौधरी ने नारी निकेतन और सेवा आश्रम का भी दौरा किया। यहां उन्होंने लावारिस बच्चों, महिलाओं और विमंदित बच्चों के साथ संवाद किया और उनके उचित रख-रखाव और देखभाल पर मार्गदर्शन दिया।
बहरहाल, यह सत्र न केवल मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता फैलाने का एक सफल प्रयास था, बल्कि यह छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को समझने और उन्हें मदद के लिए प्रेरित करने का एक कदम भी था।