दिल्ली पुलिस का बड़ा कारनामा: सोशल मीडिया पर कार बेचने वाले गैंग का पर्दाफाश, 20 लग्जरी कारें बरामद


के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा  2024-10-08 06:20:02



दिल्ली पुलिस का बड़ा कारनामा: सोशल मीडिया पर कार बेचने वाले गैंग का पर्दाफाश, 20 लग्जरी कारें बरामद

दिल्ली पुलिस ने एक हाई-प्रोफाइल कार चोर गैंग का पर्दाफाश कर दिया है, जो सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर चोरी की लग्जरी कारों को बेचने का खेल खेल रहे थे। 13 लोगों की गिरफ्तारी के साथ ही पुलिस ने इस रैकेट से 20 महंगी कारों को बरामद किया है। आखिर कैसे यह गैंग कारों की चोरी करता था और उसे बेचता था, जानें इस पूरी रिपोर्ट में।

विस्तृत रिपोर्ट:

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने हाल ही में एक बड़े कार चोरी रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसमें सोशल मीडिया का उपयोग कर चोरी की गई लग्जरी कारों को बेचा जा रहा था। इस रैकेट के तहत 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 20 से अधिक महंगी कारें बरामद की गई हैं। पुलिस ने बताया कि यह गैंग चोरी की कारों को ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर फर्जी दस्तावेजों के साथ बेचने का काम कर रहा था।

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (क्राइम ब्रांच) संजय भाटिया ने इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस की इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम ने दो गैंग्स का भंडाफोड़ किया, जो चोरी की कारों को बेचना का संगठित रैकेट चला रहे थे। गिरफ्तार किए गए लोगों से पूछताछ में पता चला कि यह गैंग कार चोरी करने के बाद उसे बेचने से पहले उसके इंजन नंबर और रजिस्ट्रेशन नंबर बदल देता था। इस तरह से चोरी की कार को नए दस्तावेजों के साथ बेचा जाता था ताकि असली मालिक को इसकी भनक भी न लगे।

यह मामला तब सामने आया जब पुलिस ने एक चोरी की गई कार को दिल्ली के मयूर विहार फेज-1 मेट्रो स्टेशन के पास से बरामद किया। वहां से पकड़े गए आरोपी अनवर कुरैशी के पास से 40 से ज्यादा संदेहास्पद वाहनों की जानकारी और 20 फर्जी बैंक खातों का डेटा मिला। जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि यह गैंग कई फर्जी बैंक खातों का उपयोग करता था ताकि खरीदारों को भ्रमित किया जा सके और चोरी की कारों की बिक्री की जा सके। इनके पास व्हाट्सएप चैट्स भी मिले जो इस संगठित रैकेट के व्यापक नेटवर्क का प्रमाण थे।

पुलिस ने बताया कि इस गैंग के सदस्य पहले चोरी की गई कार के मॉडल और रंग से मिलती-जुलती कारों की तलाश ऑनलाइन पोर्टल्स पर करते थे। इसके बाद वे ओपन सोर्स इनफार्मेशन पोर्टल्स से कार के असली मालिक की जानकारी हासिल करते और फिर फर्जी दस्तावेज तैयार करते। यह दस्तावेज इतने असली लगते थे कि कोई भी उन्हें पहचान नहीं पाता था। इसके साथ ही, वे असली मालिक के नाम से बैंक खाता खोलते ताकि कार बेचने के बाद पैसे सीधे उस खाते में ट्रांसफर हो सकें​।

इस अपराध का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह था कि ये लोग चोरी की गई कार का इंजन और चेसिस नंबर भी बदल देते थे ताकि कार की पहचान को पूरी तरह से मिटाया जा सके। इसके बाद वे सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन पोर्टल्स पर इन कारों को बेच देते थे। इस रैकेट ने अब तक लगभग 50 कारों को इसी तरीके से बेच दिया था​।

गिरफ्तार किए गए 13 आरोपियों में से मुख्य व्यक्ति अनवर कुरैशी और उसके साथी शादाब ने पूछताछ में बताया कि वे इस पूरे खेल को 'दानिश' नाम के एक व्यक्ति के कहने पर चला रहे थे। पुलिस की पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि गैंग के सदस्यों ने व्हाट्सएप पर कई संदिग्ध गाड़ियों की जानकारी साझा की थी, जो यह दिखाता है कि यह रैकेट बड़े पैमाने पर फैला हुआ था​।

दिल्ली पुलिस के इस बड़े ऑपरेशन में इन अपराधियों को पकड़ने और इस संगठित रैकेट का पर्दाफाश करने में कई दिनों की कड़ी मेहनत लगी। पुलिस का कहना है कि आगे की जांच में और भी कई खुलासे हो सकते हैं और इस मामले में कुछ और लोगों की गिरफ्तारी भी हो सकती है।


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