धौलपुर जेल में नवरात्रि: 74 कैदियों ने लिया अपराधों से तौबा का संकल्प, दुर्गा पूजा के साथ नई शुरुआत की ओर
के कुमार आहूजा 2024-10-08 05:33:08
धौलपुर जेल में नवरात्रि: 74 कैदियों ने लिया अपराधों से तौबा का संकल्प, दुर्गा पूजा के साथ नई शुरुआत की ओर
धौलपुर जेल में नवरात्रि के अवसर पर एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने सभी को चौंका दिया। 400 कैदियों में से 74 ने नवरात्रि के उपवास रख, देवी दुर्गा की भक्ति के माध्यम से अपने पापों का प्रायश्चित करने का प्रण लिया है। इस घटना ने कैदियों की सोच और जीवन के प्रति दृष्टिकोण में आए बदलाव को उजागर किया है। आखिर क्या है इस अद्भुत परिवर्तन की कहानी? जानिए इस रिपोर्ट में!
विस्तृत रिपोर्ट:
धौलपुर, राजस्थान की जिला कारागार में एक अद्वितीय दृश्य उस समय सामने आया जब 74 कैदियों ने नवरात्रि के दौरान 9 दिन के उपवास रखने का निर्णय लिया। जेल अधीक्षक सुमन मीणा ने बताया कि ये कैदी अपने अतीत के अपराधों से तौबा कर रहे हैं और भविष्य में एक बेहतर जीवन की शुरुआत करना चाहते हैं। जेल प्रशासन ने इन कैदियों के लिए विशेष व्यवस्था की है जिसमें उन्हें व्रत के अनुसार फलाहार, पूजा सामग्री, और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
धार्मिक आस्था के साथ पापों का प्रायश्चित:
74 कैदियों में से 11 महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्होंने देवी दुर्गा की आराधना के साथ अपने पापों का प्रायश्चित करने का प्रण लिया है। नवरात्रि के इस अवसर पर जेल प्रशासन ने देवी दुर्गा का एक छोटा मंदिर भी स्थापित किया है, जहां सुबह और शाम आरती का आयोजन होता है। कैदी भजन-कीर्तन के माध्यम से अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं।
यह पहल न केवल धार्मिक आस्था को प्रदर्शित करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैदी अपने अतीत के अपराधों से तौबा कर समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए तत्पर हैं। जेल अधीक्षक सुमन मीणा ने बताया कि प्रशासन ने इन कैदियों की आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखा है। उनके लिए दूध, फल और अन्य फलों का विशेष प्रबंध किया गया है, ताकि वे अपने उपवास को सुचारू रूप से निभा सकें।
प्रायश्चित के साथ सामाजिक सुधार की ओर बढ़ते कदम:
कैदियों ने देवी दुर्गा को साक्षी मानकर अपराध की दुनिया से दूर रहने का प्रण लिया है। कई कैदियों ने इस व्रत के माध्यम से यह घोषणा की है कि वे जेल से छूटने के बाद एक नया जीवन जीना चाहते हैं और अपने परिवार के साथ मिलकर समाज की मुख्यधारा में जुड़ना चाहते हैं। कैदी गंगाधर, जो हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं, ने कहा कि जेल में बिताए गए समय ने उन्हें अपराध के बुरे प्रभावों का एहसास कराया। अब वे नवरात्रि के दौरान उपवास रखकर देवी की कृपा से अपराध की दुनिया से पूरी तरह दूर रहने का प्रण ले रहे हैं।
इसी तरह, अन्य कैदी जैसे चंद्रभान और पंकज कुमार ने भी इस उपवास को अपने जीवन को सुधारने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया। पंकज ने कहा कि जेल में बिताए समय ने उन्हें आत्ममंथन का अवसर दिया और अब वे देवी दुर्गा की आराधना के माध्यम से अपराध को तौबा कर रहे हैं।
जेल प्रशासन का सहयोगात्मक दृष्टिकोण:
जेल प्रशासन ने इस पूरे आयोजन को सुचारू रूप से संपन्न करने के लिए विशेष प्रबंध किए हैं। सुमन मीणा के अनुसार, जेल परिसर में देवी दुर्गा की घट स्थापना की गई है और कैदियों के लिए पूजा की सारी सामग्री उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा, कैदियों के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जा रहा है। नियमित रूप से चिकित्सकों की टीम कैदियों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रही है ताकि वे उपवास के दौरान स्वस्थ रहें।
यह पहल केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह कैदियों के लिए आत्मशुद्धि और आत्मपरिवर्तन का एक महत्वपूर्ण साधन बन गई है। जेल प्रशासन का उद्देश्य इन कैदियों को एक सकारात्मक दिशा प्रदान करना है, ताकि वे समाज में लौटकर एक सम्मानजनक और शांतिपूर्ण जीवन जी सकें।
कैदियों का अनुभव:
जेल में बंद कई कैदियों ने इस उपवास को अपने जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ बताया है। कैदी रामदीन, जो एक खूंखार डकैत रह चुके हैं, ने कहा कि उन्होंने जाने-अनजाने में कई गलतियां की थीं, लेकिन अब वे देवी दुर्गा की आराधना के माध्यम से पापों का प्रायश्चित कर रहे हैं।
इसी प्रकार, कैदी विष्णु गुर्जर ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि माता रानी की कृपा से वे अब अपराध की दुनिया से तौबा कर चुके हैं और जेल से छूटने के बाद वे समाज में सकारात्मक योगदान देने की योजना बना रहे हैं।
नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व:
धौलपुर जेल में कैदियों द्वारा नवरात्रि का व्रत रखना न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह उनके जीवन में आए सकारात्मक बदलाव की भी कहानी है। नवरात्रि हिंदू धर्म में शक्ति की आराधना का पर्व है, और इन कैदियों ने इस अवसर का उपयोग अपने आत्मसंयम और आत्मपरिवर्तन के लिए किया है।
जेल प्रशासन ने नवरात्रि के इस उपवास को कैदियों के जीवन में एक नया अध्याय जोड़ने का अवसर माना है। सुमन मीणा का कहना है कि वे चाहते हैं कि ये कैदी अपने अतीत से सीख लेकर एक नई शुरुआत करें और समाज के लिए एक उदाहरण बनें।
इस पूरी घटना ने साबित कर दिया है कि धार्मिक आस्था के माध्यम से आत्मपरिवर्तन संभव है, और धौलपुर जेल का यह उदाहरण अन्य कैदियों और समाज के लिए प्रेरणा बन सकता है।