मुस्लिमों की कुम्भ में एंट्री पर बयान: मौलाना तौकीर रज़ा ने खड़े किए सवाल
के कुमार आहूजा 2024-10-08 04:40:59
मुस्लिमों की कुम्भ में एंट्री पर बयान: मौलाना तौकीर रज़ा ने खड़े किए सवाल
उत्तर प्रदेश के बरेली से मौलाना तौकीर रज़ा का हालिया बयान चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने एक ऐसा सवाल उठाया है जिसने हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच खासी हलचल मचा दी है। क्या मुस्लिमों को हिंदुओं के धार्मिक आयोजनों में शामिल होना चाहिए? आइए जानते हैं इस मुद्दे पर क्या कहा मौलाना ने और क्यों यह बयान बन गया विवाद का कारण।
विस्तृत रिपोर्ट:
उत्तर प्रदेश के बरेली में इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के प्रमुख मौलाना तौकीर रज़ा ने मुस्लिमों की महाकुंभ जैसे हिंदू धार्मिक आयोजनों में भागीदारी पर अपनी राय दी है, जो कि सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर तीव्र चर्चा का केंद्र बना हुआ है। मौलाना रज़ा ने कहा, "मुस्लिमों का महाकुंभ में क्या काम है? यह हिंदुओं की धार्मिक परंपराओं और रीतियों का मामला है। अगर मुस्लिमों के प्रति नफरत के आधार पर ऐसा कहा जा रहा है, तो यह सही नहीं है।" उन्होंने यह भी कहा कि संतों और महात्माओं का काम प्रेम फैलाना है, न कि नफरत। मौलाना रज़ा का यह बयान तब आया जब कुछ रिपोर्टों में बताया गया कि महाकुंभ में मुस्लिमों की भागीदारी को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे।
मौलाना तौकीर रज़ा ने स्पष्ट किया कि मुस्लिमों को खुद को हिंदू धार्मिक आयोजनों से दूर रखना चाहिए, क्योंकि उनकी उपस्थिति इन आयोजनों में सही नहीं है। उनके अनुसार, दोनों समुदायों को अपनी धार्मिक सीमाओं का सम्मान करते हुए एक-दूसरे के धार्मिक आयोजनों से दूर रहना चाहिए। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब देश में सांप्रदायिक मुद्दे पहले से ही संवेदनशील बने हुए हैं।
मौलाना का यह बयान उन्हें पहले से ही विवादित व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत करता है। साल 2010 में बरेली में हुए सांप्रदायिक दंगों में भी उनका नाम सामने आया था, जहाँ उन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा था। यह दंगे एक धार्मिक जुलूस के दौरान हुए थे, जिनमें काफी हिंसा फैली थी और कई हफ्तों तक कर्फ्यू लगाना पड़ा था। हालाँकि बाद में उन्हें इन आरोपों से मुक्त कर दिया गया था, लेकिन इन घटनाओं की यादें आज भी ताज़ा हैं। मौलाना तौकीर रज़ा को उस वक्त के बाद से कई बार कठघरे में खड़ा किया गया है और उनके खिलाफ अदालत में कई मामले लंबित हैं।
उनकी हालिया टिप्पणियाँ भी इसी प्रकार के विवादों को जन्म दे रही हैं, खासकर हिंदू संगठनों के बीच। राष्ट्रीय प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी जैसे कई नेताओं ने उनके बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मौलाना रज़ा के खिलाफ जांच की मांग की है। चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि मौलाना का यह बयान सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश है।
मौलाना तौकीर रज़ा का कहना है कि धार्मिक आयोजनों में किसी भी प्रकार की भागीदारी सोच-समझकर और धार्मिक सीमाओं का सम्मान करते हुए होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संतों का काम प्रेम फैलाना होता है, न कि नफरत। उनका मानना है कि अगर कोई सांप्रदायिक द्वेष की भावना से किसी के धार्मिक आयोजनों में जाने पर प्रतिबंध लगाता है, तो यह सही नहीं है।
इस बयान के बाद से मीडिया और सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। एक ओर कुछ लोग मौलाना के बयान को सही ठहरा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर, कुछ इसे हिंदू-मुस्लिम एकता के खिलाफ मान रहे हैं। बरेली के माहौल में इस बयान ने कुछ तनाव पैदा किया है, हालांकि प्रशासन का कहना है कि स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है।
मौलाना तौकीर रज़ा पहले भी अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं। हाल ही में, उन्होंने एक सामूहिक धर्मांतरण और विवाह समारोह का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न धर्मों के युवा इस्लाम अपनाने के बाद विवाह बंधन में बंधे थे। इस कार्यक्रम ने भी हिंदू संगठनों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया का सामना किया था, जिन्होंने इसे सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश करार दिया था। प्रशासन ने इस कार्यक्रम पर नज़र रखी थी और मौलाना के इस आयोजन की अनुमति भी दी गई थी, यह सुनिश्चित करने के बाद कि सभी प्रक्रिया कानूनी रूप से सही हैं।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर मौलाना तौकीर रज़ा और उनके राजनीतिक-सामाजिक दृष्टिकोण पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनकी संगठन इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल पहले भी कई विवादों का हिस्सा रह चुकी है, खासकर धार्मिक आधार पर दिए गए उनके बयानों की वजह से। मौलाना का कहना है कि उनके सभी बयान समाज में शांति और सौहार्द को बढ़ावा देने के उद्देश्य से होते हैं, लेकिन उनके आलोचक इसे सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश मानते हैं।
मौलाना के इस बयान से साफ है कि देश में सांप्रदायिक मुद्दों पर चर्चा अभी खत्म नहीं हुई है। उनका मानना है कि धार्मिक आयोजनों में भागीदारी सोच-समझकर और संवेदनशीलता के साथ की जानी चाहिए, ताकि किसी भी तरह का धार्मिक टकराव न हो।