क्या रेपो दर में कटौती की उम्मीदें धरी रह जाएंगी? आरबीआई एमपीसी की अहम बैठक
के कुमार आहूजा 2024-10-07 12:54:14
क्या रेपो दर में कटौती की उम्मीदें धरी रह जाएंगी? आरबीआई एमपीसी की अहम बैठक
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अक्टूबर 7-9 की बैठक पर देशभर की नज़रें टिकी हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दर में कटौती के बाद, अब सवाल यह है कि क्या आरबीआई उसी राह पर चलेगा या फिर अपने रुख में बदलाव नहीं करेगा? विशेषज्ञों का मानना है कि दरों में कटौती की उम्मीद फिलहाल कम है, लेकिन बैठक के बाद आने वाला संकेत अगले कदमों की दिशा तय कर सकता है।
आरबीआई के दरों पर क्या फैसला हो सकता है?
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) फिलहाल रेपो दरों में कटौती करने के मूड में नहीं दिख रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा मुद्रास्फीति और जीडीपी की स्थिति को देखते हुए, आरबीआई दरों को स्थिर बनाए रखेगा। शारदा इंश्योरेंस के चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर अजीत बनर्जी के अनुसार, आरबीआई तब तक दरों में कटौती नहीं करेगा, जब तक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर स्थिर नियंत्रण नहीं हो जाता और खाद्य मुद्रास्फीति का उतार-चढ़ाव भी नियंत्रित नहीं हो जाता।
मुद्रास्फीति पर नियंत्रण की आवश्यकता
भारत में मुद्रास्फीति के बारे में सबसे बड़ी चिंता है कि यह खाद्य पदार्थों की कीमतों पर आधारित है, जो मौसम और सप्लाई चेन में बदलाव से प्रभावित होती है। एमपीसी का हमेशा यह दृष्टिकोण रहा है कि 4 प्रतिशत मुद्रास्फीति के लक्ष्य को तब तक प्राथमिकता दी जाए, जब तक यह स्थायी रूप से नहीं हासिल हो जाता। ऐसे में कोई भी कदम उठाने से पहले आरबीआई को भरोसा चाहिए कि मुद्रास्फीति में भविष्य में बड़े उतार-चढ़ाव नहीं होंगे।
जीडीपी के स्थिर आंकड़े
हालांकि, विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि भारत की जीडीपी के आंकड़े फिलहाल स्थिर हैं और बड़े खतरे का संकेत नहीं दे रहे हैं। पहली तिमाही में 6.7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि मुख्य रूप से चुनावी खर्चों और सरकारी निवेश में कमी की वजह से हुई थी। दूसरी तिमाही में सरकारी खर्च फिर से शुरू हुआ, जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि जीडीपी विकास दर आरबीआई के अनुमान के अनुरूप होगी।
आगे की राह: बैठक में क्या चर्चा हो सकती है?
इस बैठक में मौद्रिक नीति समिति का पुनर्गठन भी होगा, जिसमें तीन बाहरी सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। यह माना जा रहा है कि इस बैठक में किसी बड़ी दरों में बदलाव की उम्मीद नहीं है, लेकिन गवर्नर के बयान का रुख आगे की दिशा निर्धारित करेगा। विश्लेषक यह भी कह रहे हैं कि इस बैठक में आरबीआई का रुख हल्का "डोविश" हो सकता है, जिससे यह संकेत मिल सकता है कि भविष्य में दरों में कटौती हो सकती है।
वैश्विक कारकों का प्रभाव
आरबीआई की बैठक में वैश्विक घटनाक्रमों का भी महत्व रहेगा। जैसे कि अमेरिका और अन्य विकसित देशों में मुद्रास्फीति का व्यवहार और उनकी मौद्रिक नीतियों में हुए हालिया बदलाव। विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और दरों में कटौती के बारे में दिए गए संकेत भी आरबीआई के निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं।
अक्टूबर 7-9 की बैठक पर वित्तीय जगत की निगाहें इसलिए टिकी होंगी क्योंकि यह न केवल वर्तमान दरों पर निर्णय करेगी, बल्कि आगे की आर्थिक दिशा का भी संकेत देगी। आरबीआई का रुख फिलहाल स्थिर दिख रहा है, लेकिन भविष्य में दरों में कटौती के संकेत भी इस बैठक से मिल सकते हैं।