दंतेवाड़ा मुठभेड़: 28 माओवादी ढेर, सुरक्षा बलों की बड़ी जीत—माओवाद के खात्मे की दिशा में बड़ा कदम
के कुमार आहूजा 2024-10-06 17:35:23
दंतेवाड़ा मुठभेड़: 28 माओवादी ढेर, सुरक्षा बलों की बड़ी जीत—माओवाद के खात्मे की दिशा में बड़ा कदम
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में शुक्रवार को सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच हुई बड़ी मुठभेड़ ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। इस कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने 28 माओवादियों को मार गिराया, जो माओवादी हिंसा के खिलाफ चल रहे अभियानों की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री ने इस कार्रवाई की प्रशंसा की, यह संकेत देते हुए कि माओवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
मुख्य विवरण:
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिलों की सीमा पर शुक्रवार को सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच घमासान मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ दोपहर 12:30 बजे से 1 बजे के बीच शुरू हुई, जिसमें 28 माओवादी मारे गए। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पट्टिलिंगम ने पुष्टि की कि 28 नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं। इसके साथ ही मुठभेड़ स्थल से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया गया है, जिनमें AK-47 और SLR शामिल हैं।
सुरक्षा बलों का ऑपरेशन:
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिला रिजर्व गार्ड (DRG) और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की एक संयुक्त टीम ने ऑपरेशन को अंजाम दिया। यह टीम गुरुवार को ओरछा और बस्तर पुलिस स्टेशनों से रवाना हुई थी और शुक्रवार दोपहर को माओवादियों के खिलाफ मुठभेड़ शुरू हुई। माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे अभियानों के तहत सुरक्षा बलों की यह बड़ी सफलता मानी जा रही है।
मुख्यमंत्री और गृहमंत्री की प्रतिक्रियाएँ:
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साई ने इस मुठभेड़ की सराहना करते हुए सुरक्षा बलों की "अदम्य वीरता" को सलाम किया। मुख्यमंत्री ने कहा, "हमारी डबल इंजन सरकार माओवाद को समाप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित है और यह बड़ी सफलता इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।"
इसके अलावा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी इस घटना के बाद माओवाद के खात्मे को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने पहले भी सितंबर में माओवाद हिंसा के पीड़ितों से मुलाकात करते हुए यह भरोसा दिलाया था कि 31 मार्च 2026 तक माओवाद को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो लोग हिंसा का रास्ता अपना रहे हैं, वे समाज की स्थिरता को कमजोर कर रहे हैं और उन्हें शांति के रास्ते पर लौट आना चाहिए।
माओवादियों पर भारी दबाव:
छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ वर्षों से माओवादी हिंसा के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई में तेजी आई है। केंद्रीय और राज्य सरकारें माओवादियों के खिलाफ सख्त रुख अपना रही हैं। इस साल की शुरुआत में भी कई नक्सली मुठभेड़ों में मारे गए थे, लेकिन दंतेवाड़ा में यह ताजा कार्रवाई सबसे बड़ी मानी जा रही है। माओवादियों के खिलाफ इस प्रकार की लगातार कार्रवाई से माओवादी संगठन कमजोर हो रहे हैं और उनकी गतिविधियों पर भारी दबाव बन रहा है।
माओवाद के खिलाफ सरकार की रणनीति:
केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में न केवल सुरक्षा अभियान तेज किए गए हैं, बल्कि विकास कार्यों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार का मानना है कि माओवाद की जड़ें गरीबी और विकास की कमी में छिपी हैं, और इसलिए इन इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जा रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस संदर्भ में कहा था कि सरकार माओवादी हिंसा को समाप्त करने और प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
माओवादी समस्या का अंत?
सुरक्षा बलों की लगातार सफलता और सरकार की कठोर रणनीति से संकेत मिलते हैं कि माओवादी आंदोलन धीरे-धीरे अपने अंत की ओर बढ़ रहा है। हालांकि, माओवादियों का पूर्ण उन्मूलन अभी भी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन हाल के अभियानों से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार और सुरक्षा बल इस समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
अधिकारियों का कहना है कि माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी और सुरक्षा बल माओवादी गढ़ों को पूरी तरह से खत्म करने तक अभियान चलाते रहेंगे। इस मुठभेड़ से एक बात स्पष्ट है कि सरकार माओवादी हिंसा के खिलाफ अपनी लड़ाई में कोई ढिलाई नहीं बरत रही है।
बहरहाल, दंतेवाड़ा मुठभेड़ न केवल माओवादी हिंसा के खिलाफ एक बड़ी जीत है, बल्कि यह संकेत भी है कि राज्य और केंद्र सरकारें माओवाद को समाप्त करने के लिए सख्त और निर्णायक कदम उठा रही हैं। सुरक्षा बलों की कार्रवाई से माओवादियों पर भारी दबाव बना हुआ है और आने वाले समय में इस समस्या का पूर्ण समाधान होने की उम्मीद है।