वायनाड भूस्खलन के पीड़ितों को राहत में देरी: केरल हाईकोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार
के कुमार आहूजा 2024-10-06 17:02:56
वायनाड भूस्खलन के पीड़ितों को राहत में देरी: केरल हाईकोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार
वायनाड भूस्खलन से प्रभावित लोगों को अभी तक राहत राशि नहीं मिली है, जबकि पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक को पहले ही सहायता राशि मिल चुकी है। इस देरी पर केरल हाईकोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। आखिर क्यों केरल को अब तक राहत नहीं मिली? और इस मुद्दे पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया है? जानिए पूरी रिपोर्ट।
विस्तृत रिपोर्ट:
शुक्रवार को केरल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (National Disaster Relief Fund - NDRF) और प्रधानमंत्री राहत कोष (Prime Minister's Relief Fund) से वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के लिए फंड रिलीज करने में हो रही देरी पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। जस्टिस ए के जयशंकरन नांबियार और जस्टिस स्याम कुमार वीएम की खंडपीठ ने मामले में स्वतः संज्ञान लिया और केंद्र सरकार से तत्काल कदम उठाने को कहा।
इस मामले में अमिकस क्यूरी (न्यायालय की सहायता करने वाले वकील) रंजीथ थंपन ने अदालत के सामने बताया कि वायनाड में जुलाई में हुए भूस्खलन के कारण काफी जान-माल का नुकसान हुआ, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से अब तक कोई राहत राशि राज्य को प्रदान नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक को पहले ही राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से मदद मिल चुकी है, जबकि केरल अभी भी इंतजार कर रहा है।
कोर्ट की टिप्पणियाँ और आदेश:
अदालत ने इस मामले में तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि आपदा राहत कोष से राशि वितरण पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और केंद्र सरकार को जल्द फैसला लेना चाहिए। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री राहत कोष से भी फंड रिलीज करने की बात कही गई। अदालत ने केंद्र सरकार से 18 अक्टूबर तक मामले पर विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।
अदालत ने कहा, "सरकार द्वारा सिर्फ आदेश जारी कर देना पर्याप्त नहीं है। वास्तविक तौर पर पीड़ितों तक राहत राशि पहुंचनी चाहिए।" अदालत ने इस देरी पर असंतोष जताते हुए कहा कि पीड़ितों की शिकायतों का शीघ्र समाधान जरूरी है। इसके साथ ही अदालत ने राज्य में अवैध खनन रोकने और आपदा संभावित इलाकों में सतर्कता और निगरानी समितियों के गठन की बात कही।
वायनाड भूस्खलन: क्या हुआ था?
30 जुलाई 2024 को वायनाड जिले के मुण्डक्काई और चूरलमाला गांवों में एक भीषण भूस्खलन हुआ, जिसमें 420 लोगों की जान चली गई और 100 से अधिक लोग अब भी लापता हैं। इस भूस्खलन ने राज्य की आपदा प्रबंधन प्रणाली और राहत कार्यों की कुशलता पर कई सवाल खड़े किए। पीड़ितों को अब तक मुआवजा, भत्ता और मासिक किराया नहीं मिला है, जिससे लोगों में नाराजगी है।
शिकायतों का निपटारा:
केरल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (KELSA) की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में 40 शिकायतें दर्ज की गई थीं, जिनमें से 22 शिकायतों का समाधान हो चुका है, जबकि 18 शिकायतें अभी भी लंबित हैं। अदालत ने राज्य सरकार को लंबित शिकायतों की अपडेटेड सूची पेश करने के निर्देश दिए, जिसमें दो सप्ताह से अधिक समय से लंबित शिकायतों का विवरण हो।
केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया:
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से समय की मांग की और 18 अक्टूबर 2024 तक विस्तृत जवाब देने का आश्वासन दिया। इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को तय की है।
अवैध खनन और आपदा संभावित क्षेत्रों में सख्त नियमों की मांग:
वायनाड जैसी प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए अदालत ने राज्य सरकार को अवैध खनन रोकने और सतर्कता समितियों के गठन का निर्देश दिया। साथ ही भूस्खलन और बाढ़ संभावित क्षेत्रों में सख्त जोनिंग नियम लागू करने की बात कही गई। अदालत ने जोर देकर कहा कि इन क्षेत्रों में समय रहते सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
अवसरों की निगरानी:
इस मामले में अदालत ने केएलएसए के सदस्य सचिव को भी प्रतिवादी के रूप में शामिल करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि यह मामला न केवल पीड़ितों के लिए राहत राशि के वितरण से संबंधित है, बल्कि आपदा प्रबंधन की संपूर्ण प्रक्रिया की निगरानी और नियंत्रण का भी है।
वायनाड में हुए भूस्खलन ने राज्य के कई परिवारों को असहनीय दर्द दिया है। केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत राशि मिले। अदालत की यह सख्त टिप्पणियाँ और निर्देश इस बात का संकेत हैं कि आपदा के बाद राहत कार्यों में देरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब देखना यह है कि 18 अक्टूबर तक केंद्र सरकार इस मामले में क्या प्रतिक्रिया देती है और कितनी तेजी से पीड़ितों को राहत पहुंचाई जाती है।