कुपवाड़ा में घुसपैठ की कोशिश नाकाम: सेना ने दो आतंकियों को किया ढेर, ऑपरेशन गुगलधर जारी


के कुमार आहूजा  2024-10-06 13:44:14



कुपवाड़ा में घुसपैठ की कोशिश नाकाम: सेना ने दो आतंकियों को किया ढेर, ऑपरेशन गुगलधर जारी

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा (LoC) पर आतंकियों द्वारा की जा रही घुसपैठ की एक बड़ी कोशिश को भारतीय सेना ने शनिवार को नाकाम कर दिया। इस ऑपरेशन में दो अज्ञात आतंकियों को सेना ने मार गिराया। सेना द्वारा चलाए गए इस ऑपरेशन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सुरक्षा बल किसी भी नापाक हरकत को नाकाम करने के लिए सतर्क हैं।

मामले का विवरण: 

शनिवार की सुबह जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के गुगलधर इलाके में भारतीय सेना के जवानों ने LoC पार से हो रही घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया। सेना ने जानकारी दी कि इस ऑपरेशन में दो अज्ञात आतंकियों को मार गिराया गया। श्रीनगर स्थित 15वीं कोर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए बताया, "सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन गुगलधर के दौरान दो आतंकियों को मार गिराया। इस दौरान युद्ध सामग्री भी बरामद की गई है। क्षेत्र में तलाशी अभियान जारी है और ऑपरेशन अभी भी प्रगति पर है।"

इस मुठभेड़ के बाद सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे इलाके में सघन तलाशी अभियान चलाया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि और कोई आतंकी इलाके में छिपा न हो। यह घटना तब हुई है जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए सुरक्षा बलों ने आतंकी गतिविधियों और घुसपैठ के खिलाफ अभियान को तेज कर दिया है।

सुरक्षा बलों की सतर्कता: 

इस क्षेत्र में आतंकियों की गतिविधियों के चलते सुरक्षा बल हमेशा सतर्क रहते हैं। दो दिन पहले 15वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि कश्मीर घाटी में शांति बनाए रखने के लिए आतंकवाद और घुसपैठ के खिलाफ सुरक्षा बलों की तैनाती में किसी भी तरह की कमी नहीं होनी चाहिए।

सेना द्वारा चलाए जा रहे इन अभियानों का मुख्य उद्देश्य सीमाओं पर हो रही घुसपैठ को रोकना है ताकि राज्य में शांति और स्थिरता बनी रहे। इसके अलावा, इन अभियानों से आतंकियों के मंसूबों पर भी पानी फेरा जा रहा है जो भारतीय सेना, स्थानीय पुलिस और नागरिकों पर हमले कर रहे थे।

हिट-एंड-रन हमलों का दौर: 

हाल के महीनों में जम्मू-कश्मीर के डोडा, कठुआ, राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों में आतंकियों द्वारा हिट-एंड-रन हमले किए जा रहे थे। आतंकी हमले करने के बाद घने जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में छिप जाते थे, जिससे उन्हें पकड़ना चुनौतीपूर्ण हो जाता था। इस चुनौती का सामना करने के लिए सेना ने विशेष पहाड़ी युद्ध विशेषज्ञों को इन इलाकों में तैनात किया है। सेना के 4,000 से अधिक कमांडो और अन्य विशेष बलों को इन पहाड़ी और घने वन क्षेत्रों में तैनात किया गया है। इस रणनीति के बाद इन क्षेत्रों में आतंकी हमलों में उल्लेखनीय कमी आई है।

सुरक्षा बलों की नई रणनीति: 

आतंकियों द्वारा अपनाई जा रही रणनीतियों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों ने अपनी रणनीति में भी बदलाव किया है। इसके तहत आतंकियों के छिपने वाले इलाकों में घातक कमांडो तैनात किए गए हैं, जिससे आतंकियों के पास भागने का कोई रास्ता नहीं बचता। इस नई रणनीति के तहत अभी तक पांच आतंकियों को मारा जा चुका है।

इस क्षेत्र में तैनात सैनिकों और विशेष बलों की सतर्कता के चलते आतंकियों के खिलाफ लगातार सफलता मिल रही है। यह बदलती हुई रणनीति न केवल आतंकियों को हतोत्साहित कर रही है बल्कि उनकी गतिविधियों को सीमित करने में भी सहायक साबित हो रही है।

पिछले हमले और सुरक्षा बलों की चुनौती: 

शुक्रवार को भी कुपवाड़ा जिले में गश्त के दौरान एक लैंडमाइन विस्फोट हुआ था, जिसमें सेना के दो जवान घायल हो गए थे। यह घटना बताती है कि आतंकी लगातार भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं, लेकिन सुरक्षा बल पूरी मुस्तैदी के साथ आतंकवाद का मुकाबला कर रहे हैं।

पिछले कुछ महीनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं, खासकर विदेशी भाड़े के आतंकियों द्वारा। लेकिन इन हमलों के बाद भी सेना और सुरक्षा बल अपनी रणनीति में कोई कमी नहीं कर रहे हैं और आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई को और तेज कर रहे हैं।

कुपवाड़ा में हुई इस मुठभेड़ में दो आतंकियों के मारे जाने से यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय सेना किसी भी घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करने में सक्षम है। सुरक्षा बलों की सतर्कता और उनकी नई रणनीतियों से आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई और मजबूत हो रही है। केंद्र और राज्य सरकारों की माओवाद और आतंकवाद के खिलाफ कठोर नीतियों के साथ, सेना का यह अभियान आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेरने में कामयाब हो रहा है।

इस मुठभेड़ ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सेना और सुरक्षा बल सीमा पर न केवल सजग हैं, बल्कि वे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। आने वाले समय में इस तरह की कार्रवाइयों से आतंकवाद पर लगाम कसने की उम्मीद और बढ़ जाती है।


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