दुर्लभ रोगों के मरीजों को मिलेगी राहत: दिल्ली हाईकोर्ट ने 974 करोड़ के फंड का आदेश दिया


के कुमार आहूजा  2024-10-06 13:30:59



दुर्लभ रोगों के मरीजों को मिलेगी राहत: दिल्ली हाईकोर्ट ने 974 करोड़ के फंड का आदेश दिया

दिल्ली हाईकोर्ट ने दुर्लभ रोगों से पीड़ित मरीजों के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने केंद्र सरकार को 974 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय दुर्लभ रोग फंड (NRDF) की स्थापना का आदेश दिया है। क्या यह फैसला दुर्लभ रोगों से जूझ रहे लाखों मरीजों के लिए आशा की नई किरण साबित होगा? जानिए पूरी रिपोर्ट।

विस्तृत रिपोर्ट:

शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार को राष्ट्रीय दुर्लभ रोग फंड (National Rare Disease Fund - NRDF) की स्थापना का आदेश दिया। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि यह फंड दुर्लभ बीमारियों के मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाएगा और इसके लिए 974 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की जाएगी। अदालत ने कहा कि यह राशि 2024-25 और 2025-26 के लिए निर्धारित होगी, जो कि दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

दुर्लभ रोगों के लिए न्यायिक हस्तक्षेप:

यह फैसला उन 105 याचिकाओं के संदर्भ में आया, जिन्हें दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की तरफ से दाखिल किया गया था। इन याचिकाओं में मुफ्त इलाज की मांग की गई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा कि "स्वास्थ्य का अधिकार जीवन के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है" और यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह दुर्लभ रोगों के मरीजों के इलाज के लिए उपयुक्त कदम उठाए।

हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि राष्ट्रीय दुर्लभ रोग समिति (National Rare Disease Committee - NRDC), जो 25 मई 2023 को बनाई गई थी, अगले पांच वर्षों तक कार्य करेगी। यह समिति दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए नीतियों का निर्धारण और उनकी निगरानी करेगी।

फंड की मॉनिटरिंग होगी अनिवार्य:

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इस फंड के वितरण की मॉनिटरिंग अनिवार्य रूप से हर महीने की जाएगी। इसके साथ ही, किसी भी देरी का पता लगाने के लिए एक सख्त प्रणाली बनाई जाएगी। अदालत ने कहा कि इस मॉनिटरिंग के तहत पहली बैठक 30 दिनों के अंदर होनी चाहिए।

हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस फंड को गैर-उपयोग की स्थिति में समाप्त नहीं किया जाएगा। अदालत ने कहा कि मरीजों के इलाज और दवाइयों की आपूर्ति में कोई देरी नहीं होनी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इस फंड का पूरा उपयोग हो।

दुर्लभ रोगों का संकट:

दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की स्थिति बेहद गंभीर होती है क्योंकि इन बीमारियों का इलाज महंगा होता है और इनकी जानकारी भी आम जनता में कम होती है। दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित कई मरीजों के परिजन इस वजह से अदालत की शरण में आए क्योंकि सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए फंड की कमी और लंबी प्रतीक्षा सूची थी। इस फैसले से हजारों मरीजों को उम्मीद की नई रोशनी मिली है।

सरकार की जिम्मेदारी पर कोर्ट का फोकस:

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार को मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक फंड जारी करने में कोई देरी नहीं करनी चाहिए। अदालत ने कहा कि सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित मरीजों को न सिर्फ इलाज की सुविधा दे, बल्कि उनकी समस्याओं का समाधान भी तेजी से करे।

आने वाला रास्ता:

इस फैसले से दुर्लभ रोगों के मरीजों और उनके परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई है। लेकिन, यह भी देखना होगा कि सरकार इस फंड को किस तरह लागू करती है और इसे मरीजों तक पहुंचाने के लिए क्या कदम उठाती है। अदालत की सख्त मॉनिटरिंग प्रणाली और हर महीने की रिपोर्टिंग से यह उम्मीद की जा सकती है कि इस बार राहत तेजी से मरीजों तक पहुंचेगी।

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण मिसाल साबित हो सकता है, जो देशभर के दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए एक उम्मीद की किरण साबित होगा। सरकार की ओर से फंड जारी करने में देरी होने पर अदालत के इस आदेश ने स्पष्ट रूप से कहा कि मरीजों को इलाज के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।

 

Source : ANI


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