दौसा के कलेक्टर के नाम से साइबर ठगी: फर्जी व्हाट्सएप आईडी से अधिकारियों से मांगे गए पैसे


के कुमार आहूजा  2024-10-06 11:04:32



दौसा के कलेक्टर के नाम से साइबर ठगी: फर्जी व्हाट्सएप आईडी से अधिकारियों से मांगे गए पैसे

राजस्थान के दौसा जिले में साइबर ठगी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार यादव के नाम से फर्जी व्हाट्सएप आईडी बनाकर उनके अधीनस्थ अधिकारियों और परिचितों से पैसे मांगे गए। यह घटना न केवल प्रशासनिक अधिकारियों के बीच हलचल मचाने वाली है, बल्कि साइबर अपराधियों की बढ़ती हिम्मत को भी उजागर करती है।

घटना का विवरण:

शनिवार को दौसा जिले के कलेक्टर देवेंद्र कुमार यादव के नाम से एक फर्जी व्हाट्सएप आईडी बनाई गई, जिसमें उनकी तस्वीर का इस्तेमाल किया गया। इस फर्जी आईडी से जिले के बसवा और लालसोट सहित कई तहसीलदारों से पैसे की मांग की गई। इस ठगी के प्रयास में सबसे पहले तीन तहसीलदारों ने जिला कलेक्टर को जानकारी दी कि उनके नाम से पैसे मांगे जा रहे हैं।

जब यह मामला कलेक्टर देवेंद्र कुमार के संज्ञान में आया, तो उन्होंने तुरंत इस फर्जीवाड़े की जानकारी दौसा जिले की एसपी रंजिता शर्मा को दी। इसके बाद साइबर थाना दौसा में इस मामले की शिकायत दर्ज की गई और पुलिस ने तुरंत इस फर्जी व्हाट्सएप आईडी और उससे जुड़े फोन नंबर (8883286101) की जांच शुरू कर दी।

कैसे हुई ठगी की शुरुआत:

ठगों ने बड़ी चालाकी से कलेक्टर की तस्वीर का इस्तेमाल करते हुए एक फर्जी व्हाट्सएप प्रोफाइल बनाई और इस प्रोफाइल से विभिन्न सरकारी अधिकारियों और परिचितों को संदेश भेजा गया। संदेश में ठगों ने अधिकारियों से यह अनुरोध किया कि उन्हें एक आपातकालीन स्थिति में आर्थिक मदद की जरूरत है। यह सुनियोजित ढंग से की गई ठगी का प्रयास था, लेकिन अधिकारियों ने समय रहते सतर्कता दिखाते हुए तुरंत इसकी सूचना जिला कलेक्टर को दी।

कलेक्टर ने की अपील:

जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार यादव ने इस फर्जीवाड़े के बारे में सोशल मीडिया और व्यक्तिगत संदेशों के माध्यम से लोगों को सतर्क किया। उन्होंने लोगों से अपील की कि कोई भी इस नंबर पर पैसे न भेजे। कलेक्टर यादव ने बताया कि ठगों ने उनकी फर्जी आईडी का इस्तेमाल करके न केवल अधिकारियों बल्कि उनके परिचितों से भी पैसों की मांग की।

कलेक्टर ने कहा, "साइबर ठगों द्वारा किया गया यह प्रयास समय रहते सामने आ गया, जिससे किसी को कोई आर्थिक नुकसान नहीं हुआ। मैंने लोगों को सतर्क कर दिया है और उम्मीद है कि कोई भी इस धोखाधड़ी का शिकार नहीं होगा।"

साइबर ठगी की बड़ी साजिश:

इस घटना के बाद यह भी पता चला कि केवल दौसा के कलेक्टर ही नहीं, बल्कि राजस्थान के सवाई माधोपुर और केकड़ी जिलों के कलेक्टरों के नाम से भी फर्जी व्हाट्सएप आईडी बनाई गई है। इन फर्जी आईडी के माध्यम से अधिकारियों और जनता को गुमराह करके पैसे की मांग की गई। हालांकि, अभी तक यह जानकारी नहीं मिली है कि किसी ने ठगों को पैसे भेजे हैं या नहीं।

 

विशेष बात यह है कि जिन फर्जी व्हाट्सएप नंबरों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वे भारत के नहीं बल्कि उजबेकिस्तान के बताए जा रहे हैं। साइबर अपराधियों की यह चालाकी दर्शाती है कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हैं और प्रशासनिक अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं।

 

पुलिस की कार्रवाई:

दौसा पुलिस अधीक्षक रंजिता शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए साइबर थाने की टीम को इस ठगी का पर्दाफाश करने के निर्देश दिए हैं। पुलिस ने फर्जी व्हाट्सएप आईडी और संबंधित नंबर की जांच शुरू कर दी है। डीएसपी ब्रजेश मीणा के अनुसार, फिलहाल पुलिस को इस मामले में कोई ठोस शिकायत नहीं मिली है, लेकिन साइबर ठगों की पहचान और उनके नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए जांच जारी है।

साइबर क्राइम एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस तरह की ठगी की घटनाओं में अक्सर अपराधी अंतरराष्ट्रीय नंबरों का इस्तेमाल करते हैं ताकि उनका पता लगाना मुश्किल हो। लेकिन पुलिस की साइबर टीमें पूरी सतर्कता के साथ इस तरह के मामलों को सुलझाने की कोशिश कर रही हैं।

साइबर अपराधियों से बचाव के उपाय:

साइबर अपराधियों से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है।

किसी भी अज्ञात नंबर से आए संदेश या कॉल पर बिना सोचे-समझे प्रतिक्रिया न दें।

यदि कोई व्यक्ति आपके नाम या तस्वीर का इस्तेमाल करके पैसों की मांग कर रहा है, तो तुरंत संबंधित व्यक्ति से संपर्क करके सत्यापन करें।

साइबर ठगी की किसी भी घटना के बारे में तुरंत पुलिस को सूचित करें और साइबर क्राइम हेल्पलाइन का इस्तेमाल करें।

इस घटना ने साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता को उजागर किया है। प्रशासनिक अधिकारियों और जनता को सतर्क रहकर साइबर अपराधियों के झांसे में आने से बचना चाहिए। दौसा पुलिस की तत्परता से कलेक्टर देवेंद्र कुमार यादव के नाम से हो रही ठगी का प्रयास विफल हो गया, लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि साइबर ठगी का खतरा लगातार बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए सभी को मिलकर सावधानी बरतने की आवश्यकता है।


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