बाज़ार में भूचाल: मध्य पूर्व संघर्ष से निवेशकों को ₹14 लाख करोड़ का नुकसान
के कुमार आहूजा 2024-10-05 14:14:39
बाज़ार में भूचाल: मध्य पूर्व संघर्ष से निवेशकों को ₹14 लाख करोड़ का नुकसान
भारतीय शेयर बाज़ार में शुक्रवार को ऐसा भूचाल आया जिसने निवेशकों को भारी नुकसान में धकेल दिया। दो दिन के अंदर ही ₹14 लाख करोड़ की संपत्ति स्वाहा हो गई, जिसका असर हर छोटे-बड़े निवेशक पर पड़ा। क्या है इसके पीछे का कारण? और कैसे ये गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकती है?
विस्तृत रिपोर्ट:
शुक्रवार का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए काले दिनों में गिना जाएगा। मध्य पूर्व में इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष के कारण भारतीय बाज़ार में बड़ा झटका लगा, जिसने निवेशकों की दौलत में ₹14 लाख करोड़ की कमी कर दी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर सभी लिस्टेड कंपनियों की कुल मार्केट कैप ₹475 लाख करोड़ से घटकर ₹461 लाख करोड़ रह गई। यह गिरावट पिछले दो महीनों में सबसे बड़ी मानी जा रही है।
सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट:
सेंसेक्स 808 अंक या 0.98% की गिरावट के साथ 81,688 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 235 अंक या 0.93% की गिरावट के साथ 25,014 पर बंद हुआ। मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स में भी जबरदस्त बिकवाली देखी गई। निफ्टी मिडकैप इंडेक्स 550 अंक गिरकर 58,747 पर और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 193 अंक गिरकर 18,758 पर बंद हुआ।
कौन से सेक्टर रहे सबसे बड़े हारे हुए?
इस बार सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टरों में ऑटो, फाइनेंस, फार्मा, FMCG, मेटल, रियल एस्टेट और एनर्जी रहे। सिर्फ आईटी और PSU बैंकों में थोड़ी सी बढ़त देखी गई, जो शायद अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों और आईटी सेक्टर की रक्षात्मक प्रकृति के कारण थी।
बड़ी कंपनियों पर असर:
M&M, बजाज फाइनेंस, नेस्ले, एशियन पेंट्स, भारती एयरटेल, अल्ट्राटेक सीमेंट, HUL, पावर ग्रिड, HDFC बैंक, रिलायंस, बजाज फिनसर्व, ICICI बैंक और NTPC जैसी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। दूसरी ओर, इंफोसिस, टेक महिंद्रा, विप्रो, टाटा मोटर्स, एक्सिस बैंक और TCS में कुछ बढ़त देखने को मिली।
विदेशी निवेशक भी बेचने लगे:
बाजार में मची इस उथल-पुथल के बीच विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) भी बड़ी मात्रा में अपने निवेश निकालने लगे। 3 अक्टूबर को FIIs ने ₹15,243 करोड़ की इक्विटी बेची, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने ₹12,914 करोड़ की खरीदारी की।
मध्य पूर्व संकट का असर:
मध्य पूर्व में इज़राइल और ईरान के बीच जारी संघर्ष ने कच्चे तेल की कीमतों को बढ़ा दिया है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारतीय बाज़ार के लिए चिंताजनक हैं, क्योंकि भारत का एक बड़ा हिस्सा आयातित तेल पर निर्भर है। क्रूड ऑयल की कीमतें तेज़ी से ऊपर जा रही हैं, जिससे महंगाई और आर्थिक अस्थिरता की संभावना बढ़ रही है।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति के चलते निवेशक "sell-on-recovery" रणनीति अपना रहे हैं, जिसका मतलब है कि वे किसी भी रिकवरी के दौरान अपने निवेश को निकाल रहे हैं।
आने वाले समय में और गिरावट की संभावना:
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब तक मध्य पूर्व संकट और कच्चे तेल की कीमतों पर स्थिरता नहीं आती, तब तक भारतीय शेयर बाज़ार में गिरावट का दौर जारी रह सकता है। साथ ही, निवेशकों को चीन जैसे सस्ते बाजारों में फंड्स शिफ्ट करने का विकल्प दिख रहा है, जिससे भारतीय बाजार में निवेश की गति धीमी हो सकती है।
बाजार में डर का माहौल:
इंडिया VIX, जो बाजार की अस्थिरता को मापता है, 7.21% की बढ़ोतरी के साथ 14.12 पर बंद हुआ। यह बताता है कि आने वाले दिनों में बाजार में और अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
निवेशकों को सलाह:
विशेषज्ञ निवेशकों को इस समय सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। जिन सेक्टरों में गिरावट की संभावना अधिक है, उनमें अभी निवेश करने से बचने और आईटी या पीएसयू बैंकों जैसे सुरक्षित सेक्टरों में शिफ्ट करने का सुझाव दिया जा रहा है।
भारतीय शेयर बाजार ने हाल के दिनों में निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचाया है। मध्य पूर्व में चल रहे संकट और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण आने वाले हफ्तों में भी बाजार की स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी रह सकती है। निवेशकों को सतर्क रहते हुए अपने निवेश का प्रबंधन करना होगा।
Source : IANS