कोलकाता में अनोखी पहल: 8,000 पौधों से सजी माँ दुर्गा की मूर्ति, पर्यावरण संरक्षण का संदेश


के कुमार आहूजा  2024-10-04 06:55:36



कोलकाता में अनोखी पहल: 8,000 पौधों से सजी माँ दुर्गा की मूर्ति, पर्यावरण संरक्षण का संदेश

कोलकाता में इस बार की दुर्गा पूजा कुछ खास है। हर साल की तरह भव्य मूर्तियों और पंडालों की धूम के बीच, इस बार एक अनोखी पहल की गई है जो पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करती है। लालबागान नवांकुर दुर्गा पूजा समिति ने एक ऐसा पंडाल तैयार किया है, जहाँ माँ दुर्गा की मूर्ति को 8,000 प्राकृतिक पौधों से सजाया गया है। यह पहल लोगों को हरियाली से जोड़ने और पर्यावरण संतुलन के महत्व को समझाने का संदेश दे रही है।

इको-फ्रेंडली दुर्गा पूजा का अनूठा पंडाल: 

पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में दुर्गा पूजा का एक अलग ही आकर्षण होता है। यहाँ के विभिन्न पूजा पंडाल हर साल नए-नए प्रयोगों के लिए प्रसिद्ध होते हैं। इसी कड़ी में लालबागान नवांकुर दुर्गा पूजा समिति ने इस साल अपनी दुर्गा प्रतिमा को सजाने के लिए 8,000 से अधिक प्राकृतिक पौधों का इस्तेमाल किया है। यह पहल उन सभी लोगों को एक महत्वपूर्ण संदेश देने का प्रयास है जो पर्यावरण के प्रति सजग नहीं हैं।

पर्यावरण संरक्षण पर जोर: 

इस इको-फ्रेंडली पंडाल का मुख्य उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि पर्यावरण का संरक्षण कितना महत्वपूर्ण है। आयोजकों का कहना है कि पौधे हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं और उन्हें संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। माँ दुर्गा की इस विशेष प्रतिमा के जरिए यह संदेश दिया गया है कि हम अपने चारों ओर हरियाली बनाए रखें और पेड़-पौधों का महत्व समझें।

पंडाल में जो 8,000 पौधे इस्तेमाल किए गए हैं, उन्हें पूजा के बाद भी संरक्षित किया जाएगा और स्थानीय लोगों को वितरित किया जाएगा ताकि वे इन पौधों की देखभाल कर सकें।

पंडाल की डिजाइन और संरचना: 

लालबागान नवांकुर दुर्गा पूजा समिति ने इस साल की थीम "ग्रीन दुर्गा" रखी है। पंडाल की पूरी संरचना को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह एक प्राकृतिक वातावरण की तरह लगे। पंडाल की दीवारों पर भी पौधों का उपयोग किया गया है, जिससे यह न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैला रहा है, बल्कि दुर्गा पूजा के उत्सव में एक नई ऊर्जा और ताजगी भी ला रहा है।

आयोजकों का विचार: 

लालबागान नवांकुर समिति के प्रमुख सदस्यों का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य न केवल लोगों को दुर्गा पूजा के माध्यम से देवी की पूजा करने के लिए प्रेरित करना है, बल्कि उन्हें पर्यावरण के प्रति जागरूक करना भी है। उन्होंने कहा, "दुर्गा पूजा एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, लेकिन इसके माध्यम से हम समाज को एक सकारात्मक संदेश भी दे सकते हैं। इस बार हमने हरियाली को बढ़ावा देने और पौधों की अहमियत को समझाने की कोशिश की है।"

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का संदेश: 

महामारी के बाद, जब दुनिया ने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना शुरू किया, पौधों और हरियाली का महत्व और बढ़ गया। इस इको-फ्रेंडली पहल के माध्यम से, लालबागान नवांकुर ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि हरियाली न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।

समाज की प्रतिक्रिया: 

स्थानीय लोगों और आगंतुकों ने इस पहल की बहुत सराहना की है। पूजा देखने आए लोगों का कहना है कि यह पंडाल एक प्रेरणादायक संदेश दे रहा है, जो आने वाले समय में पर्यावरण के प्रति हमारे दृष्टिकोण को बदल सकता है। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर भी इस पंडाल की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रही हैं, जिससे यह पहल और भी अधिक प्रसिद्ध हो रही है।

बहरहाल, कोलकाता की इस अनोखी पहल ने न केवल दुर्गा पूजा के जश्न को और खास बनाया है, बल्कि लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक भी किया है। इस इको-फ्रेंडली दुर्गा पूजा पंडाल ने हरियाली के प्रति प्रेम और पौधों की सुरक्षा के संदेश को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। उम्मीद है कि इस तरह की पहल से और भी समाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दिया जाएगा, जिससे हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर सकें।


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