मैसूर का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला: 50-50 साइट्स स्कैम में MUDA पर कानूनी कार्रवाई की मांग


के कुमार आहूजा  2024-10-03 09:05:24



मैसूर का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला: 50-50 साइट्स स्कैम में MUDA पर कानूनी कार्रवाई की मांग

मैसूर के विकास की कहानी में अचानक से एक ऐसा अध्याय जुड़ गया है जिसने शहर के नागरिकों को झकझोर कर रख दिया है। यह कहानी है 50-50 साइट्स स्कैम की, जिसे अब तक का सबसे बड़ा भूमि घोटाला बताया जा रहा है। इस मामले को लेकर अधिवक्ता अरुण कुमार ने मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा के लिए प्रधान सिविल और JMFC कोर्ट में मामला दायर किया है। इस घोटाले ने पूरे शहर को चौंका दिया है और अब न्यायिक जांच की मांग जोर पकड़ रही है।

क्या है 50-50 साइट्स स्कैम?

यह घोटाला MUDA की 50-50 योजना से जुड़ा है, जिसके तहत जब कोई व्यक्ति या किसान अपनी जमीन MUDA को देता था, तो उस विकसित जमीन का 50% हिस्सा उसे वापस मिलता था, जबकि बाकी 50% हिस्सा MUDA के पास रहता था। इस योजना के तहत, किसान और जमीन मालिकों को उनकी जमीन के बदले कुछ हिस्सा वापस दिया जाना था, लेकिन आरोप है कि MUDA के कुछ अधिकारियों ने अपने पदों का दुरुपयोग कर इस योजना में घोटाला किया।

अरुण कुमार का बयान:

अधिवक्ता अरुण कुमार ने अपने बयान में कहा, "आज हर कोई इस बात से वाकिफ है कि मैसूर में अब तक इस प्रकार का कोई बड़ा घोटाला नहीं हुआ है। यह घोटाला विशेष रूप से तब हुआ जब दिनेश कुमार और नतेश MUDA के आयुक्त थे। 50-50 योजना के तहत इस घोटाले की शुरुआत हुई, जहां अधिग्रहित जमीन का 50% हिस्सा MUDA ने खुद रखा और बाकी 50% जमीन वापस जमीन मालिकों को दी जानी थी।"

अरुण कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि इस योजना के तहत भ्रष्टाचार और घोटाले की संभावनाओं को बढ़ाया गया, जिससे जमीन मालिकों के साथ धोखा हुआ और उन्हें पूरा लाभ नहीं मिल सका।

घोटाले का पूरा विवरण:

MUDA द्वारा चलाई गई 50-50 योजना में कहा गया कि जब भी कोई जमीन विकास के लिए अधिग्रहित की जाती है, तो 50% हिस्सा जमीन मालिकों को वापस दिया जाएगा। परंतु, अरुण कुमार और अन्य सूत्रों के अनुसार, इस योजना में बड़े पैमाने पर धांधली की गई। कई मामलों में, जो जमीन मालिकों को वापस दी जानी थी, उसे MUDA ने अपने पास रखा और कुछ हिस्सों को निजी डीलरों या अन्य लोगों को बेचा।

इस घोटाले का प्रभाव इतना बड़ा है कि मैसूर के कई किसान और जमीन मालिक अपनी संपत्ति खो चुके हैं, और उनकी जमीनें अन्यत्र बिकीं या उपयोग में लाई गईं। इस योजना के तहत किए गए धोखे ने न केवल किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है, बल्कि शहर के विकास में भी अव्यवस्था पैदा कर दी है।

 

पूर्व अधिकारियों पर आरोप:

इस घोटाले में पूर्व MUDA आयुक्त दिनेश कुमार और नतेश का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है। उन पर आरोप है कि उनके कार्यकाल के दौरान ही इस घोटाले को अंजाम दिया गया। हालांकि, अभी तक इन आरोपों की जांच नहीं हुई है, लेकिन अरुण कुमार ने अपनी याचिका में इन अधिकारियों की जांच की मांग की है।

मामले की न्यायिक कार्रवाई:

अरुण कुमार द्वारा दायर याचिका में स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की गई है, ताकि MUDA पर भविष्य में इस प्रकार के घोटाले करने पर रोक लगाई जा सके। साथ ही, उन्होंने घोटाले में शामिल अधिकारियों की जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इस याचिका के बाद, मैसूर के नागरिकों और प्रभावित जमीन मालिकों को न्याय की उम्मीद है।

न्यायिक प्रक्रिया और आगे का रास्ता:

इस घोटाले की पूरी सच्चाई जानने के लिए न्यायिक जांच की मांग की जा रही है। यह जरूरी है कि जांच निष्पक्ष हो और इसमें कोई राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव न हो। अगर इस घोटाले में शामिल लोग दोषी पाए जाते हैं, तो उन पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे घोटाले दोबारा न हों।

मैसूर का 50-50 साइट्स घोटाला शहर के इतिहास का एक काला अध्याय बन चुका है। यह घोटाला न केवल जमीन मालिकों को नुकसान पहुंचाने का मामला है, बल्कि यह प्रशासनिक व्यवस्था की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाता है। अब देखना यह होगा कि न्यायिक प्रक्रिया इस मामले को किस दिशा में लेकर जाती है और मैसूर के नागरिकों को न्याय मिल पाता है या नहीं।


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