RG Kar रेप और हत्या केस: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद पीड़िता के पिता को न्याय की उम्मीद
के कुमार आहूजा 2024-10-02 22:17:06
RG Kar रेप और हत्या केस: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद पीड़िता के पिता को न्याय की उम्मीद
सोशल मीडिया पर पीड़िता की तस्वीरें वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। इसके बाद पीड़िता के पिता ने सुप्रीम कोर्ट और CBI पर भरोसा जताते हुए न्याय की उम्मीद जताई है।
घटना की पृष्ठभूमि:
पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित RG Kar मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला सामने आया था, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस मामले ने एक बार फिर से सुरक्षा और न्याय प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मामले की जांच CBI कर रही है और कई महत्वपूर्ण सुराग भी हाथ लगे हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर पीड़िता की पहचान उजागर होने की घटनाओं ने इस मामले को और भी जटिल बना दिया है।
सोशल मीडिया पर पीड़िता की पहचान का खुलासा:
सोशल मीडिया पर पीड़िता की तस्वीरें और नाम का खुलासा होना न केवल संवैधानिक नियमों का उल्लंघन है, बल्कि पीड़िता के परिवार के लिए भी यह अत्यधिक पीड़ादायक है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त कदम उठाते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ऐसे सभी पोस्ट्स को तुरंत हटाने का निर्देश दिया है।
पीड़िता के पिता ने मीडिया को बताया, "सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बेटी की तस्वीरों के वायरल होने के मामले पर संज्ञान लिया है और राज्य सरकार को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। हमें सुप्रीम कोर्ट और CBI पर पूरा भरोसा है कि हमें न्याय मिलेगा।"
अधिवक्ता Vrinda Grover का बयान:
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान पीड़िता के माता-पिता की ओर से अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कई सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर पीड़िता का नाम और तस्वीरें अभी भी उपलब्ध हैं। उन्होंने इसे अत्यधिक चिंताजनक बताया। ग्रोवर ने बताया कि एक यूट्यूब फिल्म, जो इस घटना पर आधारित होने का दावा करती है, रिलीज के लिए तैयार है। उन्होंने इसे पीड़िता के परिवार के लिए एक और आघात बताया।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर निर्देश:
सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कड़ी फटकार लगाते हुए यह स्पष्ट किया कि उसके पहले दिए गए आदेश सिर्फ विकिपीडिया के लिए ही नहीं, बल्कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लागू होते हैं। कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि पीड़िता की पहचान का कोई भी खुलासा नहीं होना चाहिए और सभी अवैध पोस्ट्स तुरंत हटा दिए जाएं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस संबंध में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेगा, जो इस तरह के पोस्ट्स पर निगरानी रखेगा और समय पर कार्रवाई करेगा।
CBI की जांच:
CBI ने इस मामले में अपनी जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगाए हैं। कोर्ट ने CBI द्वारा प्रस्तुत की गई स्टेटस रिपोर्ट पर संतोष व्यक्त किया, जिसमें पीड़िता को लगी चोटों के बारे में विस्तार से बताया गया था। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि पीड़िता के ब्रेसेस और चश्मे ने उसकी चोटों को और गंभीर बना दिया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट के सामने इस घटना को महज एक रेप और हत्या का मामला न मानते हुए इसे और गहराई से देखने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि अपराध स्थल पर चार लोग मौजूद थे, जिनमें से कुछ निर्वाचित परिषद सदस्य हैं।
अधिवक्ता करुणा नंदी का बयान:
अधिवक्ता करुणा नंदी ने कोर्ट को बताया कि इस मामले से जुड़े कई लोग, जो वित्तीय अनियमितताओं की जांच के घेरे में हैं, ताकतवर पदों पर बैठे हुए हैं, जिससे डर का माहौल पैदा हो रहा है। उन्होंने आग्रह किया कि इन लोगों को तब तक के लिए उनके पदों से निलंबित किया जाए, जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई पर यह जानकारी दी जाए कि जिन व्यक्तियों पर वित्तीय अनियमितताओं की जांच चल रही है, क्या वे अभी भी RG Kar अस्पताल में कार्यरत हैं। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि यदि CBI ऐसे व्यक्तियों के बारे में जानकारी देती है, तो राज्य सरकार कानूनी नियमों के अनुसार उचित कार्रवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस संवेदनशील मामले में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सोशल मीडिया पर पीड़िता की पहचान उजागर होने से रोकने के निर्देश दिए हैं। CBI की जांच में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं, जिससे इस मामले में और भी गहराई से जांच की जा रही है। पीड़िता के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट और CBI पर विश्वास जताते हुए न्याय की उम्मीद जताई है।