नर्स की लापरवाही से नवजात की मौत: मैनपुरी के परिवार ने लगाया रिश्वत मांगने का आरोप


  2024-10-02 12:43:19



नर्स की लापरवाही से नवजात की मौत: मैनपुरी के परिवार ने लगाया रिश्वत मांगने का आरोप

मैनपुरी जिले के एक अस्पताल में हुए हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। एक नवजात शिशु की मौत के बाद परिवार ने नर्स पर आरोप लगाया कि उसने बच्चे को तब तक नहीं सौंपा, जब तक रिश्वत नहीं दी गई। इस घटना के बाद प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और न्याय की उम्मीद जताई जा रही है।

घटना का विवरण:

मैनपुरी के करहल तहसील स्थित CHC (कम्युनिटी हेल्थ सेंटर) अस्पताल में एक परिवार का आरोप है कि उनकी नवजात शिशु की मौत अस्पताल की नर्स द्वारा रिश्वत मांगने के कारण हुई। सुजीत कुमार, जो कि करहल के कुरग गांव के निवासी हैं, ने बताया कि 18 सितंबर को उनकी पत्नी संजली को प्रसव पीड़ा के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

सुजीत का आरोप है कि नर्स ज्योति ने उनकी पत्नी का ठीक से ध्यान नहीं रखा और अस्पताल में प्रसव के बाद 19 सितंबर को जब उनका स्वस्थ बच्चा पैदा हुआ, तो नर्स ने 5100 रुपये की मांग की। परिवार द्वारा तुरंत भुगतान नहीं करने पर नर्स ने बच्चे को एक कपड़े में लपेटकर टेबल पर रख दिया और उसे माता-पिता को देने से मना कर दिया।

परिवार की मार्मिक अपील:

सुजीत ने कहा कि उन्होंने कई बार नर्स से बच्चे को सौंपने की अपील की, लेकिन उसने पैसे दिए बिना बच्चे को सौंपने से मना कर दिया। लगभग 40 मिनट के बाद, जब बच्चा कमजोरी और सांस की समस्या से जूझ रहा था, तो उन्हें मजबूरन पैसे देने पड़े। लेकिन तब तक बच्चे की स्थिति बिगड़ चुकी थी।

जब पिता ने देखा कि बच्चे की हालत खराब हो रही है, तो उन्होंने तुरंत अस्पताल के स्टाफ को सूचित किया। इसके बाद बच्चे को सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, लेकिन वहां पहुंचने के थोड़ी देर बाद ही बच्चे की मौत हो गई।

CMO का बयान और कार्रवाई:

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. आर.सी. गुप्ता ने बताया कि परिवार ने आरोप लगाया है कि नर्स ने बार-बार की गई अपील के बावजूद पैसे मिलने तक बच्चे को नहीं सौंपा, जिसके कारण उसकी हालत बिगड़ गई और अंततः उसकी मौत हो गई। सैफई मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का कहना है कि नवजात की मृत्यु का कारण प्रसव के दौरान उचित देखभाल की कमी थी।

जांच कमेटी और नर्स का तबादला:

इस घटना के बाद, प्रशासन ने एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसमें दो ACM (असिस्टेंट कमिश्नर) और एक चिकित्सा अधिकारी शामिल हैं। समिति को तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

इस बीच, जांच को प्रभावित न करने के लिए नर्स ज्योति का तबादला कर दिया गया है। प्रशासन का कहना है कि दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और परिवार को न्याय दिलाने के लिए सभी संभव कदम उठाए जाएंगे।

न्याय की उम्मीद:

सुजीत कुमार ने इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन, CMO, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं, नर्स द्वारा 5100 रुपये की मांग और बच्चे की उपेक्षा के आरोपों की जांच के लिए गठित समिति से जल्द ही रिपोर्ट आने की उम्मीद है।

स्थानीय प्रशासन और चिकित्सा अधिकारियों ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है और कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी और स्टाफ के रवैये पर सवाल खड़े किए हैं।

अस्पतालों में जवाबदेही और सरकारी स्तर पर कड़े निर्देश:

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं अभी भी सरकारी अस्पतालों की लापरवाही को उजागर करती हैं। इस घटना ने न केवल अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में कितनी बड़ी खामियां हैं।

प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जांच पूरी होने के बाद दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। इसके अलावा, अन्य सरकारी अस्पतालों में भी इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए जाएंगे।


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