SEBI का बड़ा फैसला: डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर सख्ती, 93 प्रतिशत निवेशकों के घाटे का खुलासा
के कुमार आहूजा 2024-10-02 08:55:42
SEBI का बड़ा फैसला: डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर सख्ती, 93 प्रतिशत निवेशकों के घाटे का खुलासा
शेयर बाजार में तेजी से बढ़ती नुकसान की प्रवृत्ति को देखते हुए SEBI ने डेरिवेटिव ट्रेडिंग के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, 93% व्यक्तिगत निवेशक F&O ट्रेडिंग में भारी घाटे का सामना कर रहे हैं। इस रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया है, और अब SEBI ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। आइए जानें क्या हैं ये नए नियम और कैसे ये निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
SEBI का सख्त रुख:
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने मंगलवार को डेरिवेटिव मार्केट में निवेशकों की बढ़ती हानि को ध्यान में रखते हुए छह महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन नए नियमों का उद्देश्य डेरिवेटिव फ्रेमवर्क को मजबूत करना और अनावश्यक जोखिम को कम करना है। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब डेरिवेटिव अनुबंधों की न्यूनतम सीमा बढ़ाकर ₹15 लाख कर दी गई है। पहले यह सीमा ₹5 लाख से ₹10 लाख के बीच थी, जो 2015 में तय की गई थी। बाजार के व्यापक मूल्य और कीमतों में लगभग तीन गुना वृद्धि होने के कारण, यह निर्णय लिया गया है।
शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग पर सख्ती:
SEBI ने एक और बड़ा फैसला लिया है कि डेरिवेटिव अनुबंधों की समाप्ति (expiry) को सप्ताह में सिर्फ एक दिन प्रति एक्सचेंज तक सीमित किया जाएगा। मौजूदा समय में हर दिन विभिन्न स्टॉक एक्सचेंजों पर अलग-अलग इंडेक्स ऑप्शंस की समाप्ति होती है, जो अधिकतर सट्टा गतिविधियों को बढ़ावा देती है। SEBI का मानना है कि इन सट्टा गतिविधियों पर अंकुश लगाना जरूरी है ताकि बाजार में स्थिरता बनी रहे।
प्रीमियम की अग्रिम वसूली:
SEBI ने ट्रेडिंग सदस्यों (TM) को निर्देश दिया है कि वे ऑप्शन खरीदारों से प्रीमियम की अग्रिम वसूली सुनिश्चित करें। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि ट्रेडर्स के पास पर्याप्त पूंजी हो और उन्हें अपने निवेश पर अधिक जोखिम न उठाना पड़े।
इंट्राडे पोजिशन की निगरानी:
SEBI ने एक्सचेंजों को निर्देश दिया है कि वे इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव में इंट्राडे पोजिशन की कड़ी निगरानी करें। इसका मकसद बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव और संभावित नुकसान को रोकना है, जिससे छोटे निवेशकों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
घाटे में डूबे निवेशक:
SEBI के हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने चौंकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। अध्ययन के अनुसार, लगभग 93% व्यक्तिगत निवेशक F&O सेगमेंट में भारी घाटे का सामना कर रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक, इन निवेशकों का कुल नुकसान ₹1.8 लाख करोड़ से अधिक रहा है। इस आंकड़े ने SEBI को यह अहसास कराया कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग के मौजूदा नियमों में सुधार की सख्त जरूरत है। F&O ट्रेडिंग में नुकसान के बावजूद 75% से अधिक निवेशक लगातार ट्रेडिंग करते रहे, जो चिंताजनक है।
क्या होता है F&O ट्रेडिंग?
F&O यानी Futures और Options ऐसे वित्तीय उपकरण हैं जो निवेशकों को बिना किसी संपत्ति के मूल्य में बदलाव के आधार पर सट्टा लगाने की अनुमति देते हैं। इसका मतलब यह है कि निवेशक सीधे शेयरों या अन्य एसेट्स को खरीदे बिना उनके मूल्य में बदलाव के आधार पर मुनाफा या नुकसान उठा सकते हैं। हालांकि, इसके लिए बाजार के गहरे ज्ञान और अनुशासन की जरूरत होती है, जो सभी निवेशकों के पास नहीं होता।
SEBI के नए फैसले से क्या बदलाव आएंगे?
SEBI के नए फैसले से F&O सेगमेंट में प्रवेश करने वाले निवेशकों के लिए चुनौतियां और बढ़ेंगी, क्योंकि अब न्यूनतम अनुबंध आकार ₹15 लाख कर दिया गया है। इसके साथ ही, एक्सपायरी डे ट्रेडिंग को सीमित करने और ऑप्शन प्रीमियम की अग्रिम वसूली जैसे नियमों से बाजार में सट्टा गतिविधियों पर लगाम लगेगी। यह कदम निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए उठाए गए हैं और इसका उद्देश्य बाजार में अधिक पारदर्शिता और स्थिरता लाना है।
SEBI के हालिया अध्ययन ने इस सच्चाई को उजागर किया है कि F&O सेगमेंट में निवेश करने वाले ज्यादातर छोटे निवेशक बड़े नुकसान का सामना कर रहे हैं। इन आंकड़ों के बाद SEBI ने तेजी से कदम उठाए और बाजार को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए नए नियम लागू किए। हालांकि, इन नए नियमों से निवेशकों को राहत मिलेगी, लेकिन बाजार में ट्रेडिंग करने से पहले उन्हें सावधानीपूर्वक निर्णय लेने की जरूरत होगी।