रवांडा में मारबर्ग वायरस का कहर: 300 से अधिक मामले और 8 मौतें, WHO ने दी चेतावनी


के कुमार आहूजा  2024-10-02 08:43:55



रवांडा में मारबर्ग वायरस का कहर: 300 से अधिक मामले और 8 मौतें, WHO ने दी चेतावनी

रवांडा में एक गंभीर वायरस का प्रकोप फैल रहा है जिसने अब तक 300 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है और 8 की जान ले ली है। मारबर्ग वायरस, जो अत्यधिक संक्रामक है और इसके लिए अभी तक कोई टीका या उपचार नहीं है, पूरे देश में तेजी से फैल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और स्थानीय प्रशासन इसकी रोकथाम के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। यह पहली बार है जब यह वायरस रवांडा में फैला है, और इसके कारण देशभर में चिंता का माहौल है।

मारबर्ग वायरस का प्रकोप:

रवांडा में इस समय मारबर्ग वायरस तेजी से फैल रहा है, जिससे सात जिलों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्री सबिन न्सनज़िमाना ने कहा कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए संपर्क ट्रेसिंग और परीक्षण को बढ़ाया जा रहा है। WHO के निदेशक-जनरल टेड्रोस अदहानोम गेब्रेयेसस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी दी कि WHO रवांडा प्रशासन के साथ मिलकर इस महामारी को रोकने के प्रयासों को तेज कर रहा है।

वायरस की उत्पत्ति और प्रसार:

मारबर्ग वायरस पहली बार 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और सर्बिया के बेलग्रेड में प्रयोगशालाओं में काम कर रहे लोगों के बीच सामने आया था। यह वायरस मूल रूप से फल खाने वाले चमगादड़ों से फैलता है और फिर संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थों, सतहों और सामग्रियों के संपर्क से अन्य लोगों में फैलता है। WHO के अनुसार, यह वायरस खून बहने वाला बुखार (हैमरेजिक फीवर) पैदा करता है और इसकी मृत्यु दर 88% तक हो सकती है। यह वायरस इबोला के समान परिवार का हिस्सा है और इसके लक्षणों में तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, दस्त और उल्टी शामिल हैं।

रवांडा में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार:

रवांडा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमण की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए हैं। WHO की सहायता से आपातकालीन चिकित्सा सामग्री तैयार की जा रही है, जो नैरोबी, केन्या स्थित WHO के आपातकालीन हब से किगाली में जल्द पहुंचाई जाएगी। इस आपूर्ति में संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए आवश्यक उपकरण शामिल होंगे, जो प्रभावित क्षेत्रों में वितरण किए जाएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और भविष्य की चुनौतियाँ:

रवांडा में मारबर्ग वायरस के प्रकोप ने न केवल देश को बल्कि अन्य अफ्रीकी देशों जैसे तंजानिया, डीआरसी (डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो), केन्या और दक्षिण अफ्रीका को भी सतर्क कर दिया है। ये देश भी WHO के साथ मिलकर इस वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। तंजानिया और डीआरसी में पहले भी मारबर्ग वायरस के प्रकोप देखे जा चुके हैं, जिससे यह वायरस महाद्वीप के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है।

वायरस का प्रभाव और वर्तमान स्थिति:

मारबर्ग वायरस का असर गंभीर है, और अभी तक इसके इलाज के लिए कोई अनुमोदित टीका या दवा नहीं है। यह वायरस तेजी से फैलने की क्षमता रखता है और इसके कारण गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों में अत्यधिक रक्तस्राव और मौत का जोखिम बढ़ जाता है। इस वायरस के खिलाफ वर्तमान में केवल लक्षणों का इलाज किया जा सकता है, जिसमें शरीर में तरल पदार्थ बनाए रखना और संक्रमण को नियंत्रित करने की कोशिश शामिल है।

सावधानी बरतने की सलाह:

रवांडा के स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है, जिसमें संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क से बचना और व्यक्तिगत स्वच्छता को बनाए रखना शामिल है। वायरस के फैलने के जोखिम को कम करने के लिए सरकार संक्रमित क्षेत्रों में कड़े नियंत्रण उपाय लागू कर रही है।

बहरहाल, रवांडा में मारबर्ग वायरस का प्रकोप एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन गया है। यह वायरस न केवल देश के स्वास्थ्य ढांचे पर दबाव बना रहा है, बल्कि पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में चिंता का विषय बन गया है। WHO और रवांडा सरकार इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए और भी अंतर्राष्ट्रीय सहायता की जरूरत हो सकती है। महामारी पर नियंत्रण पाने के लिए सबसे जरूरी है कि लोग सतर्क रहें और स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों का पालन करें।


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