RG Kar मेडिकल कॉलेज में आर्थिक घोटाले का पर्दाफाश: मोबाइल और लैपटॉप से सामने आया प्रभावशाली गठजोड़
के कुमार आहूजा 2024-10-01 20:36:12
RG Kar मेडिकल कॉलेज में आर्थिक घोटाले का पर्दाफाश: मोबाइल और लैपटॉप से सामने आया प्रभावशाली गठजोड़
पश्चिम बंगाल के प्रतिष्ठित RG Kar मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक बड़े आर्थिक घोटाले का खुलासा हुआ है। इस घोटाले में शामिल कड़ी-से-कड़ी जोड़ एक "तीन-स्तरीय" नेटवर्क की जांच चल रही है, जिसमें कॉलेज के पूर्व विवादास्पद प्रधानाचार्य संदीप घोष की भूमिका पर संदेह जताया जा रहा है। घोष के दो मोबाइल फोन और लैपटॉप से जांचकर्ताओं को कुछ अहम सबूत मिले हैं, जो इस गहरे और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली गठजोड़ की ओर इशारा करते हैं।
घोटाले का खुलासा और जांच की दिशा
CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो) की ओर से RG Kar मेडिकल कॉलेज में हुए इस घोटाले की गहन जांच की जा रही है। इसमें वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी अहम जानकारी संदीप घोष के मोबाइल फोन, लैपटॉप, और कार्यालय के कंप्यूटर से मिली है। घोष और उनके करीबी सहयोगियों की मिलीभगत से यह घोटाला आकार लेता गया, जो कॉलेज के ठेकों में हेरफेर, अस्पताल की चिकित्सा बर्बादी की अवैध बिक्री, और अस्पताल की मोर्चरी में आने वाले अज्ञात शवों के अंगों की तस्करी तक फैला हुआ था।
प्रमुख सूत्रों के अनुसार, जांच में अब तक तीन स्तरों पर गठजोड़ का पता चला है:
पहला स्तर: घोष के राजनीतिक रूप से प्रभावशाली संरक्षकों का है, जिन्होंने उन्हें इस घोटाले को बढ़ाने में मदद की।
दूसरा स्तर: घोष और उनके करीबी सहयोगी, जिन्होंने घोटाले को संचालित किया।
तीसरा स्तर: RG Kar मेडिकल कॉलेज के ठेकेदार और आपूर्तिकर्ता, जो घोष के भरोसेमंद सहयोगी थे और घोटाले के पैसे का प्रवाह सुनिश्चित करते थे।
मोबाइल और लैपटॉप से जुड़े साक्ष्य
CBI ने संदीप घोष के दो मोबाइल फोन और दो लैपटॉप की जांच की, जिससे कई महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली। घोष के कार्यालय में उनके कंप्यूटर और दस्तावेज़ों की भी छानबीन की गई, जहाँ से कई सबूत बरामद हुए हैं। इन सबूतों से घोटाले के मुख्य तौर-तरीकों का पता चला है, जिसमें प्रमुख रूप से:
टेंडरिंग सिस्टम में हेरफेर: कॉलेज में कार्य ऑर्डर जारी करने के लिए ठेकों के प्रक्रिया में घोटाला करना।
आउटसोर्सिंग: राज्य के पब्लिक वर्क्स विभाग (PWD) को न देकर बाहरी एजेंसियों से इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी काम कराना।
चिकित्सा कचरे की अवैध बिक्री: अस्पताल के जैव-चिकित्सा कचरे को खुले बाजार में बेचना।
अंगों की तस्करी: अस्पताल की मोर्चरी में आए अज्ञात शवों के अंगों की तस्करी करना।
यह सारी जानकारी केवल मोबाइल और लैपटॉप के डेटा से नहीं बल्कि उनके कार्यालय से जब्त किए गए दस्तावेज़ों और अन्य डिजिटल उपकरणों से भी प्राप्त हुई है।
ईडी की समानांतर जांच
घोटाले की जांच न केवल CBI बल्कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी कर रही है। ED ने इस मामले में एक Enforcement Case Information Report (ECIR) दर्ज कर स्वतंत्र जांच शुरू की। दोनों एजेंसियों ने घोटाले में कई आर्थिक लेन-देन के सबूत पाए हैं, जो बताते हैं कि पैसा शेल कंपनियों के माध्यम से धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किया गया था। यह तरीका बिल्कुल वैसा ही है जैसा पश्चिम बंगाल के स्कूल भर्ती घोटाले और राशन वितरण घोटाले में देखा गया था।
ED ने कुछ मनी ट्रेल्स की पहचान की है, जो इस तीन-स्तरीय गठजोड़ की पुष्टि करते हैं। संदीप घोष और उनके करीबी सहयोगियों द्वारा संचालित कंपनियों का इस्तेमाल पैसा सफेद करने के लिए किया जा रहा था, जिसमें सरकारी ठेकों और आपूर्ति प्रक्रिया में धांधली की गई थी।
घोटाले की व्यापकता और परिणाम
इस घोटाले का आर्थिक प्रभाव बड़ा है, और राज्य के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर इसके गहरे परिणाम हो सकते हैं। अस्पताल से जुड़े ठेके और चिकित्सा सुविधाओं की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है, क्योंकि अधिकतर कार्य ठेकेदारों और बाहरी एजेंसियों को सौंप दिए गए थे। इससे राज्य के Public Works Department (PWD) की उपेक्षा हुई, जो मूल रूप से ये कार्य कर सकता था। इसके अलावा, जैव-चिकित्सा कचरे की अवैध बिक्री और अंग तस्करी के मामलों ने भी इस घोटाले को और गंभीर बना दिया है।
आगे की कार्रवाई और संभावित गिरफ्तारी
जांच अभी भी जारी है और CBI तथा ED दोनों ही एजेंसियां संदीप घोष और उनके करीबी सहयोगियों पर शिकंजा कस रही हैं। घोष के खिलाफ सबूत जुटाने के बाद अब एजेंसियां इस मामले में और अधिक गिरफ्तारियाँ कर सकती हैं। जांच अधिकारियों ने कई शेल कंपनियों का भी पता लगाया है, जिनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया था। इसके अलावा, जिन ठेकेदारों और सप्लायर्स ने घोटाले में योगदान दिया, उन्हें भी जल्द ही कानून के घेरे में लाया जाएगा।
घोटाले की गहराई और जटिलता को देखते हुए, मणिपुर के स्वास्थ्य विभाग और राज्य प्रशासन को इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह के भ्रष्टाचार को रोका जा सके।
RG Kar मेडिकल कॉलेज में हुआ यह आर्थिक घोटाला राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र की पारदर्शिता और नैतिकता पर सवाल उठाता है। जिस तरह से ठेकों में हेरफेर, अंगों की तस्करी और चिकित्सा कचरे की अवैध बिक्री की गई, वह समाज के स्वास्थ्य और नैतिक मूल्यों के लिए खतरनाक है।
CBI और ED की संयुक्त कार्रवाई से उम्मीद है कि दोषियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा और राज्य में इस तरह के भ्रष्टाचार पर कड़ा अंकुश लगेगा।