बीकानेर में गूंजा गुरु वल्लभ की भक्ति का स्वर: चतुर्मास आयोजन में श्रद्धालुओं ने की अनूठी गुरु सेवा


के कुमार आहूजा  2024-10-01 19:15:05



बीकानेर में गूंजा गुरु वल्लभ की भक्ति का स्वर: चतुर्मास आयोजन में श्रद्धालुओं ने की अनूठी गुरु सेवा

बीकानेर का ऐतिहासिक रांगड़ी चौक रविवार को एक आध्यात्मिक रंग में रंगा नजर आया। जैनाचार्य गच्छाधिपति नित्यानंद सुरीश्वरजी महाराज साहब के शिष्य जैन मुनि पुष्पेन्द्र महाराज और प्रखर प्रवचनकार जैन मुनि श्रुतानंद द्वारा आयोजित इस चतुर्मासीय कार्यक्रम में ओम नमो अरिहंताणम मंत्र की मंगलाचरण से विधिवत शुरुआत हुई। इस आयोजन में जयपुर से आए ओसवाल परिवार और बीकानेर के श्रद्धालुओं ने मिलकर गुरु वल्लभ की भक्ति में डूबते हुए उनका महिमामंडन किया।

मंगलाचरण और गुरु वंदना से हुई शुरुआत

चतुर्मास आयोजन की विधिवत शुरुआत ओम नमो अरिहंताणम मंत्र से हुई, जिसे जैन मुनि पुष्पेन्द्र म. सा. और मुनि श्रुतानंद ने उच्चारित किया। इसके बाद, ओसवाल परिवार के सदस्य देवेंद्र कुमार, हर्ष जैन, संजय जैन और मोनिका जैन ने आत्मानंद जैन सभा और चतुर्मासिक समिति के प्रमुखों के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। गुरु वल्लभ की आदमकद छायाचित्र के सामने रीतुश्री भाग्यश्री द्वारा गवली सजाई गई, जिसने इस भक्तिमय वातावरण को और अधिक शांति और सादगी से भर दिया।

गुरु वल्लभ की स्तुति में भक्ति की लहर

जयकारों और नारों के साथ जैन मुनि पुष्पेन्द्र म. सा. ने "श्री वल्लभ गुरु के चरणों में शीश नवाता हूं" भजन से गुरु वल्लभ को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस भजन ने समूचे माहौल को भावपूर्ण बना दिया। गंगाशहर की नन्हीं बालिका निष्ठा ने "नमो नमो अरिहंताणम" मंत्र पर सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर गीतकार महेन्द्र जैन ने "वल्लभ प्यारे वल्लभ, सब की आंख के तारे" जैसे भजनों से समां बांधा।

साधर्मी सभा की प्रस्तुतियों ने बढ़ाई रौनक

गुरु वल्लभ के जीवन पर आधारित प्रस्तुतियों का एक सिलसिला शुरू हुआ, जिसमें शांति सामायिक महिला मंडल ने "शासन की सितारे हो जग के ताराहरन" भजन प्रस्तुत किया। प्रधानाचार्य अनिता जैन ने गुरु वल्लभ के बाल्यकाल से लेकर जैनाचार्य बनने तक के सफर का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि कैसे छगन नामक साधक ने शिक्षा और नारी उत्थान के लिए जैन समाज में क्रांतिकारी कार्य किए।

इसके बाद ओस्त्रा महिला मंडल ने भक्ति गीत और नृत्य प्रस्तुत किए, जिसमें "गुरुवर तेरे चरणों की अगर धूल मिल जाए" भजन ने सभी की भावनाओं को छू लिया। इस प्रकार के भजनों ने श्रद्धालुओं की आंखों में गुरु वल्लभ के प्रति भक्ति और स्नेह के आंसू ला दिए।

गुरु भक्ति में भाव विहल हुआ समारोह

मुनि श्रुतानंद म. सा. ने अपने प्रवचन में "आंखों में वल्लभ और सीने में नित्यानंद रखता हूं" की उक्ति के साथ समारोह में गुरु के प्रति अपार भक्ति का संचार किया। पौषधशाला एक बार फिर गुरुभक्ति में डूब गई। बाद में ज्योति नृत्य ग्रुप और बालिका निष्ठा ने आत्ममानंद जैन सभा और ओसवाल ग्रुप के साथ प्रभावना की।

समापन में हुआ भव्य नाट्य मंचन

कार्यक्रम के अंत में एक भव्य नाटिका का मंचन किया गया, जिसमें जीवन के उतार-चढ़ावों और मनुष्य की नकारात्मक विचारधाराओं से मुक्ति पाने की शिक्षा दी गई। नाटिका में मौन, एकांत, और आत्मचिंतन का महत्व समझाया गया, जिससे दर्शकों को अपने जीवन में शांति और संतुलन प्राप्त करने की प्रेरणा मिली। आराधना महिला मंडल द्वारा "आओ अब जाओ" गीत ने इस भक्ति पूर्ण आयोजन को और भी रंगीन बना दिया।

गुरु वल्लभ की जीवनी और बीकानेर में योगदान

मंदिर श्री पदम प्रभु ट्रस्ट के अजय बैद ने गुरु वल्लभ की जीवनी और उनके बीकानेर में किए गए विहारों का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कैसे गुरु वल्लभ ने जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में अपना जीवन समर्पित किया और बीकानेर के श्रीसंघ को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

विशिष्ट अतिथियों का सम्मान

कार्यक्रम के दौरान कोलकाता से आए माणिक चांद सेठिया और जयपुर के हर्ष जैन, संजय जैन और मोनिका जैन का भी विशेष सम्मान किया गया। इस अवसर पर मुनि श्रुतानंद द्वारा गुरु भक्ति के प्रति उनकी सेवाओं की सराहना की गई। श्रद्धालुओं के लिए केसर की प्रभावना भी वितरित की गई।

साधर्मिक वात्सल्य का आयोजन

दोपहर 12 बजे गौड़ी पार्श्वनाथ मंदिर में साधर्मिक वात्सल्य का आयोजन किया गया, जहां बीकानेर के श्रावकों ने मिलकर इस आयोजन का आनंद लिया। संध्या समय "एक शाम गुरु वल्लभ के नाम" कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने भक्ति के साथ अपने गुरु को नमन किया।

एक अविस्मरणीय अध्याय

बीकानेर में आयोजित इस भव्य चतुर्मास आयोजन ने जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक अनूठा मंच प्रदान किया, जहां गुरु वल्लभ की भक्ति में सभी ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया। कार्यक्रम की हर प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं को गुरु भक्ति में सराबोर कर दिया और उनके जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया। यह आयोजन बीकानेर के जैन समाज के इतिहास में एक अविस्मरणीय अध्याय के रूप में दर्ज हो गया।


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