भगवान वेंकटेश्वर के प्रसाद पर विवाद: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के बयान सुप्रीम कोर्ट की फटकार
के कुमार आहूजा 2024-10-01 08:59:22
भगवान वेंकटेश्वर के प्रसाद पर विवाद: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के बयान सुप्रीम कोर्ट की फटकार
तिरुमला स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं में मिलावट के आरोपों ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। इन आरोपों पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू द्वारा की गई सार्वजनिक टिप्पणियों ने मामला और भी गरम कर दिया। इस विवाद के चलते सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि बिना पुख्ता सबूत के ऐसी सार्वजनिक टिप्पणियां करना अनुचित है, खासकर जब जांच पहले से ही जारी थी। आइए जानते हैं इस घटना का पूरा विवरण और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पीछे की प्रमुख बातें।
मुख्यमंत्री के बयान से पैदा हुआ विवाद
मामला तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने यह आरोप लगाया कि तिरुमला के प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के लड्डुओं में मिलावट की गई थी। यह आरोप विशेष रूप से लड्डू बनाने में इस्तेमाल किए गए घी को लेकर था, जिसमें पशु वसा के इस्तेमाल की बात कही गई थी। चूंकि तिरुमला के लड्डू प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं, यह आरोप तुरंत सुर्खियों में आ गया।
हालांकि, इस बयान ने विवाद को जन्म दिया, क्योंकि इस पर अभी कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया था। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री के इस बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब मामले की जांच पहले से चल रही थी, तब ऐसी सार्वजनिक टिप्पणियां करना अनुचित है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सोमवार को सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन शामिल थे, ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नायडू की आलोचना की। बेंच ने कहा कि जांच के दौरान इस तरह का बयान देने से न केवल जांच प्रभावित होती है, बल्कि यह लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं को भी ठेस पहुंचा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर जांच के लिए राज्य सरकार ने पहले ही SIT (विशेष जांच दल) गठित की थी, तो फिर मुख्यमंत्री को प्रेस के सामने बयान देने की क्या आवश्यकता थी?
सॉलिसिटर जनरल से स्वतंत्र जांच की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से भी जवाब मांगा कि क्या इस मामले में स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है। कोर्ट ने 3 अक्टूबर को दोबारा सुनवाई की तारीख तय की और सॉलिसिटर जनरल को निर्देश दिए कि वे केंद्र सरकार से इस पर दिशा-निर्देश प्राप्त करें।
प्रसाद में मिलावट के आरोपों पर सवाल
सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से पूछा कि क्या लड्डुओं में इस्तेमाल किए गए घी की जांच के लिए उन्हें प्रयोगशाला में भेजा गया था? कोर्ट ने यह भी कहा कि शुरुआती जांच से यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि घी मिलावटी था या नहीं। कोर्ट द्वारा पढ़े गए लैब रिपोर्ट में कहा गया कि यह स्पष्ट नहीं है कि घी को किस आधार पर परीक्षण के लिए लिया गया था। रिपोर्ट से यह संकेत मिला कि शायद वह घी इस्तेमाल के लिए अस्वीकार किया गया था, और यह स्पष्ट नहीं था कि वही घी लड्डू बनाने में प्रयोग हुआ था।
टीटीडी (तिरुमला तिरुपति देवस्थानम) की प्रतिक्रिया
टीटीडी के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट को बताया कि लड्डू की गुणवत्ता और उसमें संभावित मिलावट को लेकर शिकायतें आई थीं, और यह जांच अभी जारी है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) द्वारा की गई जांच में भी मिलावट के संकेत मिले थे, और यह देखा जा रहा है कि किस प्रकार की मिलावट हुई थी।
मामला श्रद्धा और विश्वास का
सुनवाई के अंत में, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह मामला श्रद्धा और विश्वास से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि अगर इस घी का इस्तेमाल हुआ है, तो यह अस्वीकार्य है और इस मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए कि इसके लिए कौन जिम्मेदार था।
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका
राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के वकील राजशेखर राव ने अदालत में तर्क दिया कि मुख्यमंत्री नायडू द्वारा की गई सार्वजनिक टिप्पणी के विपरीत, टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी ने कहा था कि लड्डुओं में ऐसा कोई घी इस्तेमाल नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की टिप्पणियां, बिना पर्याप्त सबूत के, सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
यह मामला केवल एक घी की मिलावट का नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और धार्मिक भावनाओं का है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है और इस बात पर जोर दिया है कि ऐसी संवेदनशील परिस्थितियों में जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्तियों को सोच-समझकर बयान देना चाहिए। जांच जारी है और यह देखना बाकी है कि अंततः इस मामले में कौन दोषी पाया जाएगा।