CNG पंप लगाने के नाम पर 2.39 करोड़ की ठगी: दिल्ली पुलिस ने तीन आरोपियों को किया गिरफ्तार
के कुमार आहूजा 2024-10-01 06:35:16
CNG पंप लगाने के नाम पर 2.39 करोड़ की ठगी: दिल्ली पुलिस ने तीन आरोपियों को किया गिरफ्तार
जब किसी व्यक्ति को तेजी से मुनाफा कमाने का मौका दिया जाता है, तो कई बार लोग बिना सोचे समझे उस पर भरोसा कर बैठते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो पेट्रोल और CNG पंप स्थापित करने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका था। इस मामले ने न केवल लोगों को सचेत किया है बल्कि यह भी दिखाया है कि धोखेबाज किस तरह से फर्जी दस्तावेज़ों और झूठे वादों के जरिए लोगों को फंसाते हैं।
गिरोह का खुलासा और गिरफ्तारी:
दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस) ने तीन मुख्य आरोपियों—अमित कुमार पांडे, अमरेंद्र कुमार और अमर सिंह—को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरोह लोगों को पेट्रोल और CNG पंप लगाने के नाम पर धोखा देता था और उनसे करोड़ों रुपये ऐंठता था।
शिकायतकर्ता ने बताया कि वह 2021 में पेट्रोल और CNG पंप आवंटन की प्रक्रिया के बारे में जानकारी ढूंढ रहा था, तभी उसकी मुलाकात दो व्यक्तियों—अमित कुमार पांडे और अमरेंद्र कुमार—से हुई, जिन्होंने खुद को इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL) के प्रतिनिधि बताया। इन दोनों ने शिकायतकर्ता से कहा कि वे उसके जमीन पर CNG पंप स्थापित करा सकते हैं, और इसके लिए बहुत कम औपचारिकताएं करनी होंगी। इस प्रक्रिया को सहज और सरल बनाने का आश्वासन देते हुए, आरोपियों ने 2.39 करोड़ रुपये की ठगी की।
ठगी की योजना:
आरोपी शिकायतकर्ता से धीरे-धीरे विभिन्न चरणों में 1.79 करोड़ रुपये बैंक खातों के माध्यम से और 60 लाख रुपये नकद के रूप में वसूलते रहे। गिरोह ने फर्जी दस्तावेज़ तैयार किए जिनमें पंप आवंटन के लिए फर्जी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, बैंक अकाउंट डिटेल्स और जीएसटी नंबर के साथ इनवॉइस शामिल थे। यह सभी दस्तावेज़ IGL के नाम पर तैयार किए गए थे ताकि पीड़ित को विश्वास हो सके।
आरोपियों ने यह भी दावा किया कि उनके पास पेट्रोलियम मंत्रालय और IGL में ऊंचे स्तर पर संपर्क हैं, जिससे आवंटन प्रक्रिया जल्दी और बिना किसी परेशानी के पूरी हो जाएगी। गिरोह ने यह दिखाने के लिए फर्जी NOC (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट), क्षेत्रीय मंजूरी रिपोर्ट, और अन्य दस्तावेज़ भी तैयार किए ताकि पीड़ित को कोई शक न हो।
पुलिस की जांच और कार्रवाई:
मार्च 2024 में जब शिकायतकर्ता को ठगी का एहसास हुआ, तो उसने दिल्ली पुलिस के IFSO यूनिट से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तुरंत एक केस दर्ज कर जांच शुरू की। पुलिस ने उन बैंक खातों की जानकारी जुटाई जिनमें ठगी के पैसे भेजे गए थे और साथ ही तकनीकी निगरानी का उपयोग कर आरोपियों की मोबाइल गतिविधियों का विश्लेषण किया। इसके बाद पुलिस ने उन स्थानों का पता लगाया जहां आरोपी छिपे हुए थे।
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि गिरोह ने नकली दस्तावेज़ और फर्जी ईमेल आईडी का इस्तेमाल किया था, ताकि पीड़ित के साथ संवाद किया जा सके। इसके अलावा, गिरोह ने अपनी पहचान छिपाने के लिए दूसरे लोगों के नाम पर पंजीकृत सिम कार्ड का भी इस्तेमाल किया।
गिरफ्तार आरोपी और उनकी भूमिकाएं:
अमित कुमार पांडे: इस पूरी ठगी योजना का मास्टरमाइंड था जिसने सभी फर्जी दस्तावेज़ तैयार किए और योजनाओं का नेतृत्व किया।
अमरेंद्र कुमार: इसने पीड़ित से नकद रूप में पैसे एकत्र किए और उन्हें ठगी का हिस्सा बनाया।
अमर सिंह: पेट्रोलियम मंत्रालय का पूर्व कर्मचारी था और इस पूरे घोटाले में एक सहायक के रूप में कार्य कर रहा था।
पुलिस ने आरोपियों से गहन पूछताछ के बाद यह जानकारी प्राप्त की कि वे कई अन्य लोगों को भी इस तरह की योजनाओं के माध्यम से ठगने का प्रयास कर चुके हैं।
भविष्य की जांच:
इस ठगी के मामले में अब तक गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों के अलावा, पुलिस अन्य सह-षड्यंत्रकारियों की तलाश कर रही है जो इस गिरोह का हिस्सा हो सकते हैं। यह भी जांच की जा रही है कि क्या इस मामले में IGL का कोई वास्तविक कर्मचारी या संपर्क व्यक्ति शामिल था।
आरोपियों के ठगी के अन्य संभावित मामलों को भी खंगाला जा रहा है, ताकि और अधिक पीड़ितों की मदद की जा सके। साथ ही, पुलिस उन सभी नकली दस्तावेज़ों और बैंक खातों की जांच कर रही है जो इस धोखाधड़ी में इस्तेमाल किए गए थे।
सावधानी और जागरूकता:
यह घटना लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि वे ऐसे धोखेबाजों से सावधान रहें जो तेजी से मुनाफा कमाने का वादा करते हैं। पेट्रोल और CNG पंप स्थापित करने जैसी उच्च वित्तीय योजना में निवेश करने से पहले सभी कानूनी औपचारिकताओं की जांच करनी चाहिए। इसके अलावा, किसी भी कंपनी या व्यक्ति से संपर्क करने से पहले उसके प्रमाणिकता की जांच करना आवश्यक है।
दिल्ली पुलिस ने भी लोगों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार की वित्तीय योजना में निवेश करने से पहले सावधानी बरतें और संदेहास्पद गतिविधियों की तुरंत रिपोर्ट करें।
इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित किया है कि धोखाधड़ी के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं और लोग आसानी से शिकार बन सकते हैं। पुलिस की सतर्कता और जांच की तेजी ने इस गिरोह को पकड़ा, लेकिन ऐसे मामलों में सावधानी हमेशा सबसे महत्वपूर्ण हथियार होता है।