पाकिस्तान-चीन के गठजोड़ पर बलूच नेताओं का आक्रोश: बलूचिस्तान के संसाधनों की लूट जारी
के कुमार आहूजा 2024-09-30 16:42:39
पाकिस्तान-चीन के गठजोड़ पर बलूच नेताओं का आक्रोश: बलूचिस्तान के संसाधनों की लूट जारी
संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के बाहर हुआ बड़ा विरोध प्रदर्शन
बलूच नेता बोले- पाकिस्तान एक असफल राज्य
बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा और संसाधनों से समृद्ध प्रांत, आज भी अपने लोगों की दुर्दशा और अधिकारों के हनन के कारण विश्व समुदाय के ध्यान में है। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और कार्यकर्ताओं का मानना है कि पाकिस्तान में बलूच समुदाय पर बढ़ते अत्याचार और उनके संसाधनों की लूट गंभीर चिंता का विषय हैं। हाल ही में बलूच ह्यूमन राइट्स काउंसिल (BHRC) के सदस्य रज़्ज़ाक बलूच ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के बाहर एक विरोध प्रदर्शन में पाकिस्तान और चीन के गठजोड़ पर गंभीर आरोप लगाए। यह विरोध प्रदर्शन विश्व मंच पर बलूचिस्तान की समस्याओं को उजागर करने का प्रयास था।
बलूचिस्तान की दुर्दशा और पाकिस्तान-चीन की मिलीभगत
रज़्ज़ाक बलूच ने अपने बयान में बलूचिस्तान में पाकिस्तान और चीन की गतिविधियों की कड़ी आलोचना की। उनका कहना था कि पाकिस्तान पहले से ही एक असफल राज्य बन चुका है, और अब वह बलूचिस्तान, सिंध, पश्तूनिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoJK) के संसाधनों से अपना अस्तित्व बनाए रखना चाहता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपनी सेना के जरिए इन क्षेत्रों के लोगों पर अत्याचार कर रहा है और उनकी आवाज़ को दबा रहा है।
रज़्ज़ाक बलूच ने कहा, पाकिस्तान एक असफल राज्य है। वे बलूचिस्तान, सिंध, और अन्य क्षेत्रों के संसाधनों पर कब्जा करना चाहते हैं। अब एक और लुटेरा, चीन, इस खेल में आ चुका है। चीन पाकिस्तानी सेना को सिखा रहा है कि कैसे लोगों को मारा जाए।
यह बयान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजना की ओर इशारा करता है, जिसे दोनों देशों ने बलूचिस्तान के संसाधनों पर कब्जा करने के लिए उपयोग किया है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों, विशेष रूप से गैस, खनिज और बंदरगाहों का उपयोग करना है, लेकिन इससे बलूचिस्तान के लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का हनन
रज़्ज़ाक बलूच ने अपने बयान में बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन की ओर भी इशारा किया। उनका कहना था कि पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान के लोगों के साथ बर्बरता से पेश आ रही है और राजनीतिक दलों, मीडिया और न्यायपालिका पर भी सेना का नियंत्रण है। उन्होंने कहा, ये सभी नकली राजनीतिक दल पंजाबी सेना के कब्जे में हैं। वे बोल नहीं सकते, कुछ कर नहीं सकते। पाकिस्तान एक असफल राज्य है, जो पूरी तरह से अपने पतन की ओर बढ़ रहा है।
बलूच नेता ने पाकिस्तान में सेना के बर्बर शासन के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि वहां कोई लोकतंत्र नहीं बचा है। पाकिस्तानी संसद, राजनीतिक पार्टियां, न्यायपालिका, और मीडिया पूरी तरह से सेना के नियंत्रण में हैं, जिससे आम जनता की आवाज़ दबा दी जाती है।
बलूचिस्तान के संसाधनों पर चीन की दखल
चीन और पाकिस्तान के बीच हुए गठजोड़ को रज़्ज़ाक बलूच ने बलूचिस्तान की स्थिति के और बिगड़ने का मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा कि चीन ने उइगर मुसलमानों पर भी अत्याचार किए हैं, और दुनिया का कोई भी देश इसके खिलाफ आवाज नहीं उठा रहा है। बलूच नेताओं का मानना है कि चीन अब बलूचिस्तान में भी वही कर रहा है, जो उसने अपने यहां उइगर मुसलमानों के साथ किया।
रज़्ज़ाक बलूच ने चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, हम चीन और पाकिस्तानी सेना को बलूचिस्तान से बाहर निकालना चाहते हैं। हमें उनकी जरूरत नहीं है। हम चाहते हैं कि हमारे संसाधनों का उपयोग केवल बलूचिस्तान और सिंध के लोगों के लिए हो।
पाकिस्तान के विखंडन की मांग
प्रदर्शन के दौरान रज़्ज़ाक बलूच ने यह भी मांग की कि पाकिस्तान को विभाजित किया जाए ताकि बलूचिस्तान, सिंध और पश्तूनिस्तान के लोग स्वतंत्र रूप से और शांति से रह सकें। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना इन सभी क्षेत्रों पर कब्जा जमाए बैठी है और वहां के लोगों के अधिकारों का हनन कर रही है। उनका यह बयान बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है, जो कई वर्षों से वहां चल रहा है।
उन्होंने कहा, म चाहते हैं कि पाकिस्तान का विखंडन हो ताकि सिंध, बलूचिस्तान, पश्तूनिस्तान और PoJK के लोग शांति से जी सकें। पाकिस्तानी सेना ने इन सभी क्षेत्रों पर कब्जा कर रखा है और उनकी राजनीतिक आजादी छीन ली है।
संयुक्त राष्ट्र के सामने विरोध प्रदर्शन
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कई अन्य बलूच कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार संगठनों ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि वह बलूचिस्तान में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कदम उठाए और वहां के लोगों के अधिकारों की रक्षा करे। विरोध प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों की जानकारी देना और पाकिस्तान-चीन के गठजोड़ को उजागर करना था।
बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार हनन, संसाधनों की लूट और पाकिस्तान-चीन के गठजोड़ के खिलाफ इस तरह के विरोध प्रदर्शन यह साबित करते हैं कि बलूच समुदाय अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए लगातार लड़ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अब यह समझना होगा कि बलूचिस्तान की स्थिति गंभीर है और वहां के लोगों को अपने अधिकारों की लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय समर्थन की आवश्यकता है।
Source : ANI