नेपाल में भारी बारिश से तबाही: भूस्खलन और बाढ़ से 66 की मौत, 69 लोग लापता, झापले नदी से 29 शव निकाले 


के कुमार आहूजा  2024-09-30 16:10:54



नेपाल में भारी बारिश से तबाही: भूस्खलन और बाढ़ से 66 की मौत, 69 लोग लापता, झापले नदी से 29 शव निकाले 

नेपाल में लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने पूरे देश को भारी तबाही के मुहाने पर ला खड़ा किया है। बाढ़ और भूस्खलन से सैकड़ों घर तबाह हो गए, सड़कों पर पानी का सैलाब है और जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। देश के कई हिस्सों में हालात गंभीर बने हुए हैं। अधिकारियों ने अब तक 66 मौतों की पुष्टि की है, जबकि 69 लोग अब भी लापता हैं। वहीं, करीब 60 लोग घायल हैं। ऐसी स्थिति में प्रशासन की चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं, और लोगों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास जारी हैं।

नेपाल में बाढ़ और भूस्खलन का कहर

नेपाल के विभिन्न इलाकों में पिछले कुछ दिनों से जारी भारी बारिश ने बाढ़ और भूस्खलन का खतरनाक रूप ले लिया है। देश के पश्चिमी और मध्य हिस्सों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। लगातार हो रही बारिश के कारण कई इलाके जलमग्न हो गए हैं, सड़कों पर पानी भर गया है और यातायात पूरी तरह से ठप है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 66 लोगों की मौत हो चुकी है, 69 लोग लापता हैं और 60 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

प्रमुख प्रभावित जिले:

धादिंग, लमजुंग, गोरखा और चितवन सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से हैं। धादिंग जिले के प्रिथ्वी हाइवे पर भूस्खलन के कारण झापले नदी में 29 शव मिले हैं, जिनकी पहचान अभी की जा रही है। प्रशासन ने इस इलाके को पहले ही खतरनाक घोषित कर दिया था, लेकिन बाढ़ और भूस्खलन के कारण वहां फंसे लोगों को निकालने में मुश्किलें हो रही हैं।

सड़कों पर जलजमाव और यातायात बंद

नेपाल की प्रमुख सड़कों में से एक, प्रिथ्वी हाइवे, जो काठमांडू को अन्य इलाकों से जोड़ता है, पूरी तरह से बंद हो चुका है। भूस्खलन के कारण यह हाइवे कई जगहों पर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। इसके अलावा, कई अन्य छोटे-बड़े मार्ग भी पानी में डूबे हुए हैं, जिससे राहत और बचाव कार्य में भारी दिक्कतें आ रही हैं।

अधिकारियों के अनुसार, काठमांडू घाटी के निचले इलाकों में जलस्तर बढ़ता जा रहा है, और वहाँ के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है।

अधिकारियों की चुनौती और राहत कार्य

नेपाल सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के सामने एक बड़ी चुनौती है – बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचना और राहत पहुंचाना। काठमांडू से विभिन्न इलाकों में हेलीकॉप्टर के माध्यम से राहत सामग्री भेजी जा रही है, और सेना व पुलिस की मदद से बचाव कार्य जारी है।

नेपाल के गृह मंत्रालय ने स्थानीय लोगों को चेतावनी दी है कि वे उन इलाकों में न जाएं जहां भूस्खलन या बाढ़ का खतरा है। अधिकारियों ने उन परिवारों से भी अपील की है जिनके सदस्य लापता हैं, वे जल्द से जल्द स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें ताकि पहचान और मदद में आसानी हो सके।

लापता लोगों की तलाश और मदद की अपील

धादिंग में हुए भूस्खलन के बाद वहां 29 शवों को निकाला गया है, लेकिन अभी भी कई लोग लापता हैं। नेपाल की आपदा प्रबंधन एजेंसी ने लापता लोगों के परिवारों से संपर्क करने और पहचान करने में मदद करने की अपील की है।

साथ ही, नेपाल सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भी मदद की अपील की है। नेपाल सरकार के एक अधिकारी ने कहा,

"हम इस आपदा से निपटने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय सहायता की जरूरत है ताकि हम और ज्यादा लोगों को बचा सकें और उन्हें पुनर्वास कर सकें।"

मानसून के कहर का विश्लेषण

नेपाल में मानसून के दौरान भूस्खलन और बाढ़ आम घटना मानी जाती है, लेकिन इस साल की बारिश ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण नेपाल में मानसून का पैटर्न बदल रहा है, और इससे प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता दोनों बढ़ गई है।

नेपाल में पहाड़ी इलाकों में बारिश के कारण मिट्टी की संरचना कमजोर हो जाती है, जिससे भूस्खलन की घटनाएं बढ़ जाती हैं। बाढ़ के साथ-साथ भूस्खलन की घटनाओं ने इस साल तबाही को और भी गंभीर बना दिया है।

प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास योजनाएं

नेपाल की सरकार ने घोषणा की है कि बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित लोगों के लिए तत्काल राहत के अलावा दीर्घकालिक पुनर्वास योजनाएं बनाई जा रही हैं। इन योजनाओं में लोगों के लिए सुरक्षित आवास, खाद्य सामग्री, और स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रबंध किया जाएगा।

नेपाल रेड क्रॉस और अन्य सामाजिक संगठनों ने भी राहत कार्यों में अपनी भूमिका निभानी शुरू कर दी है। जगह-जगह राहत शिविर लगाए गए हैं, जहां बाढ़ प्रभावित लोगों को शरण दी जा रही है।

अंतर्राष्ट्रीय सहायता की जरूरत

नेपाल के लिए यह आपदा एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मदद की मांग कर रही है। पिछले वर्षों में, नेपाल ने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में कई चुनौतियों का सामना किया है। चाहे वह 2015 का विनाशकारी भूकंप हो या मानसून के दौरान आई बाढ़, नेपाल को हमेशा बाहरी सहायता की जरूरत पड़ी है। इस बार भी, नेपाल सरकार अंतर्राष्ट्रीय मदद की उम्मीद कर रही है ताकि प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्य तेजी से किए जा सकें।

नेपाल में इस बार की मानसूनी बारिश ने भारी तबाही मचाई है। बाढ़ और भूस्खलन ने देश के विभिन्न हिस्सों में तबाही मचाई, जिससे सैकड़ों लोग प्रभावित हुए। 66 लोगों की मौत और 69 लोगों के लापता होने की खबर के साथ ही नेपाल सरकार की चुनौतियां बढ़ गई हैं। राहत कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन अभी भी लापता लोगों की तलाश और पुनर्वास के लिए बड़े पैमाने पर प्रयासों की जरूरत है। नेपाल के लोग इस कठिन समय में मदद की उम्मीद कर रहे हैं, और यह देखना बाकी है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय किस हद तक इस आपदा में नेपाल की मदद करता है।


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