डिजिटल तकनीक और मानसिक स्वास्थ्य का नया युग जानिए साइकेट्रिस्ट्स की चर्चाओं के मुख्य बिंदु
के कुमार आहूजा 2024-09-30 04:42:06
डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य: बीकानेर में आयोजित मानसिक रोग और नशामुक्ति विभाग की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस
डिजिटल तकनीक और मानसिक स्वास्थ्य का नया युग
जानिए साइकेट्रिस्ट्स की चर्चाओं के मुख्य बिंदु
बीकानेर के पीबीएम अस्पताल के मानसिक रोग और नशामुक्ति विभाग (दिमांश) द्वारा आयोजित दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस ने मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई दिशाओं और डिजिटल तकनीकों के महत्व को उजागर किया। इंडियन साइक्रेटिक सोसायटी नॉर्थ जॉन के सहयोग से इस सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। इसमें मुख्य रूप से डिजिटल साइक्रेट्री और सोशल मीडिया के जरिए क्लिनिकल सेवाओं के प्रबंधन के साथ मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता (मेंटल हेल्थ लिट्रेसी) पर जोर दिया गया।
पहला दिन: डिजिटल युग में मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव
सम्मेलन के पहले दिन डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के महत्व पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग मानसिक रोगों के निदान और उपचार में प्रभावी हो सकता है। बीकानेर, जोधपुर, श्रीगंगानगर, और पाली के मेडिकल कॉलेजों से जुड़े विशेषज्ञों ने बताया कि तकनीक का उपयोग न केवल मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को बेहतर बनाता है, बल्कि मरीजों की मानसिक सेहत को बनाए रखने में भी मददगार है।
डॉ. श्रीगोपाल गोयल, आयोजन समिति के सचिव, ने अपने उद्बोधन में वर्तमान में उपलब्ध नवीनतम तकनीकों और उपकरणों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बीकानेर और आसपास के क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुई प्रगति को साझा किया। डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य की अवधारणा पर बात करते हुए, उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को तकनीक के साथ जोड़ा जाए।
दूसरा दिन: वर्कशॉप और पॉलीसोम्नोग्राफी पर विशेष सेशन
कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन, न्यूरोमॉड्यूलेशन और पॉलीसोम्नोग्राफी (स्लीप स्टडी) पर विशेष वर्कशॉप आयोजित की गई। इस वर्कशॉप में नई दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल के डॉ. शैलेष झा और श्रीगंगानगर से आए डॉ. रूप सिदाना ने न्यूरोमॉड्यूलेशन तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया। वहीं, एम्स ऋषिकेश के साइकेट्री विभाग के प्रमुख डॉ. रवि गुप्ता ने स्लीप स्टडी पर व्याख्यान दिया, जिसमें नींद से संबंधित ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और अन्य नींद की बीमारियों के निदान और उपचार की विधियों पर चर्चा हुई।
इस कार्यक्रम के दौरान पीजी क्विज के फाइनल राउंड का आयोजन भी हुआ, जिसमें डॉ. अविजीत बत्रा और डॉ. चनेन्द्र ने संयुक्त रूप से प्रथम स्थान प्राप्त किया। क्विज प्रतियोगिता ने प्रतिभागियों को मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर अपने ज्ञान को परखने का अवसर दिया।
सम्मान और योगदान की सराहना
कान्फ्रेस में विशेष योगदान देने पर डॉ. एके सिंघल, डॉ. के.के. वर्मा, डॉ. सिद्धार्थ असवाल, डॉ. अनंत राठी, डॉ. राकेश गढ़वाल, डॉ. अविनाश झाझडीया, डॉ. निशांत चौधरी, डॉ. मुरलीधर स्वामी, डॉ. देवानंद, डॉ. कन्हैया, डॉ. ज्योति चौधरी, डॉ भारती, डॉ. राकेश, डॉ. ईशा, डॉ. बृजरानी, डॉ. डिम्पल, डॉ. ममता, डॉ. तुलसी, डॉ. अदिति, डॉ आभा व्यास, डॉ. विशाल, डॉ.पवन, डॉ. विजय बोहरा, डॉ. पूजा, का सम्मान हुआ इनके अलावा फार्मा कंपनीज, प्रबंधन क्षेत्र में पुलक, दीपक, ऑडियो विजुअल के लिए शरद कालरा, कैटरिंग के लिए बाबूलाल गेदर, प्रिंटिंग कार्य हेतु ओमप्रकाश एवं पीबीएम साइक्रेट्री विभाग के नर्सिंग ऑफिसर्स के योगदान के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मीडिया प्रबंधन के लिए विनय थानवी का सम्मान किया गया।
डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य और भविष्य की दिशा
इस कॉन्फ्रेंस का मुख्य आकर्षण था "डिजिटल साइक्रेट्रीक" पर सत्र, जिसमें विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।
कार्यक्रम की समाप्ति पर चेयरपर्सन डॉ. अच्यूत त्रिवेदी ने सभी का धन्यवाद व्यक्त किया और विशेष रूप से रेजिडेंट डॉक्टर्स के योगदान की प्रशंसा की।