कैरी बैग पर वसूले गए 9 रुपए का हर्जाना: शॉपर्स स्टॉप पर लगा 6500 रुपए जुर्माना
के कुमार आहूजा 2024-09-29 09:55:48
कैरी बैग पर वसूले गए 9 रुपए का हर्जाना: शॉपर्स स्टॉप पर लगा 6500 रुपए जुर्माना
क्या आपको याद है जब आपने कपड़े खरीदने के बाद बिल में कुछ अतिरिक्त राशि देखी थी, जिसका आपसे कोई संबंध नहीं था? हाल ही में, जयपुर उपभोक्ता आयोग ने शॉपर्स स्टॉप द्वारा उपभोक्ता से कैरी बैग के 9 रुपए वसूलने के मामले में एक अहम फैसला सुनाया। इस फैसले ने न केवल उपभोक्ताओं के अधिकारों को मजबूत किया, बल्कि उन व्यापारिक संस्थानों को भी सख्त संदेश दिया है जो बिना उपभोक्ता की सहमति के शुल्क वसूलते हैं।
मामले का विवरण:
16 जून 2019 को जयपुर निवासी जसवंत शर्मा कपड़े खरीदने शॉपर्स स्टॉप गए थे। उन्होंने कुल 5111 रुपए का बिल चुकाया, लेकिन इस दौरान उन्हें यह जानकर हैरानी हुई कि बिल में 9 रुपए कैरी बैग के लिए जोड़े गए हैं। सबसे खास बात यह थी कि उस कैरी बैग पर शॉपर्स स्टॉप का विज्ञापन भी छपा हुआ था। शर्मा ने जब दुकानदार से कैरी बैग के पैसे वापस करने की मांग की, तो उन्हें इनकार कर दिया गया। इस घटना को उपभोक्ता ने "सेवा दोष" (Deficiency in Service) मानते हुए उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर किया।
विक्रेता का पक्ष:
शॉपर्स स्टॉप की ओर से अधिवक्ता आलोक जैन ने जवाब में कहा कि शर्मा ने खुद कैरी बैग की मांग की थी और उन्हें पहले ही बता दिया गया था कि कंपनी की नीति के अनुसार कैरी बैग मुफ्त में नहीं दिया जाता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उपभोक्ता ने अपनी मर्जी से 9 रुपए देकर कैरी बैग लिया था। इसलिए विक्रेता की तरफ से किसी भी तरह का सेवा दोष नहीं किया गया है।
आयोग का फैसला:
दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम (जयपुर) के अध्यक्ष सूबे सिंह यादव और सदस्य नीलम शर्मा ने यह फैसला सुनाया कि उपभोक्ता से कैरी बैग के लिए अलग से शुल्क वसूलना गलत है, विशेष रूप से तब, जब उस बैग पर कंपनी का विज्ञापन हो। आयोग ने इसे उपभोक्ता के साथ गलत व्यवहार और सेवा दोष माना।
आयोग ने अपने आदेश में शॉपर्स स्टॉप को हर्जाने के रूप में 6500 रुपए का जुर्माना लगाने का आदेश दिया, जिसमें मानसिक पीड़ा के लिए 3000 रुपए, वाद व्यय के लिए 2000 रुपए और कैरी बैग के लिए वसूले गए 9 रुपए 18% ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया।
कानूनी पक्ष और उपभोक्ताओं के अधिकार:
इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा यह था कि दुकानों द्वारा उपभोक्ताओं से कैरी बैग के लिए शुल्क लेना कितना सही है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत उपभोक्ता को उत्पाद खरीदते समय एक उचित सेवा और जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। जब कोई कंपनी उपभोक्ता से बिना उसकी सहमति के अतिरिक्त शुल्क लेती है, खासकर ऐसी वस्तु पर जो उसके विज्ञापन के रूप में इस्तेमाल हो रही हो, तो यह सेवा दोष की श्रेणी में आता है।
इस फैसले ने साफ कर दिया है कि यदि कोई कंपनी अपने ब्रांड का प्रचार करने वाले बैग को उपभोक्ता को देती है, तो इसके लिए वह अलग से शुल्क नहीं ले सकती। यह फैसला न केवल इस मामले में, बल्कि अन्य उपभोक्ताओं के लिए भी एक नजीर बन सकता है जो अनावश्यक शुल्कों का सामना करते हैं।
व्यापारियों के लिए संदेश:
यह फैसला केवल शॉपर्स स्टॉप के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी व्यापारिक संस्थानों के लिए एक कड़ा संदेश है, जो उपभोक्ताओं से अनावश्यक शुल्क वसूलते हैं। अब यह स्पष्ट है कि यदि कोई कंपनी अपनी सेवा के दौरान किसी प्रकार का शुल्क लेती है, तो उसे पारदर्शिता और उपभोक्ता की सहमति का ध्यान रखना होगा।
उपभोक्ताओं के लिए सीख:
इस मामले से उपभोक्ताओं को यह संदेश भी मिलता है कि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें। यदि किसी उपभोक्ता को लगता है कि उसके साथ गलत व्यवहार हो रहा है या अनावश्यक शुल्क लिया जा रहा है, तो वह उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत कर सकता है और न्याय प्राप्त कर सकता है।
जयपुर उपभोक्ता आयोग का यह फैसला उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा और उनके सम्मान को बढ़ावा देने वाला है। शॉपर्स स्टॉप पर लगाया गया यह जुर्माना न केवल सेवा दोष की पहचान करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि भविष्य में उपभोक्ताओं से अनावश्यक शुल्क वसूलने की प्रवृत्ति पर रोक लगेगी। उपभोक्ताओं को जागरूक होना चाहिए और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए, ताकि ऐसे मामलों में उन्हें न्याय मिल सके।