एसीबी की बड़ी कार्रवाई: रिश्वत लेते पकड़ा गया सहायक प्रशासनिक अधिकारी, 12 हजार की घूस में फंसा


के कुमार आहूजा  2024-09-29 08:35:08



एसीबी की बड़ी कार्रवाई: रिश्वत लेते पकड़ा गया सहायक प्रशासनिक अधिकारी, 12 हजार की घूस में फंसा

भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कड़े कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन सरकारी अधिकारियों के बीच रिश्वतखोरी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। उदयपुर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एक बार फिर से बड़ी कार्रवाई करते हुए कानोड़ में एक सहायक प्रशासनिक अधिकारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह मामला उस समय और गंभीर हो गया जब यह सामने आया कि आरोपी अधिकारी ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए परिवादी को कई दिनों से परेशान कर रखा था।

घटना का विवरण:

शनिवार को एसीबी की उदयपुर यूनिट ने कानोड़ में सहायक प्रशासनिक अधिकारी चन्द्रमोहन गोस्वामी को 12 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी एसीबी के महानिदेशक डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा के निर्देशन में की गई, जब एक परिवादी ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि अधिकारी उससे अवैध रूप से पैसे मांग रहा है।

शिकायत और आरोप:

परिवादी का आरोप था कि अधिकारी चन्द्रमोहन गोस्वामी उसे खेलकूद सामग्री में कमी निकालकर एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दे रहा था। इसके अलावा, ऑडिट रिपोर्ट में आक्षेप लगाकर विभागीय कार्रवाई की धमकी भी दी गई थी। अधिकारी ने इन दोनों ही बातों का इस्तेमाल कर 15 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी, जिसमें से 12 हजार की डील फाइनल हुई। इस मामले में यह भी खुलासा हुआ कि अधिकारी ने तीन हजार रुपए पहले ही सत्यापन के दौरान वसूल कर लिए थे।

एसीबी की कार्रवाई:

जैसे ही शिकायतकर्ता ने यह मामला एसीबी के समक्ष रखा, एसीबी ने इस पर तुरंत संज्ञान लिया। उप महानिरीक्षक राजेन्द्र प्रसाद गोयल के सुपरविजन में एसीबी टीम ने इस शिकायत की जांच शुरू की। शिकायत सही पाई गई, जिसके बाद एसीबी ने जाल बिछाकर आरोपी अधिकारी को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के वक्त आरोपी ने रिश्वत की राशि यूपीआई के माध्यम से ऑनलाइन प्राप्त की थी, जो इस तरह के मामलों में नई प्रवृत्ति को उजागर करती है, जहां डिजिटल लेनदेन का दुरुपयोग किया जा रहा है।

रिश्वतखोरी के बदलते तरीके:

इस घटना का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह था कि आरोपी ने रिश्वत की राशि नकद में लेने के बजाय यूपीआई जैसे डिजिटल माध्यम का उपयोग किया। यह दर्शाता है कि भ्रष्ट अधिकारी अब पारंपरिक तरीकों से हटकर डिजिटल ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि पकड़े जाने की संभावना कम हो सके। हालांकि, एसीबी ने इस चालाकी को भी मात देते हुए डिजिटल ट्रांजेक्शन के जरिए ही आरोपी को धर दबोचा।

आरोपी अधिकारी की गिरफ़्तारी:

एसीबी की टीम ने कानोड़ कस्बे में पहुँचकर कार्रवाई की और चन्द्रमोहन गोस्वामी को गिरफ्तार कर लिया। गोस्वामी ने परिवादी से रिश्वत की मांग की थी और उसे धमकाने का सिलसिला कई दिनों से चला आ रहा था। जब परिवादी ने इस पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया, तब एसीबी ने उसकी शिकायत का सत्यापन किया और इसे सही पाया। इसके बाद एसीबी ने मौके पर पहुँचकर अधिकारी को ट्रैप करने की योजना बनाई और उसे रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा।

भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम:

राजस्थान में एसीबी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं और यह गिरफ्तारी इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एसीबी ने यह सुनिश्चित किया है कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह डिजिटल तरीके से रिश्वत मांग रहा हो या पारंपरिक तरीकों से। इस मामले में एसीबी ने अपनी तत्परता दिखाते हुए तत्काल गिरफ्तारी की, जो यह साबित करती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रशासनिक तंत्र अब और भी चौकस हो गया है।

सत्यापन के दौरान रिश्वत:

एसीबी के अधिकारियों ने बताया कि आरोपी चन्द्रमोहन गोस्वामी ने 3 हजार रुपए पहले ही शिकायत के सत्यापन के दौरान वसूल कर लिए थे। इसके बाद उसने 12 हजार रुपए की मांग की थी। एसीबी ने इस पूरे मामले का सत्यापन करने के बाद ही अपनी कार्रवाई की, जिसमें यह साफ हो गया कि अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त था और उसने अपनी जिम्मेदारियों का गलत इस्तेमाल किया।

आगे की कार्रवाई:

गिरफ्तार किए गए चन्द्रमोहन गोस्वामी से एसीबी अब आगे की पूछताछ कर रही है। यह जानने की कोशिश की जा रही है कि क्या गोस्वामी ने पहले भी इसी तरह की रिश्वतखोरी की घटनाएं की हैं और क्या इसमें और लोग शामिल हैं। इसके अलावा, यह भी देखा जा रहा है कि क्या सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के अन्य मामलों में भी इसी तरह के डिजिटल तरीकों का उपयोग हो रहा है।

बहरहाल, इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। जहां एक ओर अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करके जनता से अवैध रूप से पैसे वसूलते हैं, वहीं दूसरी ओर एसीबी जैसे संगठन इस तरह के भ्रष्टाचार को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। डिजिटल लेनदेन का उपयोग करके रिश्वत लेने की इस घटना ने यह भी दिखाया कि भ्रष्टाचार के तरीकों में बदलाव आ रहा है, और ऐसे में प्रशासनिक तंत्र को और अधिक सतर्क रहना होगा।


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