एक रहस्यमयी नेता का अंत, इजरायल की बमबारी से खत्म हुआ हिज्बुल्लाह का युग


के कुमार आहूजा  2024-09-29 03:47:49



एक रहस्यमयी नेता का अंत, इजरायल की बमबारी से खत्म हुआ हिज्बुल्लाह का युग

 हसन नसरुल्लाह की मौत: क्या हिज्बुल्लाह का भविष्य अब अंधकार में है?

बेरूत में शुक्रवार रात हुए इजरायली हमले में हिज्बुल्लाह के नेता हसन नसरुल्लाह की मौत ने पूरे मध्य पूर्व को झकझोर दिया है। हिज्बुल्लाह ने खुद पुष्टि की है कि उनके करिश्माई और लंबे समय से रहस्यमयी नेता को इस हमले में मार दिया गया। हिज्बुल्लाह ने अपने बयान में यह भी कहा कि नसरुल्लाह के नेतृत्व में संगठन ने दुश्मनों के खिलाफ कई संघर्ष किए हैं और फिलिस्तीन के समर्थन में उनकी "पवित्र जंग" जारी रहेगी।

इजरायली सेना ने इस हवाई हमले की पुष्टि की और कहा कि यह हमला हिज्बुल्लाह के मुख्यालय को निशाना बनाकर किया गया था, जो बेरूत में रिहायशी इलाकों के नीचे छिपा हुआ था। इजरायल का दावा है कि नसरुल्लाह का मुख्यालय जानबूझकर नागरिकों के बीच बनाया गया था ताकि वे मानव ढाल का उपयोग कर सकें। इजरायली सेना का यह भी कहना है कि हिज्बुल्लाह हमेशा से अपनी सैन्य गतिविधियों के लिए आम नागरिकों की सुरक्षा से खिलवाड़ करता आया है, जबकि इजरायल ने हमेशा नागरिक क्षति को कम करने की कोशिश की है।

हसन नसरुल्लाह का सफर: एक सब्जी बेचने वाले का बेटा कैसे बना हिज्बुल्लाह का नेता?

1960 में बेरूत के एक गरीब मोहल्ले में जन्मे हसन नसरुल्लाह नौ भाई-बहनों के बीच बड़े हुए। उनके पिता की एक छोटी सब्जी की दुकान थी। बचपन से ही नसरुल्लाह धार्मिक अध्ययन में रुचि रखते थे। जब वे मात्र 16 साल के थे, तब उनकी मुलाकात अब्बास अल-मुसावी से हुई, जो बाद में हिज्बुल्लाह के नेता बने। यह मुलाकात नसरुल्लाह के जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।

जब 1992 में इजरायली हमले में अब्बास अल-मुसावी की हत्या हो गई, तब हसन नसरुल्लाह को हिज्बुल्लाह का नेतृत्व सौंपा गया। उस वक्त नसरुल्लाह की उम्र मात्र 32 साल थी, लेकिन उन्होंने संगठन को एक ताकतवर सैन्य और राजनीतिक संगठन में बदल दिया। उनके नेतृत्व में हिज्बुल्लाह न सिर्फ लेबनान में, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में एक प्रमुख ताकत बन गया।

रहस्यमयी जीवन और नेतृत्व शैली

नसरुल्लाह का नेतृत्व जितना प्रभावी था, उतना ही रहस्यमयी भी। 2006 में इजरायल के साथ युद्ध के बाद उन्होंने अपना सार्वजनिक जीवन लगभग खत्म कर लिया था और ज्यादातर समय गुमनामी में बिताया। वे सिर्फ बड़े-बड़े वीडियो स्क्रीन पर भाषण देते थे, ताकि खुद को इजरायली हमलों से बचा सकें। अपने नेतृत्व के दौरान उन्होंने हिज्बुल्लाह को न सिर्फ सैन्य बल्कि राजनीतिक रूप से भी मजबूत किया। उनकी संगठनात्मक कुशलता और दूरदर्शिता के कारण ही हिज्बुल्लाह लेबनान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गया।

हसन नसरुल्लाह सिर्फ एक नेता ही नहीं थे, बल्कि एक पिता भी थे। उनका बेटा हादी 1997 में इजरायली सैनिकों से लड़ते हुए मारा गया था। हादी की उम्र उस वक्त केवल 18 साल थी। यह निजी क्षति भी नसरुल्लाह की कट्टरपंथी विचारधारा को और मजबूत करने का कारण बनी।

हिज्बुल्लाह का भविष्य: क्या नसरुल्लाह के बाद संगठन बिखर जाएगा?

नसरुल्लाह की मौत हिज्बुल्लाह के लिए एक बड़ा झटका है। वे हिज्बुल्लाह के संस्थापकों में से एक थे और संगठन को ताकतवर बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। अब, जब वह इस दुनिया से जा चुके हैं, तो सवाल उठता है कि हिज्बुल्लाह का भविष्य क्या होगा?

हिज्बुल्लाह ने अपने बयान में साफ किया है कि नसरुल्लाह की मौत के बावजूद संगठन अपनी जंग जारी रखेगा। हालांकि, उनके जाने के बाद संगठन की दिशा और नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। हिज्बुल्लाह के पास अब नया नेता चुनने की चुनौती है, जो नसरुल्लाह की तरह प्रभावी हो और संगठन को उसी दिशा में ले जा सके।

इजरायल का बयान और अंतर्राष्ट्रीय कानून का मुद्दा

इजरायली सेना ने नसरुल्लाह की मौत के बाद एक बयान जारी करते हुए कहा कि यह हमला पूरी तरह से वैध था और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत किया गया था। इजरायली सेना के अनुसार, नसरुल्लाह का मुख्यालय जानबूझकर एक रिहायशी इलाके के नीचे बनाया गया था, ताकि हिज्बुल्लाह नागरिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर सके। इजरायल ने यह भी कहा कि उसने इस हमले के दौरान नागरिकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा।

मध्य पूर्व में हिज्बुल्लाह और इजरायल के बीच तनाव

हिज्बुल्लाह और इजरायल के बीच दशकों से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं। 2006 के युद्ध के बाद से ही दोनों के बीच शांति की कोई संभावना नहीं दिखी है। हिज्बुल्लाह लेबनान के दक्षिणी हिस्से में अपनी पकड़ मजबूत कर चुका है और इजरायल के खिलाफ हमले करता रहा है। इजरायल भी लगातार हिज्बुल्लाह को अपने लिए एक खतरा मानता आया है और उसने कई बार संगठन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की है।

नसरुल्लाह की मौत ने इस संघर्ष को और अधिक जटिल बना दिया है। इजरायल के प्रधानमंत्री ने इस हमले को एक बड़ी जीत के रूप में पेश किया है, जबकि हिज्बुल्लाह ने इसे एक शहादत करार दिया है और अपनी जंग जारी रखने की कसम खाई है।

नसरुल्लाह का अंत और मध्य पूर्व की राजनीति पर इसका असर

हसन नसरुल्लाह की मौत ने न केवल हिज्बुल्लाह को एक बड़ा झटका दिया है, बल्कि पूरे मध्य पूर्व की राजनीति पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ने की संभावना है। नसरुल्लाह का जाना हिज्बुल्लाह के लिए नेतृत्व संकट खड़ा कर सकता है, लेकिन यह संगठन कितना जल्दी इस संकट से उबर पाएगा, यह देखना बाकी है।

मध्य पूर्व में शांति की संभावनाओं पर भी इसका असर पड़ सकता है, क्योंकि नसरुल्लाह की मौत के बाद इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच संघर्ष और तेज हो सकता है। फिलहाल, सभी की नजरें इस पर होंगी कि हिज्बुल्लाह अब किस दिशा में आगे बढ़ता है और कौन इसका नया नेता बनता है।


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