वाइल्डलाइफ अपराध में बड़ा खुलासा: एल्विश यादव और फाज़िलपुरिया पर ईडी का शिकंजा


के कुमार आहूजा  2024-09-28 07:26:41



वाइल्डलाइफ अपराध में बड़ा खुलासा: एल्विश यादव और फाज़िलपुरिया पर ईडी का शिकंजा

♦ वाइल्डलाइफ क्राइम के गहरे धंधे में सेलिब्रिटीज का नाम

वाइल्डलाइफ संरक्षण कानून और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में देशभर में कई चर्चित नाम सामने आते रहे हैं, लेकिन हाल ही में हुए एक बड़े खुलासे ने सबका ध्यान खींच लिया है। उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की कृषि भूमि और कुछ बैंक बैलेंस, जिनकी कुल कीमत 52.49 लाख रुपये है, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अस्थायी रूप से जब्त कर ली है। यह संपत्तियां मशहूर यूट्यूबर और इंफ्लूएंसर एल्विश यादव, फाजिलपुरिया (राहुल यादव) और उनकी कंपनी मिस स्काई डिजिटल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ी बताई जा रही हैं। यह मामला केवल मनी लॉन्ड्रिंग का ही नहीं है, बल्कि इसमें वाइल्डलाइफ अपराध और नशीले पदार्थों की आपूर्ति का भी आरोप है।

एफआईआर की शुरुआत और मामले की जांच: क्या है पूरा मामला?

यह मामला तब सामने आया जब नवंबर 2023 और मार्च 2024 में नोएडा पुलिस और बादशाहपुर पुलिस स्टेशन, हरियाणा द्वारा दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गईं। इन एफआईआर में इंडियन पीनल कोड (IPC), वाइल्डलाइफ (संरक्षण) अधिनियम 1972, और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS) 1985 के तहत आरोप लगाए गए थे। एफआईआर के अनुसार, पुलिस ने स्टिंग ऑपरेशन के दौरान सांपों और उनके विष की अवैध आपूर्ति में लिप्त कुछ एजेंटों को पकड़ा।

इसके बाद पुलिस ने पूरी जांच के बाद यूट्यूबर एल्विश यादव और फाजिलपुरिया को आरोपित कर चार्जशीट दाखिल की। दूसरा मामला, जिसमें सांपों और अन्य संरक्षित प्रजातियों का संगीत वीडियो और व्लॉग्स में अवैध रूप से उपयोग किया गया, ने इस केस को और गंभीर बना दिया।

क्या है वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972?

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का मुख्य उद्देश्य वन्य जीवों के अवैध शिकार, व्यापार और उनके साथ क्रूरता करने से रोकना है। इसमें संरक्षित प्रजातियों को अवैध रूप से उपयोग करना एक बड़ा अपराध है। एल्विश यादव और फाजिलपुरिया के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने सांपों और अन्य संरक्षित जीवों का अपने व्लॉग्स और संगीत वीडियो में अवैध उपयोग किया, जो इस अधिनियम का सीधा उल्लंघन है।

ईडी की कार्रवाई: फंड्स की जांच और संपत्तियों की जब्ती

प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच शुरू की और पाया कि सांपों और अन्य संरक्षित प्रजातियों के अवैध उपयोग से फाजिलपुरिया और एल्विश यादव ने अपने म्यूजिक वीडियो और व्लॉग्स के माध्यम से भारी मात्रा में पैसा कमाया। ये वीडियो मिस स्काई डिजिटल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से यूट्यूब पर अपलोड किए गए थे, जहां से इनकी कमाई होती थी। इस मामले में, ईडी ने जिन संपत्तियों को जब्त किया है, उनमें बिजनौर जिले में कृषि भूमि और बैंक बैलेंस शामिल हैं।

काले धन से संपत्तियों की खरीद

ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि इस अवैध व्यापार से जो पैसा कमाया गया, उसे काले धन के रूप में विभिन्न संपत्तियों की खरीद में लगाया गया। यह धन सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से वन्यजीव अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है, जिसके चलते प्रवर्तन निदेशालय ने कार्रवाई करते हुए इन संपत्तियों को जब्त कर लिया।

म्यूजिक वीडियो और व्लॉग्स: वन्यजीवों का व्यापार और क्रूरता

म्यूजिक वीडियो और व्लॉग्स में सांपों और अन्य संरक्षित प्रजातियों का उपयोग केवल एक शो के लिए नहीं था। इन जीवों के साथ क्रूरता बरती गई और उनके प्राकृतिक आवास से निकालकर उन्हें व्यापार के हिस्से के रूप में इस्तेमाल किया गया। पुलिस ने अपने चार्जशीट में यह भी कहा कि फाजिलपुरिया और एल्विश यादव ने न केवल वन्यजीवों के साथ दुर्व्यवहार किया, बल्कि इसे लोकप्रियता और धन कमाने का एक जरिया बना लिया।

यूट्यूब और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की भूमिका

मिस स्काई डिजिटल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जो इन वीडियो के उत्पादन और प्रसारण के लिए जिम्मेदार थी, ने यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर इन्हें अपलोड किया। यहां से इन्हें लाखों व्यूज और फॉलोअर्स मिले, जिससे भारी मात्रा में कमाई हुई। यूट्यूब पर इन वीडियो की सफलता के चलते ही फाजिलपुरिया और एल्विश यादव ने लगातार इस अवैध व्यापार को बढ़ावा दिया।

वन्यजीव संरक्षण के खिलाफ अपराध: कानून और सजा

वन्यजीवों का अवैध व्यापार और उनके साथ क्रूरता भारतीय कानूनों के तहत एक गंभीर अपराध है। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित प्रजातियों का अवैध उपयोग या व्यापार करने पर कठोर सजा का प्रावधान है। फाजिलपुरिया और एल्विश यादव पर लगे आरोप इस अधिनियम के तहत गंभीर माने जाते हैं और इसके लिए उन्हें जेल की सजा और भारी जुर्माना दोनों हो सकते हैं।

एनडीपीएस एक्ट का उल्लंघन

इस केस में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS), 1985 का भी उल्लंघन सामने आया है, क्योंकि इसमें नशीले पदार्थों की तस्करी और आपूर्ति की बात कही गई है। सांपों के विष का इस्तेमाल न केवल व्यापार में हुआ, बल्कि इसके माध्यम से नशीली दवाओं के अवैध व्यापार को भी बढ़ावा दिया गया।

प्रवर्तन निदेशालय की जांच जारी: और भी बड़े नाम सामने आने की उम्मीद

इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच अभी भी जारी है, और उम्मीद की जा रही है कि और भी बड़े नाम इस गोरखधंधे में शामिल हो सकते हैं। ईडी की जांच इस बात की ओर इशारा करती है कि यह अवैध व्यापार और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला और भी गहरा हो सकता है।

अगले कदम: ईडी और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई

ईडी और पुलिस दोनों की संयुक्त कार्रवाई अब उन सभी नेटवर्क्स और व्यक्तियों तक पहुंचेगी, जो इस अवैध व्यापार में शामिल हो सकते हैं। आने वाले दिनों में और भी संपत्तियों की जब्ती और गिरफ्तारियां होने की संभावना है, क्योंकि यह मामला केवल फाजिलपुरिया और एल्विश यादव तक सीमित नहीं है।

सोशल मीडिया की ताकत: कैसे इंफ्लूएंसर कर रहे हैं कानून का उल्लंघन

यह मामला केवल वन्यजीव अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सोशल मीडिया के गलत उपयोग की ओर भी इशारा करता है। सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स, जिनके लाखों फॉलोअर्स होते हैं, कानूनों का उल्लंघन कर अपने दर्शकों को गुमराह कर रहे हैं। एल्विश यादव और फाजिलपुरिया जैसे इंफ्लूएंसर्स ने वन्यजीवों के साथ क्रूरता कर केवल मनोरंजन और पैसे कमाने के उद्देश्य से इनका उपयोग किया।

सोशल मीडिया पर निगरानी की कमी

इस घटना ने यह सवाल भी खड़ा किया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी और कंटेंट मॉडरेशन की कितनी कमी है। यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर इन वीडियो को लाखों लोग देखते हैं, लेकिन प्लेटफॉर्म्स पर कोई सख्त निगरानी नहीं होती है कि इन वीडियो में किस तरह का कंटेंट दिखाया जा रहा है।

वन्यजीव संरक्षण के लिए सख्त कानूनों की जरूरत

यह घटना इस बात की ओर भी इशारा करती है कि देश में वन्यजीव संरक्षण के लिए और भी सख्त कानूनों की जरूरत है। संरक्षित प्रजातियों का अवैध उपयोग और उनके साथ क्रूरता को रोकने के लिए कानूनों में संशोधन और उनके सख्त पालन की जरूरत है।

वन्यजीव अपराधों के खिलाफ जन जागरूकता

इसके साथ ही, वन्यजीव अपराधों के खिलाफ जनता को जागरूक करना भी अत्यंत जरूरी है। यह केवल कानून का उल्लंघन नहीं है, बल्कि इससे हमारी जैवविविधता और पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है। जनता को यह समझना होगा कि वन्यजीव संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हम सभी का कर्तव्य है।

वाइल्डलाइफ अपराधों पर कड़ा रुख जरूरी

यह मामला केवल फाजिलपुरिया और एल्विश यादव के खिलाफ एक कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक संदेश है जो वन्यजीवों के साथ क्रूरता कर उन्हें व्यापार का हिस्सा बनाते हैं। प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई यह दर्शाती है कि वाइल्डलाइफ अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग पर सरकार का रुख कड़ा है और इसमें किसी भी प्रकार की ढील नहीं दी जाएगी।

सख्त कानून और जन जागरूकता की जरूरत

आगे चलकर, इस प्रकार के मामलों को रोकने के लिए सरकार को और सख्त कानून बनाने और उनके प्रभावी कार्यान्वयन की जरूरत है। साथ ही, जनता को वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूक करना भी अत्यंत आवश्यक है।


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