युवाओं के देश में घट रही युवा आबादी, देश के भविष्य पर मंडराते खतरे - अजय त्यागी
के कुमार आहूजा 2024-09-28 06:19:21
युवाओं के देश में घट रही युवा आबादी, देश के भविष्य पर मंडराते खतरे - अजय त्यागी
भारत, जिसे दुनिया की सबसे युवा आबादी वाले देशों में से एक माना जाता है, आज एक गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है। भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा युवा है, जो देश की आर्थिक प्रगति और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने इस बात का संकेत दिया है कि देश में युवाओं की संख्या लगातार घट रही है। यह खबर देश के भविष्य के लिए खतरे की घंटी बजाती है। आखिर क्यों घट रही है भारत की युवा आबादी और इसका देश के विकास पर क्या असर पड़ेगा?
घट रही युवाओं की संख्या: एक चिंताजनक संकेत
भारत, जो कभी विश्व का सबसे युवा देश माना जाता था, अब उस सूची में पीछे खिसक रहा है। देश की युवा आबादी की औसत आयु जो पहले 24 साल थी, अब बढ़कर 29 साल हो गई है। इसका अर्थ है कि भारत में युवाओं की संख्या में कमी आ रही है। इससे देश की आर्थिक और सामाजिक संरचना पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है। 140 करोड़ की आबादी वाले इस देश में कामकाजी युवाओं की संख्या ही भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में धाक दिलाने का काम करती है। परंतु, जब युवा आबादी कम होने लगेगी, तो इसका असर देश की विकास दर पर साफ दिखाई देगा।
जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट: क्या हैं सरकारी आंकड़े?
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 2024 में केवल 1% रह गई है, जो 1951 के बाद सबसे धीमी है। यह आंकड़ा साल 1972 में सबसे ऊंचे स्तर पर था, जब जनसंख्या वृद्धि दर 2.2% थी। लेकिन अब यह घटकर अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। इसका मतलब यह है कि भारत की जनसंख्या बढ़ने की दर भी धीमी हो रही है, जिसका सीधा असर देश के युवाओं की संख्या पर भी पड़ रहा है। यह एक चिंताजनक स्थिति है, क्योंकि इससे देश की कार्यशक्ति घटेगी और उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
क्या हैं इसके मुख्य कारण?
युवाओं की संख्या में कमी आने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहले, देश में परिवार नियोजन की नीतियों का असर साफ तौर पर दिखाई देता है। भारत में पिछले कुछ दशकों से जनसंख्या नियंत्रण पर जोर दिया जा रहा है, जिससे जन्म दर में गिरावट आई है। इसके अलावा, शहरीकरण, उच्च शिक्षा और नौकरी की तलाश में हो रहे बदलाव भी इसमें प्रमुख भूमिका निभाते हैं। युवा अब अधिक समय तक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और नौकरी में स्थायित्व पाने के लिए शादी और परिवार शुरू करने में देर कर रहे हैं।
महिलाओं में बढ़ती साक्षरता दर और उनके करियर पर ध्यान देने के कारण भी जन्म दर में गिरावट हो रही है। इसके अलावा, शादी की उम्र में बढ़ोतरी और समाज में बदलते मूल्यों के कारण भी लोगों में कम बच्चे पैदा करने की प्रवृत्ति बढ़ी है।
क्या है इसका समाधान?
युवाओं की संख्या में कमी से निपटने के लिए सरकार और समाज को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाया जाना चाहिए, ताकि युवा लंबे समय तक स्वस्थ और उत्पादक बने रहें। साथ ही, रोजगार के अवसरों को बढ़ाना भी बेहद जरूरी है, ताकि युवा बेरोजगारी की समस्या से बच सके और देश के विकास में सक्रिय रूप से योगदान कर सकें।
इसके अलावा, सरकार को जनसंख्या वृद्धि और विकास के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए नई नीतियों पर विचार करना चाहिए। रोजगार के साथ-साथ स्थायी परिवार योजना और जनसंख्या प्रबंधन नीतियों पर भी ध्यान देना जरूरी है। एक व्यापक जनसंख्या नीति के माध्यम से, जो सामाजिक और आर्थिक कारकों को ध्यान में रखती है, भारत इस संकट से उभर सकता है।
युवा पीढ़ी की चुनौतियों और अवसरों पर ध्यान देना होगा
देश की युवा पीढ़ी की घटती संख्या को एक चुनौती के रूप में देखा जाना चाहिए, लेकिन इसे एक अवसर भी बनाया जा सकता है। बेहतर शिक्षा और कौशल विकास के जरिए युवा पीढ़ी को और अधिक सक्षम बनाया जा सकता है। इसके साथ ही, तकनीकी प्रगति और डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की बढ़ती भूमिका के साथ, युवाओं को इस दिशा में प्रशिक्षित और प्रेरित किया जा सकता है।
देश की युवाओं की घटती संख्या के बावजूद, एक अधिक शिक्षित और कुशल कार्यबल देश को आर्थिक रूप से और मजबूत बना सकता है। इसलिए, सरकार और समाज को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा ताकि भारत की युवा शक्ति को सशक्त किया जा सके।
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य: अन्य देशों से सीखने की जरूरत
दुनिया के अन्य युवा देशों, जैसे नाइजीरिया, फिलिपींस और बांग्लादेश, से सीख लेकर भारत भी अपनी जनसंख्या नीति में सुधार कर सकता है। इन देशों में युवा आबादी अधिक है, और इनका उपयोग वे अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कर रहे हैं। भारत को भी अपनी युवा पीढ़ी को सही दिशा में प्रेरित करना होगा ताकि वे देश की प्रगति में योगदान दे सकें।
युवाओं की घटती संख्या के बीच बेहतर नीति की जरूरत
युवाओं की घटती संख्या भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन यह संकट को अवसर में बदलने का भी समय है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और जनसंख्या नीति पर ध्यान देकर हम इस स्थिति का समाधान निकाल सकते हैं। युवाओं को देश का भविष्य माना जाता है, और उनकी घटती संख्या पर चिंता करने के साथ-साथ हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जो युवा वर्तमान में कार्यबल में हैं, वे पूरी तरह से समर्थ और सशक्त हों।
भारत को अब एक ऐसी नीति की जरूरत है, जो युवा आबादी को अधिक अवसर प्रदान कर सके और देश के आर्थिक विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित कर सके। तभी हम अपने देश को एक प्रगतिशील और शक्तिशाली राष्ट्र बना पाएंगे।
डिस्क्लेमर - आलेख में प्रस्तुत विचार लेखक के अपने विचार हैं। किसी अन्य का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है।