बायजू पर संकट: क्या होगा अगला कदम? सुप्रीम कोर्ट ने दिवाला कार्रवाई को रोका
के कुमार आहूजा 2024-09-28 05:05:12
बायजू पर संकट: क्या होगा अगला कदम? सुप्रीम कोर्ट ने दिवाला कार्रवाई को रोका
हाल ही में भारतीय शिक्षा तकनीक कंपनी बायजू के खिलाफ चल रही दिवाला कार्रवाई ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए, एनसीएलएटी (राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय ट्रिब्यूनल) के आदेश को चुनौती देने वाली अमेरिकी कंपनी की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है। यह मामला न केवल बायजू की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि इससे शिक्षा तकनीक उद्योग में भी हलचल मच सकती है। क्या बायजू अपने संकट से उबर पाएगी?
बायजू के खिलाफ दिवाला कार्रवाई का मामला
बायजू, जो कि एक प्रमुख शिक्षा तकनीक कंपनी है, पर दिवाला प्रक्रिया चल रही थी। इस प्रक्रिया को रोकने के लिए एनसीएलएटी ने पहले आदेश जारी किया था, जिससे कंपनी को कुछ राहत मिली थी। 22 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए interim resolution professional (IRP) को स्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया।
इस निर्णय के पीछे एक बड़ा कारण यह था कि बायजू पर करीब 15,000 करोड़ रुपये का कर्ज था, और कंपनी ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के साथ 158.9 करोड़ रुपये के कर्ज को निपटाने का प्रयास किया था। यह निपटान केवल बीसीसीआई के साथ हुआ, जिससे अदालत ने सवाल उठाया कि क्यों केवल एक ही कर्जदाता के साथ ऐसा किया गया?
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने, जिसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला शामिल थे, एनसीएलएटी के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि "क्या केवल एक कर्जदाता (बीसीसीआई) को यह विशेषाधिकार दिया जा सकता है?" अदालत ने यह भी कहा कि एनसीएलएटी ने इस मामले में ध्यान नहीं दिया और यह दिखाया कि मामला फिर से निपटान के लिए भेजा जा सकता है।
एनसीएलएटी के निर्णय की पृष्ठभूमि
एनसीएलएटी ने 2 अगस्त को बायजू के खिलाफ चल रही दिवाला कार्रवाई को खत्म कर दिया था। यह निर्णय कंपनी के लिए राहत लेकर आया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे "अनुचित" ठहराया और इस पर रोक लगा दी। बायजू के संस्थापक रवींद्रन ने इस समय अपने व्यक्तिगत धन से बीसीसीआई के साथ कर्ज चुकाने की पेशकश की थी, जिससे उन्हें कुछ हद तक राहत मिली थी।
बायजू का संकट
बायजू का यह संकट भारतीय शिक्षा प्रणाली में तकनीकी बदलाव और विकास की गति को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में, यदि कंपनी दिवालिया घोषित होती है, तो न केवल इसके कर्मचारी प्रभावित होंगे, बल्कि लाखों छात्रों के लिए भी यह एक बड़ा झटका होगा।
संकट का समाधान?
इस संकट का समाधान क्या होगा, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन इस मामले ने एक बात स्पष्ट कर दी है - शिक्षा तकनीक क्षेत्र में वित्तीय स्थिरता की आवश्यकता है। इस स्थिति ने निवेशकों का ध्यान भी खींचा है, और अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय पर हैं।