साइबर अपराधियों के निशाने पर आई एनबीसीसी की डायरेक्टर: डिजिटल अरेस्ट के जरिए 55 लाख की ठगी


के कुमार आहूजा  2024-09-27 13:50:15



साइबर अपराधियों के निशाने पर आई एनबीसीसी की डायरेक्टर: डिजिटल अरेस्ट के जरिए 55 लाख की ठगी

साइबर अपराध की दुनिया में नए-नए तरीके लगातार सामने आते जा रहे हैं, जिनमें से एक 'डिजिटल अरेस्ट' का मामला हाल ही में सुर्खियों में आया है। इस बार साइबर अपराधियों के शिकार बनी हैं खुद एक साइबर मामलों की विशेषज्ञ और नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (एनबीसीसी) की डायरेक्टर। इस घटना ने साइबर अपराध की जटिलताओं और इसके बढ़ते खतरों को फिर से उजागर किया है।

साइबर एक्सपर्ट भी बनीं साइबर ठगी का शिकार

दिल्ली पुलिस की इंटेलीजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन्स (आईएफएसओ) यूनिट ने हाल ही में तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया, जो डिजिटल अरेस्ट के बहाने एनबीसीसी की डायरेक्टर से 55 लाख रुपये की ठगी कर चुके थे। मामला चौंकाने वाला था क्योंकि यह ठगी किसी आम व्यक्ति के साथ नहीं बल्कि एक साइबर विशेषज्ञ के साथ हुई, जो खुद साइबर मामलों को संभालती हैं।

कैसे हुई साइबर धोखाधड़ी का शिकार?

घटना की शुरुआत 9 सितंबर से हुई जब एनबीसीसी की डायरेक्टर को एक व्यक्ति ने फोन किया और खुद को मुंबई एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 पर स्थित कस्टम ऑफिस का अधिकारी बताया। फोन करने वाले ने यह दावा किया कि एक पार्सल जब्त किया गया है, जिसमें 16 फर्जी पासपोर्ट, 58 एटीएम कार्ड और 40 ग्राम एमडीएमए ड्रग बरामद हुआ है।

अधिकारी ने कहा कि इस पार्सल पर उनका नाम है, और इसलिए उनके खिलाफ मुंबई पुलिस ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इस झूठी जानकारी के जरिए उन्हें डरा-धमका कर साइबर अपराधियों ने डायरेक्टर से पैसे ठगने की योजना बनाई।

डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर ठगी

डिजिटल अरेस्ट की अवधारणा का इस्तेमाल करते हुए साइबर अपराधियों ने एनबीसीसी की डायरेक्टर को यह बताया कि उनके खिलाफ सीबीआई जांच भी चल रही है और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा। इस झूठे डर का फायदा उठाकर अपराधियों ने उनसे जुर्माना देने को कहा और उनसे 55 लाख रुपये ठग लिए। अपराधियों ने यह भी कहा कि उनकी निगरानी वीडियो कॉल के जरिए की जाएगी, जिससे वह और डर गईं।

डिजिटल अरेस्ट: एक नई तरह की साइबर ठगी

डिजिटल अरेस्ट एक ऐसी साइबर धोखाधड़ी है, जिसमें अपराधी किसी व्यक्ति को ऑनलाइन माध्यम से इस हद तक डराते हैं कि वह सोचने लगता है कि वह सरकारी एजेंसी द्वारा गिरफ्तार होने वाला है। कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई वास्तविक आधार नहीं है, लेकिन इसका इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है। लोगों को डराने और पैसों की ठगी करने का यह नया तरीका बेहद खतरनाक साबित हो रहा है।

आईएफएसओ यूनिट की सक्रियता और अपराधियों की गिरफ्तारी

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, एनबीसीसी की डायरेक्टर ने 12 सितंबर को दिल्ली पुलिस के आईएफएसओ यूनिट में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए त्वरित कार्रवाई की और तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया। इन अपराधियों का नेटवर्क बड़ा हो सकता है और पुलिस आगे की जांच कर रही है।

साइबर अपराधों से कैसे बचें?

यह घटना इस बात की चेतावनी है कि साइबर अपराधी किसी को भी निशाना बना सकते हैं, चाहे वह कितने भी जागरूक क्यों न हों। साइबर ठगी से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि किसी भी अनजान कॉल या संदेश पर तुरंत विश्वास न करें। यदि कोई आपको सरकारी एजेंसी का नाम लेकर डराने की कोशिश करता है, तो सबसे पहले उस एजेंसी से खुद संपर्क करें और जानकारी की पुष्टि करें। किसी भी संदिग्ध फोन कॉल पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें।

डिजिटल सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम

साइबर अपराधों से बचने के लिए हमें अपनी डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बनाना होगा। किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें, बैंकिंग और व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखें, और समय-समय पर पासवर्ड बदलते रहें। डिजिटल शिक्षा और साइबर जागरूकता अभियान भी इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

बहरहाल, साइबर अपराध का दायरा बढ़ता जा रहा है, और इसने हर व्यक्ति को संभावित शिकार बना दिया है। एनबीसीसी की डायरेक्टर के साथ हुई यह घटना इस बात का उदाहरण है कि साइबर अपराधियों की चालें कितनी जटिल और प्रभावी हो सकती हैं। ऐसे में हमें सजग रहने और सतर्कता के साथ ऑनलाइन गतिविधियों में शामिल होने की जरूरत है। डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहने के लिए जागरूकता और सावधानी ही सबसे बड़ा हथियार है।


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