अब लो जी,,,जाएं तो जाएं कहाँ? बिहार के दिहाड़ी मजदूर को आयकर विभाग का 2 करोड़ का टैक्स नोटिस
अब लो जी,,,जाएं तो जाएं कहाँ? बिहार के दिहाड़ी मजदूर को आयकर विभाग का 2 करोड़ का टैक्स नोटिस 2024-09-26 07:05:53
अब लो जी,,,जाएं तो जाएं कहाँ? बिहार के दिहाड़ी मजदूर को आयकर विभाग का 2 करोड़ का टैक्स नोटिस
आज बिहार के गया जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक साधारण दिहाड़ी मजदूर को आयकर विभाग ने 2 करोड़ 3 हजार 308 रुपये का टैक्स नोटिस भेजा है। यह मामला न केवल मजदूर के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या देश के गरीब और मेहनती लोग इस तरह के अव्यवस्थित टैक्स सिस्टम के शिकार बन रहे हैं? आइए जानते हैं इस अनोखे मामले के बारे में विस्तार से।
संदर्भ और पृष्ठभूमि
गया के नई गोदाम मोहल्ले में रहने वाले राजीव कुमार वर्मा, जो एक दिहाड़ी मजदूर हैं, अचानक एक अप्रत्याशित आयकर नोटिस का सामना कर रहे हैं। राजीव ने 22 जनवरी 2015 को एक बैंक में 2 लाख रुपये का फिक्स डिपॉजिट कराया था, लेकिन जरुरत होने पर 16 अगस्त 2016 को उस राशि को मैच्योरिटी से पहले निकाल लिया। इस सब के बाद, जब वह नियमित मजदूरी का काम करने लगे, तब आयकर विभाग ने उन पर 2 करोड़ 3 हजार 308 रुपये का टैक्स बकाया होने का नोटिस भेज दिया।
नोटिस की प्रकृति
नोटिस में कहा गया है कि वर्ष 2015-16 में 2 करोड़ रुपये का फिक्स डिपॉजिट उनके नाम पर किया गया था और यह भी कि उन्होंने अभी तक अपना आयकर रिटर्न फाइल नहीं किया है। राजीव को यह भी बताया गया है कि उन्हें 67 लाख रुपये 2 दिनों के भीतर जमा करने होंगे, अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह स्थिति राजीव के लिए अत्यंत परेशान करने वाली है, क्योंकि उनकी मासिक आय केवल 10 से 12 हजार रुपये है।
अधिकारी की प्रतिक्रिया
आयकर विभाग के अधिकारी सत्य भूषण प्रसाद ने स्पष्ट किया कि यह नोटिस उनके हेडक्वार्टर से जारी किया गया है। उनके अनुसार, राजीव के खाते में बड़े लेनदेन का पता चला है, जिसके कारण उन्हें यह नोटिस मिला है। यह जानकर कि राजीव ने कभी कोई व्यवसाय नहीं किया, अधिकारी ने उन्हें पटना जाने की सलाह दी, जहां मामले का समाधान हो सकता है।
प्रभावित मजदूर की कहानी
राजीव ने कहा कि वह आयकर रिटर्न की प्रक्रिया के बारे में नहीं जानते और इस तरह का नोटिस मिलना उनके लिए एक बड़ा झटका है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन और आयकर अधिकारियों से मदद मांगी, लेकिन समाधान के लिए उन्हें उच्चतर अधिकारियों के पास भेज दिया गया।
बहरहाल, यह घटना न केवल राजीव के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय है। यह दर्शाता है कि कैसे एक साधारण मजदूर, जो केवल अपने परिवार का पेट पालने के लिए मेहनत कर रहा है, अचानक एक विशाल वित्तीय दबाव का सामना कर रहा है। क्या हमारी सरकारी प्रणाली वास्तव में उन लोगों की मदद कर रही है, जो मेहनत करते हैं, या वे केवल एक अव्यवस्थित व्यवस्था के शिकार बन रहे हैं?